हम सभी ने 15 अगस्त बड़ी धूमधाम से मनाया। हमें 14 अगस्त के बारे में यानि विभाजन विभीषिका दिवस के बारे में भी पता होगा। लेकिन 16 अगस्त के बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। यह दिन मानों रक्त के सागर से तैरता आया था। हम बात कर रहे है भारत विभाजन के बाद हुए भीषण नरसंहार की। इस दिन विभाजन की माँग के लिये भी विभाजन की माँग करने वालों ने लाशों के ढेर लगा दिये थे। यह नरसंहार 16 अगस्त 1946 को शुरु हुआ और मात्र तीन दिनों में बंगाल और पंजाब में लाशों के इतने ढेर लग गये थे कि उठाने वाले नहीं बचे थे। उस में से निकलने वाली दुर्गन्ध से और संक्रमण से उत्पन्न हुईं बीमारियों से मौतें हुईं सो अलग।
जानिए डायरेक्ट “एक्शन डे” से सम्बंधित जरूरी बातें
– 16 अगस्त 1946 को जिन्ना के निर्देश पर हुआ था डायरेक्ट एक्शन डे
– बंगाल में कट्टरपंथी भीड़ द्वारा चुन-चुन कर किया गया था हिंदुओं का कत्लेआम
– 72 घंटे में 6 हजार से ज्यादा हिंदुओं का हुआ था कत्ल
– कोलकाता में हजारों हिंदू माताओं-बहनों के साथ कट्टरपंथियों ने किया था बलात्कार
– जान बचाने के लिए लाखों हिंदुओं ने किया था पलायन
– गोमांस की दुकानों पर हुक से लटकाए गए थे हिंदू लड़कियों के नग्न शरीर
अब जानिए क्यों रचा गया था डायरेक्ट “एक्शन डे” का प्लान ?
– भारत की स्वतंत्रता से एक वर्ष पहले की हिंदू विरोधी विभीषिका है डायरेक्ट एक्शन डे
– 16 मई 1946 को भारत आया था ब्रिटिश कैबिनेट मिशन
– कैबिनेट मिशन का उद्देश्य था भारतीयों को सत्ता हस्तांतरित करने की अंतिम योजना को मूर्त रूप देना
– जिन्ना ने मिशन के सामने अलग पाकिस्तान की मांग रख दी
– जुलाई 1946 में जिन्ना ने मुंबई में अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की
– प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन्ना ने अलग मुस्लिम देश पाकिस्तान बनाने की घोषणा की
– पाकिस्तान न बनाने पर दी डायरेक्ट एक्शन डे की चेतावनी
– 16 अगस्त 1946 को घोषित किया गया डायरेक्ट एक्शन डे
कैसे हुई “डायरेक्ट एक्शन डे” की शुरुआत ?
– बंगाल में हसन शहीद सुहरावर्दी ने किया हिंदुओं के भयावह नरसंहार अर्थात डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान। मुस्लिम लीग का नेता हसन शहीद सुहरावर्दी उस समय था बंगाल का मुख्यमंत्री था
– ऐलान के बाद कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्रों में इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ जुटना शुरू हो गई
– डायरेक्ट एक्शन डे अर्थात हिंदुओं के जनसंहार के लिए की गई थी विशेष तैयारियां। आसपास के क्षेत्रों से बुलाई गई थी मुस्लिम भीड़। पंजाब के नेशनल गार्ड्स के 1200 मुस्लिम सिपाहियों को भी बुलाया गया था कोलकाता
– कोलकाता में मौजूद 24 पुलिस थानों में से 22 का इंचार्ज मुस्लिम को बनाया गया था। मुस्लिमों को दुकाने बंद रखने का आदेश जारी किया गया था। हिंदुओं को दुकानें व दफ्तर खुले रखने की बात कही गई थी
– दोपहर की नमाज के समय सुहरावर्दी और ख्वाजा नजीमुद्दीन ने दिए हिंदू विरोधी भाषण। नमाज के बाद शुरू कर दिया गया हिंदुओ का कत्लेआम
जानिए क्या-क्या हुआ था “डायरेक्ट एक्शन डे” वाले दिन ?
डायरेक्ट एक्शन डे वाले दिन पूरे शहर में पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई। हिंदुओं को उनके घरों से खींच खींचकर काट डाला गया। हिन्दुओं की छोटी बच्चियों से लेकर बुजुर्ग माताओं तक के किए गए सामूहिक बलात्कार
– अगले 72 घंटों में 6 हजार से ज्यादा हिंदुओं की हत्या कर दी गई। कोलकाता और आसपास की सड़कें हिंदुओं की लाशों से पटी पड़ी थी।
– खून की प्यासी भीड़ ने हिंदू माताओं/बहनों/बेटियों के गुप्तांग तक गोद डाले थे। हजारों हिंदू महिलाओं के स्तन काटकर नग्न शरीर मांस की दुकानों पर लटका दिया गया। सार्वजनिक जगहों पर गौमाताओं के साथ किए गए सामूहिक बलात्कार
– कोलकाता से शुरू हुआ हिंदुओं के जनसंहार का ये दौर नोआखाली, बिहार और पंजाब भी पहुंच गया। हिंदुओं की लाशों से शमशान सी दिखने लगी थी कोलकाता की गलियां। चारों और केवल हिंदुओं की लाशें और उनके आस-पास जानवर और चील कोए मंडराते दिखते थे
– सुहरावर्दी खुद लालबाग के पुलिस हेडक्वार्टर में उपस्थित होकर इस्लामिक दंगाईयों के विरुद्ध पुलिस कार्यवाही को रोके हुए था। कम्युनिस्ट नेता सईद अब्दुल्ला फारुकी ने जिहादी झुंड के साथ मिलकर लिछुबागान के ओड़िया मजदूरों की स्लम बस्ती पर हमला कर दिया
– गार्डन रिच टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन का अध्यक्ष था कम्युनिस्ट नेता सईद अब्दुल्ला फारुकी। केसोराम कोटन मिल्स के 600 ओड़िया मजदूरों का निर्ममतापूर्वक कत्ल कर दिया गया। मजदूरों ने दंगाइयों को दिखाया था कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े होने का कार्ड। लेकिन इस्लामिक जिहादियों के आगे काम नहीं आई वामपंथी राजनीतिक पहचान
– कोलकाता के मेयर एसएन उस्मान ने बांटे थे बांग्ला भाषा में लिखे हुए पम्पलेट। पम्पलेट पर लिखा था “काफेर! तोदेर धोंगशेर आर देरी नेई. सार्बिक होत्याकांडो घोतबे”। जिसका मतलब था, “काफिरों! तुम्हारा अंत अब ज्यादा दूर नहीं है. अब हत्याकांड होगा”
– हजारों हिंदुओं को हुगली में फेंक दिया गया। सैकड़ों हिंदुओं के हाथ-पैर बांधकर नाले में फेंक दिया गया, जिससे वे घुट-घुटकर मर गए। अनगिनत लोगों के हाथ-पैर बांधकर घरों में छोड़ दिया गया और बाहर से आग लगा दी गई, जिससे वे जलकर मर गए।
मुस्लिम लीग के आगे झुक गई कांग्रेस
– डायरेक्ट एक्शन डे के बाद मुस्लिम लीग के आगे झुक गई कांग्रेस। नेहरू-गांधी ने स्वीकार कर लिया भारतवर्ष का बंटवारा। भारत की स्वतंत्रता से एक दिन पहले यानि 14 अगस्त को बना दिया गया पाकिस्तान। 14 अगस्त 1947 को फिर शुरू हुआ हिंदुओं का जनसंहार। जिसमे लगभग 20 लाख से ज्यादा हिंदुओं का कत्ल हुआ। लाखों हिंदू महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। लगभग डेढ़ करोड़ से ज्यादा हिंदुओं को करना पड़ा था पलायन।
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