अमेरिका में न्यूयॉर्क में सालाना होने वाली स्वतंत्रता दिवस की परेड में अयोध्या के श्रीराम मंदिर की झांकी को लेकर विवाद आरंभ हो गया है, क्योंकि इस झांकी को कुछ समूह सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला कदम बता रहे हैं। अमेरिका में The Federation of Indian Associations द्वारा भारत के स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में इस परेड का आयोजन कराया जाता है। जिसमें हर संस्कृति की झांकियां होती हैं, जो भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति को पूरे विश्व को दिखाती हैं।
इसे भी पढ़ें: देश में इस्लामी निजाम लाएंगे, शरिया निजाम लागू करना है मकसद’, कट्टरपंथी नेता रब्बानी बोला-मूर्तियों को तोड़ देना चाहिए
इस वर्ष इस परेड का आयोजन 18 अगस्त को कराया जा रहा है। इस वर्ष इस आयोजन का विषय है ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात यह पूरा विश्व एक परिवार है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश गुप्ता का कहना है कि हम विविधता में अपनी एकता का उत्सव मनाते हैं, हम एकात्मकता का उत्सव मनाते हैं, जो हमारा भारत है।
आयोजकों के अनुसार, यह परेड सभी भारतीयों का सम्मान करने के लिए है। यह उस एकता को दिखाने के लिए है जो विभिन्न क्षेत्रीय, भाषाई और धार्मिक पृष्ठभूमि के बाद भी पूरे भारत में विद्यमान है। यह अंग्रेजों से आजादी के 78 वर्षों का उत्सव मनाने के लिए है।
पिछले कई दशकों से इस परेड का आयोजन कराया जा रहा है, मगर इस वर्ष यह परेड विवादों में इसलिए आ गई है, क्योंकि इसमें अयोध्या के श्रीराम मंदिर की झांकी भी उपस्थित रहेगी। इस मंदिर में इसी वर्ष 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मगर इस मंदिर को लेकर अमेरिका में कुछ समूहों का कहना है कि इस मंदिर की झांकी से मुस्लिम विरोधी भावना का फैलाव होगा और यह झांकी भारतीय और हिन्दू मूल्यों के अनुसार नहीं है।
इन समूहों का कहना है कि न्यूयॉर्क में भारतीय स्वतंत्रता की परेड के दौरान श्रीराम मंदिर की झांकी घृणा का प्रतीक है, विरासत का नहीं। रीजनलन्यूज़सर्विस पोर्टल पर अमेरिका आधारित हिन्दू विरोधी संगठन hindus for Human Rights की कार्यकारी डायरेक्टर सुनीता विश्वनाथन ने प्रभु श्रीराम मंदिर की झांकी के बहाने पूरे हिन्दू समाज और स्पष्ट है भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है।
इसे भी पढ़ें: बांग्लादेश में 22 दिनों के संघर्ष में कम से कम 650 लोग मारे गए: UN
सुनीता ने लिखा है कि यह मंदिर घृणा का प्रतीक है। सुनीता हिन्दुत्व की राजनीति और विचारधारा के विरोध में हैं और उन्होंने लिखा कि इस विचारधारा को भारतीय समाज को खतरा है, विशेषकर मुस्लिमों और ईसाइयों को और यह खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने अमेरिका में श्रीराम मंदिर की झांकी के बहाने यह लिखा कि अमेरिका में भारतीय अमेरिकी राजनीति और सार्वजनिक जीवन में अधिक मुखर होते जा रहे हैं, तो ऐसे में हमें विरासत पर काम करने की आवश्यकता है जो हम बना रहे हैं। हमारे समाज को परिपक्व होना चाहिए और भारत की आजादी की परेड जैसी घटनाओं में जो संदेश दिया जा रहा है, उसके प्रति जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जबावदेह होना चाहिए।
सुनीता ने लिखा कि वर्ष 2022 में एडिसन, न्यूजर्सी में जब भारत की आजादी की परेड के दौरान बुलडोजर का प्रदर्शन किया गया था, तभी से यह परेशान करने वाला ट्रेंड शुरू हुआ है। दरअसल बुलडोजर न्याय को लेकर जहां उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है, तो वहीं कथित मानवाधिकारवादी इसे मुस्लिमों के विरोध में लेकर चले गए हैं। जबकि बुलडोजर से मात्र अवैध निर्माण ही तोड़े गए हैं और यह हिंदुओं पर भी लागू है। परंतु इसे लेकर यह दुष्प्रचार किया गया कि यह मुस्लिम विरोधी है।
इस लेख में सुनीता विश्वनाथन ने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की है कि जिस अयोध्या में मस्जिद को गिराकर यह मंदिर बना है, वहाँ पर हिन्दुत्व की राजनीति हार गई और समाजवादी पार्टी के नेता सांसद बने। मगर सुनीता विश्वनाथन जैसे लोग यह नहीं जानते कि अयोध्या विधानसभा, जहां पर मंदिर बना है, वहाँ पर भारतीय जनता पार्टी ही जीती है और समाजवादी पार्टी को फैजाबाद विधानसभा ने जिताया है। दरअसल उन्हें तो यह भी नहीं पता होगा कि अयोध्या नाम से लोकसभा की कोई सीट है ही नहीं। लोकसभा में सीट ही फैजाबाद है।
श्रीराम मंदिर की झांकी का विरोध इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल भी कर रही है और इसने कहा कि श्रीराम मंदिर की झांकी को सम्मिलित करने का अर्थ है हिंसा, ऐतिहासिक अन्याय और धार्मिक असहिष्णुता के प्रतीक का प्रदर्शन करना। हालांकि, यह संस्था भारत विरोधी कई विचारों के लिए कुख्यात है। गौरतलब है कि फरवरी 2022 में इसी संस्था के द्वारा आयोजित एक सेमीनार में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद आँसारे ने यह कहते हुए सनसनी फैला दी थी कि भारत में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।
इसे भी पढ़ें: मोहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री मोदी को किया फोन , बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया
इस झांकी का विरोध काउंसिल ऑन अमेरिका-इस्लामिक रीलैशन और न्यूयॉर्क स्टेट काउंसिल ऑफ चर्चेस ने भी किया है और इन सभी ने इस झांकी को हटाए जाने को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। लगभग 20 समूहों ने मेयर एरिक एडमन्स और गवर्नर कैथी हॉकहुल को पत्र भेजा था, जिसमें कहा था कि “झांकी के प्रायोजक, हिंदू राष्ट्रवादी संगठन विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका और हिंदू संप्रदाय बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था, इस परेड का उपयोग “अमेरिकी मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने और डर पैदा करने” के लिए करने की योजना बना रहे हैं।“ इस परेड के आयोजकों का यह कहना है कि उन्हें तो ऐसी भी याचिकाओं का सामना करना पड़ा, जिनमें परेड को रोकने तक की मांग की गई थी।
रीजनलन्यूज़.कॉम के अनुसार फेडरेशन के अध्यक्ष अविनाश गुप्ता ने कहा कि उन्हें अभी तक इस झांकी को हटाने को लेकर अधिकारियों का कोई पत्र नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यह झांकी इसलिए यहाँ पर है क्योंकि यह हमारे लिए गर्व का विषय है और साथ ही कई ऐसे लोग हैं, जो इस मंदिर का दर्शन करने के लिए भारत नहीं जा सकते हैं, तो यह उनके लिए अच्छा अवसर होगा कि वे 500 वर्ष के बाद बने इस मंदिर की झांकी देखें।
टिप्पणियाँ