लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव उत्तराखंड और पश्चिम उत्तर प्रदेश का चुनाव परिणाम मिलते जुलते रहे हैं,लेकिन इस बार उत्तराखंड के नतीजे पश्चिमी उत्तर प्रदेश से अलग रहे। यहां की पांचों लोकसभा सीट भाजपा ने जीत ली। उधर, हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से पार्टी ने चारों सीटों पर जीत हासिल की है।
उत्तराखंड में पहले चरण में ही मतदान हो जाने से राज्य के मतदाता भीषण गर्मी से बचे रहे। राज्य में हो रहे विकास कार्यों ने लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा जमीन जिहाद, मजार जिहाद पर प्रभावी कार्रवाई ने भी मतदाताओं में खासी जगह बनाई।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने जा रही है। इससे यहां के लोगों में प्रसन्नता है। यह भी भाजपा के पक्ष में मतदान किए जाने का एक बड़ा कारण रहा। हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा में सरकार की सख्त कार्रवाई ने भी लोगों के बीच संदेश गया कि सरकार कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त है।
हरिद्वार से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 6,44,056 मतों से जीत हासिल की। राजघराने की परंपरागत सीट टिहरी से महारानी राज्य लक्ष्मी शाह ने 2,72,493 मतों से जीत हासिल कर चौथी बार सांसद बनी हैं। पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व पूर्व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने पौड़ी गढ़वाल से जीत दर्ज की। उन्हें 4,32,159 वोट मिले। वहीं, नैनीताल से रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने रिकॉर्ड 61.03 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत दर्ज की। उन्हें 7,72,671 वोट मिले। अल्मोड़ा से पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा ने 2,34,097 मतों से जीत हासिल की है।
उधर, हिमाचल प्रदेश में मोदी फैक्टर के साथ—साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव में पिछली हार से सबक लेते हुए गुटबाजी को दरकिनार कर एकजुट होकर लोकसभा का चुनाव लड़ा। कांग्रेस की राज्य सरकार के द्वारा वायदे पूरे नहीं किए जाने का खमियाजा कांग्रेस प्रत्याशियों को भुगतना पड़ा। साथ ही कांग्रेस के भीतर गुटबाजी का भी भाजपा को फायदा मिला।
भाजपा ने चुनावों की घोषणा से पहले ही प्रत्याशी घोषित कर,चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। 75 दिनों के प्रचार में भाजपा ने 102 जनसभाएं करके अपनी संगठन क्षमता का परिचय दिया। पीएम मोदी द्वारा हिमाचल के लोगों के बीच अपनी पुरानी यादें ताजा करने का भी भावनात्मक लगाव मतदाताओं को प्रभावित कर गया।
मंडी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य ने अपनी प्रतिद्वंद्वी और अभिनेत्री कंगना रनौत के लिए जो शब्दावली इस्तेमाल की और सोशल मीडिया पर जिस तरह का अभियान चलाया, उससे मंडी की जनता में खास तौर पर महिलाओं में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई।
कंगना रनौत ने हिमाचल की बेटी होने की बात बोलकर जिस तरह चुनाव प्रचार किया, उसका मतदाताओं में सीधा असर हुआ। कंगना रनौत ने विक्रमादित्य सिंह को 74,755 मतों से हराया। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पांचवीं बार लोकसभा पहुंचे हैं। उन्हें 6,07,068 वोट मिले। कांगड़ा से डॉ. राजीव भारद्वाज ने कांग्रेस के दिग्गज, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को हराया, जबकि प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को पराजित किया।
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