मदरसा तालीम पर उठे सवाल
May 28, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मदरसा तालीम पर उठे सवाल

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मदरसों में दी जा रही मजहबी तालीम पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है, उन्हें नफरत सिखाई जा रही है

by सोनाली मिश्रा
Oct 23, 2024, 08:56 am IST
in भारत, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा मदरसों पर एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के कई तथ्य चौंकाने वाले हैं। जिस देश में मदरसों को स्कूल का पर्याय बनाकर पेश किया जाता था या फिर कविताओं, कहानियों में मदरसों का प्रशंसा की जाती थी, उसमें यह मूल प्रश्न दब जाता था कि आखिर एक पंथ निरपेक्ष लोकतंत्र में मदरसा बोर्ड आदि क्यों है? और क्यों मदरसा बोर्ड या मदरसों पर प्रश्न उठाना इस्लामोफोबिया की श्रेणी में आ जाता था?

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो मदरसों में बच्चों की असुविधाओं, अनियमितताओं एवं अव्यवस्थाओं के प्रति अत्यंत मुखर रहे हैं। आयोग ने मदरसों में तालीम हासिल कर रहे बच्चों के अधिकारों के विषय में भी लगातार कई कदम उठाए हैं। एनसीपीसीआर द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट का नाम है ‘‘मजहब के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क, बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसा।’’

इस रिपोर्ट के चौथे अध्याय में मदरसा बोर्ड की उन मनमानियों का उल्लेख है, जिसका शिकार गरीब बच्चे हो रहे थे। आयोग ने बताया है कि मदरसों का पाठ्यक्रम शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुपालन में नहीं है। आयोग की रिपोर्ट बताती है, ‘‘दीनीयत की जो किताबें यहां पढ़ाई जाती हैं उनमें आपत्तिजनक बातें होती हैं। इन किताबों में इस्लाम को ही सबसे ऊपर बताया जाता है।’’

जब आयोग ने बिहार मदरसा बोर्ड की वेबसाइट पर किताबों की सूची बनाई तो यह पाया कि दीनीयत की किताबों में वे किताबें भी पढ़ाई जाती हैं, जो पाकिस्तान में प्रकाशित हुई हैं। इस्लाम की मूलभूत बातों पर पाकिस्तानी शेख मुफ्ती किफायतुल्ला द्वारा लिखी गई ‘तालीम-उल-इस्लाम’ में इस्लाम के बारे में बच्चों को जो पढ़ाया जा रहा है उसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
प्रश्न : जो अल्लाह में यकीन नहीं करते हैं उन्हें हम क्या कहते हैं?
उत्तर : उन्हें काफिर कहा जाता है।

प्रश्न :कुछ लोग अल्लाह के अलावा अन्य वस्तुओं की पूजा करते हैं या दो या तीन देवताओं में विश्वास करते हैं। ऐसे लोगों को क्या कहा जाता है?
उत्तर: ऐसे लोगों को काफिर (अविश्वासी) या मुशरिक (बहुदेववादी) कहा जाता है।

प्रश्न: क्या बहुदेववादियों को मुक्ति मिलेगी ?
जबाव: बहुदेववादियों को कभी मुक्ति नहीं मिलेगी? इसके बजाय, उन्हें दोजख में सजा का सामना करना पड़ेगा।
आयोग ने मदरसा शिक्षा बोर्ड की तालीम की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि मदरसों में पढ़ाने वालों के पास राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीआई द्वारा जो पात्रता निर्धारित की गई हैं वह नहीं होती। जैसे बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 1981 के अनुसार, मदरसों में नौकरी के लिए मुख्य आधार बोर्ड का पर्यवेक्षण होगा। बोर्ड के अनुमोदन के बिना भी मदरसा शिक्षक की सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकेंगी।

मदरसों में जिनको नौकरी दी जाती है वे कुरान और अन्य मजहबी तलीम ही इस्लामिक तौर-तरीके से देते हैं। यहां जो तालीम दी जाती है उसमें पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता। राज्य सरकारों से पैसा लेने वाले मान्यता प्राप्त मदरसे भी मदरसों को ऐसा संस्थान बताते हैं जो केवल इस्लामिक तालीम देता है। पर शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत जो शिक्षा दी जानी चाहिए वह यहां तालीम हासिल करने वाले बच्चों को नहीं मिलती है।

विभिन्न राज्यों के मदरसा बोर्ड की परिभाषा

  • मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड अधिनियम, 1998 में, ‘मदरसा’ को अरबी और इस्लामी अध्ययन में शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थान के रूप में परिभाषित किया गया है।
  •  उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 के अनुसार, मदरसा की तालीम से मतलब है कि अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामी-अध्ययन, तिब्ब, तर्कशास्त्र, फलसफे और उनमें तालीम जिन्हें समय-समय पर बोर्ड तय करता है।
    ल्ल राजस्थान मदरसा बोर्ड अधिनियम, 2020 मदरसा को मदरसा बोर्ड के साथ पंजीकृत एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में परिभाषित करता है, और मदरसा तालीम ऐसी व्यवस्था है, जिसमें इस्लामी इतिहास और तहजीब, और मजहबी तालीम में अध्ययन शामिल हैं। इसमें सामान्य शिक्षा भी शामिल है जो छात्र को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, भारतीय विद्यालय प्रमाण पत्र परीक्षा परिषद, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड या अन्य राज्यों के माध्यमिक शिक्षा बोर्डों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बैठने के लिए तैयार करती है।रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्यों में जो मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, वे यह इस्लामिक तालीम और निर्देश गैर-मुस्लिमों और हिंदुओं को भी दे रहे हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28(3) का खुला उल्लंघन है। इस संबंध में राज्य सरकारों को मदरसों से हिंदू और गैर-मुस्लिम बच्चों को निकालने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
    इस रिपोर्ट के आधार पर ही एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने मदरसों को राज्यों से मिलने वाले पैसे पर रोक लगाने की सिफारिश की है। इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। परंतु राजनीति से इतर यह सवाल तो होना ही चाहिए कि आखिर राज्य के पैसे पर, आम करदाताओं के पैसे पर उन संस्थानों को पोषित क्यों किया जाए, जो एक मजहब की आपत्तिजनक बातें पढ़ा रहे हैं और गैर-मुस्लिमों की पांथिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रहे हैं।

मदरसों पर की गई कार्रवाई

  1. असम सरकार ने वर्ष 2020 में असम निरसन अधिनियम लाकर असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवा का प्रांतीयकरण और मदरसा शैक्षणिक संस्थानों का पुन: संगठन) अधिनियम, 2018 को रद्द कर दिया था। सभी मदरसों को स्कूलों में बदल दिया गया था।
  2.  अप्रैल 2024 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम 2004 को रद्द कर दिया था। वर्ष 2004 में लागू इस अधिनियम के अनुसार अधिनियम का उद्देश्य राज्य में मदरसों के कामकाज को प्रबंधित और नियंत्रित करना था। इस अधिनियम के अंतर्गत राज्य में मदरसों की गतिविधियों की देखरख और निरीक्षण के लिए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का कहना था कि यह मजहब के आधार पर अलग तालीम को बढ़ावा देता है, जो कहीं से भी संविधान की मूल भावना के अनुपालन में नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकार को नोटिस भेजा था। अभी इस पर पर सुनवाई होनी शेष है। 

Topics: National Commission for Protection of Child Rightsपाञ्चजन्य विशेषमदरसा शिक्षा बोर्ड की तालीम की गुणवत्ता पर सवाललोकतंत्र में मदरसा बोर्डसर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालयQuestion on the quality of education of Madrasa Education BoardMadrasa Board in democracySupreme CourtAllahabad High Courtराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तानी फाैज द्वारा बलूचिस्तान से जबरन गायब किए गए लोगों के परिजन­

हवाई घोषणा नहीं, पूर्ण स्वतंत्रता लक्ष्य

मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मोहम्मद अमीर अहमद खान

शिक्षाविद् का मुखौटा, विचार जहरीले

पाक उच्चायोग का अधिकारी दानिश और जासूसी के आरोप में पकड़ी गई यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा

ऑपरेशन मीर जाफर : चेहरे चमकदार, दामन दागदार

डॉ. शशि थरूर

‘सिंदूर का रंग खून  के रंग से अलग नहीं’ -डॉ. शशि थरूर

विदेश में पकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत द्वारा भेजे जा रहे प्रतिमंडल का नेतृत्व कर रहे रविशंकर प्रसाद, शशि थरूर, सुप्रिया सुले, बैजयंत पांडा, कनिमोझी, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे और संजय झा

भारत का तरकश भारी

नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते प्रशांत भूषण। (बाएं से ) हर्ष मंदर, प्रियाली सुर, कोलिन गोंजाल्विस और रीता मनचंदा

रोहिंग्याओं के रखवाले : झूठ की नाव, हमदर्दी के चप्पू

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

वीर सावरकर

वीर सावरकर : हिंदुत्व के तेज, तप और त्याग की प्रतिमूर्ति

आज़हरुल इस्लाम

बांग्लादेश में आजाद घूमेगा 1000 से अधिक हत्या करने का आरोपी, जमात नेता आज़हरुल इस्लाम की सजा रद

मुख्य आयोजन स्थल

उत्तराखंड : 21 जून को भराड़ीसैंण में होगा योग दिवस का मुख्य आयोजन, सीएम के साथ 10 देशों के राजदूत होंगे शामिल

विजय पुनम

ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका : रायगडा में कुख्यात विजय ने किया आत्मसमर्पण

Representational Image

बांग्लादेशियों संग न करना शादी, जानिए चीन ने क्यों जारी की चीनियों के लिए ऐसी एडवाइजरी

पाकिस्तानी फाैज द्वारा बलूचिस्तान से जबरन गायब किए गए लोगों के परिजन­

हवाई घोषणा नहीं, पूर्ण स्वतंत्रता लक्ष्य

मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मोहम्मद अमीर अहमद खान

शिक्षाविद् का मुखौटा, विचार जहरीले

terrorist tadwas house blew up by the the forces

Amritsar Blast: विस्फोट में मरने वाला आतंकी था, डीआईजी सतिंदर सिंह ने की पुष्टि

AMCA project Approves by defence ministry

रक्षा मंत्रालय ने AMCA को दी मंजूरी: पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना को मिलेगी गति

Ghaziabad constable Saurabh murder case

गाजियाबाद में कॉन्स्टेबल सौरभ की हत्या के मामले में कादिर समेत अब तक 15 आरोपी गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies