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5 साल बाद हुई मोदी और जिनपिंग की वार्ता : सीमा विवाद पर रहा फोकस, विशेष प्रतिनिधि वार्ता से निकलेगा समाधान

Published by
SHIVAM DIXIT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच वर्षों बाद आयोजित हुई महत्वपूर्ण शिखर वार्ता ने भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय शुरू किया है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से लंबित सीमा विवाद को हल करने के उद्देश्य से विशेष प्रतिनिधि वार्ता प्रक्रिया को पुनः सक्रिय करने का निर्णय लिया गया है।

विशेष प्रतिनिधि वार्ता फिर से होगी सक्रिय

दिसंबर 2019 में हुई आखिरी विशेष प्रतिनिधि वार्ता के बाद, गलवान घाटी की घटना ने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था। हाल ही में हुई शिखर वार्ता के बाद, विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने दोनों देशों के अधिकारियों को विशेष प्रतिनिधि वार्ता फिर से शुरू करने का निर्देश दिया है।

इस वार्ता में सीमा विवाद, विश्वास बहाली के उपायों और कैलाश मानसरोवर यात्रा जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी, जो अपने-अपने देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं, इस वार्ता का नेतृत्व करेंगे।

सीमा विवाद पर शांति बहाली के प्रयास

मोदी और शी की वार्ता में यह स्पष्ट किया गया कि दोनों देशों के संबंधों को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाने के लिए सीमा क्षेत्र में शांति आवश्यक है। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि परिपक्वता और एक-दूसरे के हितों, चिंताओं और अपेक्षाओं को समझते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाया जा सकता है।

डेपसांग और डेमचोक मुद्दे पर चर्चा

भारत-चीन सीमा विवाद के प्रमुख बिंदुओं में शामिल डेपसांग और डेमचोक के सवाल पर विदेश सचिव ने कहा कि हाल के बयानों में स्थिति स्पष्ट की गई है। पिछले वर्ष सितंबर 2022 में दोनों देशों के बीच आखिरी समझौता हुआ था, जिसमें इन क्षेत्रों में विवादित मुद्दों को हल करने के प्रयास किए गए थे।

भारत का समर्थन शंघाई सहयोग संगठन में

प्रधानमंत्री मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में चीन की अगले वर्ष की अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का भी वादा किया। यह कदम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कूटनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में कदम

मोदी-शी की यह वार्ता दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिसमें दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने की बात कही। विदेश सचिव ने कहा कि विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से दोनों पक्ष अब विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा करेंगे और कूटनीतिक प्रयासों को और आगे बढ़ाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई शिखर वार्ता भारत-चीन संबंधों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। दोनों देशों ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता प्रक्रिया को फिर से सक्रिय करने का निर्णय लिया है, जो लंबे समय से लंबित सीमा विवादों को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में और सुधार की संभावनाएं देखी जा रही हैं।

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