महाराष्ट्र

‘समृद्ध भारत के लिए करें कार्य’

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WEB DESK

गत दिनों पुणे स्थित फर्ग्युसन कॉलेज में ‘आइडिया आफ इंडिया’ विषय पर एक संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य ने राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्रों के साथ संवाद किया।

उन्होंने कहा कि कोरोना के समय में जाति, पंथ, भाषा और प्रांत के भेद भुलाकर भारतीयों ने एक-दूसरे की मदद की। ऐसा विश्व में और कहीं नहीं हुआ, क्योंकि ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का विचार रखने वाली भारत की जीवनदृष्टि आध्यात्मिक है। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय जीवनदृष्टि अद्वितीय है।

हमारी संस्कृति एक ही है, लेकिन वह प्रकट अलग-अलग तरह से होती है। हर एक की उपासना-पद्धति का सम्मान करने वाले भारत में वास्तविक रूप में आध्यात्मिक लोकतंत्र है। समृद्ध परंपराओं पर गर्व करते हुए उसमें व्याप्त दोषों का निर्मूलन करना चाहिए।

छुआछूत को दूर करते हुए महिलाओं को भी समान अवसर उपलब्ध करवाना यानी राष्ट्रीय होना है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सच्चा अर्थ क्या है, इस पर विचार होना चाहिए। पश्चिम की तरह होना यानी विकसित होना नहीं है। विकसित की बजाय हमें समृद्ध भारत के लिए प्रयास करने चाहिए।

हमारी पूर्ववर्ती पीढ़ियों ने स्वतंत्रता के लिए जीवन अर्पण किया। हमें भी आने वाली पीढ़ी को समृद्ध भारत मिले, इसके लिए कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. संतोष फरांदे, नेस्ट फाउंडेशन की डॉ. कल्याणी संत, फर्ग्युसन कॉलेज की वैष्णवी सर्वज्ञ, भार्गवी देशमुख, डॉ. प्रीति आफले आदि उपस्थित रहे।

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