नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले को संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव और राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी के खिलाफ मानहानिकारक ट्वीट करने के मामले में दोषी ठहराया। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की अध्यक्षता वाली पीठ ने गोखले को माफी मांगने और 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया।
2021 में पुरी ने आरोप लगाया था कि गोखले ने जिनेवा में उनके स्वामित्व वाले एक अपार्टमेंट के संदर्भ में उनकी वित्तीय स्थिति के बारे में झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल किया था। न्यायालय ने गोखले को निर्देश दिया कि वे अपने आपत्तिजनक ट्वीट्स के लिए बिना शर्त माफी मांगें और यह माफीनामा उसी ट्विटर (अब एक्स) हैंडल पर साझा करें, जिससे अपमानजनक ट्वीट किए गए थे। इसके अलावा, उन्हें एक प्रमुख समाचार पत्र में भी माफीनामा प्रकाशित करने का आदेश दिया गया है।
न्यायालय ने कहा, “आपत्तिजनक ट्वीट अपने आप में मानहानिकारक हैं और इससे वादी की प्रतिष्ठा को अनावश्यक कानूनी क्षति पहुंची है, जिसके लिए निवारण आवश्यक है।” अदालत ने यह भी माना कि किसी भी राशि से प्रतिष्ठा को हुए नुकसान की पूरी भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन प्रतिवादी को माफी मांगना और हर्जाना देना जरूरी है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रतिवादी को आठ सप्ताह के भीतर वादी को 50 लाख रुपये का हर्जाना देना होगा। साथ ही, न्यायालय ने गोखले को निर्देश दिया कि वे इस मामले से संबंधित कोई भी सामग्री किसी भी सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंच पर प्रकाशित न करें।
दिल्ली उच्च न्यायालय का यह फैसला प्रतिष्ठा और छवि को धूमिल करने के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट संदेश जाता है कि सोशल मीडिया पर किसी के प्रति अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने वालों को कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।
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