देश में रोहिंग्या मुस्लिम एक बड़ी समस्या बनकर उभरे हैं। ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। सरकार एनआरसी के तहत इनकी पहचान कर इन्हें बाहर निकालने की कोशिश कर रही है, लेकिन फिर भी देश के अलग-अलग हिस्सों में रोहिंग्या बेखौफ रह रहे हैं। इसी क्रम में हरियाणा के नूंह में रोहिंग्या मुस्लिम बेखौफ होकर मदरसे चला रहे हैं, जहां पर ये रोहिंग्या बच्चों को इस्लामिक कट्टरपंथ सिखाते हैं। उस मदरसे में 400 बर्मा के अवैध अप्रवासी रहते हैं।
इन बच्चों को सिखाया जाता है कि “इस्लाम को न मानने वालों नरक में जलाया जाएगा।” इन बच्चों का कहना है कि वे डॉक्टर या इंजीनियर बनने की बजाय वे बड़े होकर ‘हाफिज’ बनना चाहते हैं। ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट के अनुसार, जब उनकी टीम नूंह के नागल गांव में पहुंची तो वहां पर एक मदरसा दिखा। उस मदरसे का शिक्षक एक रोहिंग्या मौलाना है, जिसका नाम मुहम्मद यूनुस है। उस मदरसे में 400 शरणार्थी बच्चे रहते हैं। उसी मदरसे में पढ़ाने वाले एक रोहिंग्या शिक्षक जियाउर रहमान ने बेखौफ होकर खुलासा किया कि 2016 वो अवैध तरीके से म्यांमार की सीमा से बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था।
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उसने बताया कि भारत में घुसने के लिए उसके पास न तो वीजा था और न ही पासपोर्ट। इसके साथ ही उसके पास कोई स्थानीय प्रमाण पत्र भी नहीं है और हां उसके पास UNHCR का शरणार्थी कार्ड अवश्य है। रोहिंग्या मुसलमान ने बताया कि वह ऑर्गनाइजर की टीम को रोहिंग्या मुसलमान ने बताया कि वे मदरसा में छात्रों को उर्दू, फारसी, अरबी पढ़ाते हैं। इस मौके पर मदरसे के छात्रों से जब पूछा गया कि वे अपनी जीवन में क्या बनना चाहते हैं तो इन छात्रों का कहना था कि वे हाफिज बनकर अल्लाह की सेवा करना चाहते हैं।
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रोहिंग्या मदरसे के छात्रों ने ऑर्गनाइजर को बताया कि जो भी लोग अल्लाह को नहीं मानते, उन्हें पता चल जाएगा कि दज्जाल कब आएगा और वह उन्हें जहन्नुम की आग में जला देगा। दज्जाल झूठे दावे करेगा, लेकिन हम अपने अल्लाह पर ईमान बनाए रखेंगे।
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