लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका है और जब पार्टी ने समीक्षा की तो बसपा की ओर से तमाम बातों के अतिरिक्त यह भी कहा गया कि बहुजन समाज पार्टी का खास यंग मुस्लिम समाज, जो पिछले की चुनावों में व इस बार भी लोकसभा आम चुनाव में उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद बीएसपी को ठीक से नहीं समझ पा रहा है तो अब ऐसी स्थिति में इनको आगे काफी सोच समझकर के ही चुनाव में पार्टी द्वारा मौका दिया जाएगा। ताकि आगे पार्टी को भविष्य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान न हो।
यह गौरतलब है कि बसपा के मुस्लिम लोकसभा उम्मीदवारों को भी मुस्लिम समुदाय ने नकार कर सपा और कॉंग्रेस पर भरोसा जताया और बसपा को निराश होना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी को भी मुस्लिम समाज ने वोट नहीं दिया। बसपा ने इसी को संज्ञान में लेते हुए यह कहा कि जो समुदाय उन्हें वोट नहीं दे रहा है, अब उसके प्रतिनिधियों को सोच समझकर ही टिकट दिया जाएगा, क्योंकि यह स्पष्ट है कि चुनाव लड़ने में पार्टी के संसाधन एवं समय आदि निवेश किए जाते हैं। अब यदि निवेश के उपरांत भी उसमें रिटर्न लगातार शून्य आए, तो यह सभी को अधिकार होता है कि वह जाँचे कि निवेश सही जगह हो रहा है या नहीं।
यदि पार्टी सुप्रीमो ने ऐसा कहा भी तो क्या हुआ, मगर मायावती का यह कहना कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के नेताओं को टिकट दिया, मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों को अखर गया। उन्हें इस बात पर बेइज्जती अनुभव हुई कि मुस्लिम समुदाय को टिकट देने वाली बहन जी कौन होती है? इनमें सबसे प्रमुख नाम था कमाल आर खान का। कमाल आर खान अपने विवादित और भड़काऊ बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। पूरे चुनावों के मौसम में कमाल आर खान की एक्स पर वाल पर मोदी विरोधी पोस्ट देखे जा सकते थे। कमाल आर खान की एक और पहचान है कि उसका भाई बसपा का नेता भी है और बसपा की ओर से कमाल आर खान के भाई माजिद अली को सहरानपुर से प्रत्याशी भी बनाया गया था।
जब मुस्लिम समाज को लेकर मायावती की प्रतिक्रिया पर पहले कमाल आर खान ने एक्स पर पोस्ट लिखा, “ना ही तेरी घटिया पार्टी का टिकट किसी मुस्लिम को चाहिए और ना ही किसी मुस्लिम को तेरे को वोट देना है। अब अपने घर पर बैठकर CM बनने के सपने देख! अब आगे देश को लूटने का मौक़ा नहीं मिलेगा!”
इसके बाद एक और कमाल आर खान का पोस्ट या किसी की पोस्ट पर जबाव वायरल हो रहा है, जिसमें उसने लिखा है, “बहन जी ने टिकट दिया! कौन है बहन जी? बहन जी को बोलो शौचालय साफ करे! यही औकात है उसकी!”
अम्बेडकरवादी कार्यकर्ता सूरज कुमार बौद्ध ने कई ऐसे स्क्रीन शॉट साझा किए, जिसमें मायावती पर जातिसूचक एवं अपमानजनक टिप्पणियाँ की गई थीं। जिसमें कमाल आर खान ने उनके शरीर पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की थीं, जैसे हाथी नुमा बहन, उसके घर पर झाड़ू पोंछा करने वाली, शौचालय साफ करने वाली आदि।
सूरज कुमार बौद्ध ने एक और व्यक्ति सलमान खान का पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि के आर के अकेला नहीं है, जो बहन जी को अभद्र टिप्पणियाँ कर रहा है। पूरा जत्था ही बहन जी के खिलाफ नीचता पर उतर आया है। फिर आगे लिखा कि एससी समाज को सब अछूत समझते हैं!
एससी समाज को सब अछूत समझें या नहीं, मुस्लिम समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग अवश्य ही बहुत हद तक अछूत समझता है और वह गाहे-बगाहे उनके कई वक्तव्यों से परिलक्षित होता रहता है। जोगेन्द्र नाथ मण्डल तो लोगों को याद होंगे ही। जब पाकिस्तान का गठन हुआ था, तो उसमें जोगेन्द्र नाथ मण्डल का भी योगदान था। उन्होंने बंटवारे से पहले की राजनीति में दलितों को मुस्लिम लीग से जोड़ा था और फिर वे पाकिस्तान चले गए थे। पाकिस्तान जाकर उन्हें असलियत का पता चला। वर्ष 1950 में निराश होकर वह भारत चले आए थे क्योंकि उन्होंने देखा कि कैसे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसा हो रही है।
जिस दलित-मुस्लिम एकता के छलावे में बंधे हुए वे पाकिस्तान आए थे, वह कभी थी ही नहीं। उन्होनें लियाकत अली को भेजे गए अपने इस्तीफे में पाकिस्तान की हिन्दू विरोधी नीति, फरवरी 1950 में ढाका में हुए हिन्दू विरोधी दंगों आदि का उल्लेख किया था।
वहीं वर्ष 2021 में एक और घटना से पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत में भी बवाल मच गया था। वजह थी कि पाकिस्तान में सफाई कर्मियों की नौकरी केवल गैर मुस्लिमों जैसे ईसाइयों और हिंदुओं के लिए आरक्षित है। ऐसा ही एक वाकया वर्ष 2018 में सामने आया था जिसमें पाकिस्तानी सेना का एक विज्ञापन था, जिसमें लिखा था कि सफाई कर्मियों के लिए गैर-मुस्लिम ही आवेदन करें।
इसे लेकर बहुत बवाल हुए थे और जातिसूचक अपशब्द तो पाकिस्तान के कई लोगों द्वारा समय-समय पर व्यक्त किये जाते रहते हैं। यह भी कहा जाता है कि विभाजन के समय कुछ जातियों के लोगों को जानबूझकर भारत नहीं आने दिया गया, जिससे कि वहाँ पर सफाई कर्मियों का कार्य कौन करेगा?
भारत में भी ऐसी मानसिकता समय-समय पर दिखाई देती रहती है जब मायावती जैसी बड़ी नेताओं के साथ भी जातिसूचक शब्दों के साथ शाब्दिक हिंसा की जाती है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि कमाल आर खान ने मायावती के खिलाफ किए गए सारे पोस्ट्स हटा लिए हैं, मगर यह कमाल आर खान ने एक्स पर अपने खिलाफ हैशटैग चलने, अपने खिलाफ पुलिस में शिकायत करने के बाद किया गया है। हालांकि, अभी भी कई पोस्ट्स उसकी टाइमलाइन पर है, जिनमें मायावती पर हमला बोला गया है और साथ ही अपमानजनक बातें की गई है। और कमाल आर खान ने यह भी अपनी पोस्ट में पुलिस को टैग करते हुए लिखा है कि उसने मायावती का नाम कहीं नहीं लिखा था।
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मगर फिर भी जो स्क्रीन शॉट हैं, वे अपने आप में प्रमाण हैं कि कैसे एक व्यक्ति जिसकी मानसिकता में भारत विरोध है, जिसकी मानसिकता में हिन्दू विरोध है और जिसकी बहुत ही घृणित जातिवादी मानसिकता है, जिसके चलते उसने अभिनेता धनुष के रूप रंग पर भी जातिवादी टिप्पणी की थी, जिस पर उसकी महिला फिटनेस ट्रेनर भी शोषण के आरोप लगाए हैं, वह इस प्रकार एक बार फिर भारत की एक बड़ी नेता के विषय में अपमानजनक टिप्पणी कर रहा है और वह भी तब जब उसके अपने भाई को उन्हीं मायावती ने प्रत्याशी बनाया हो। यह कृतघ्नता नहीं तो और क्या है? और यहाँ पर मायावती के स्थान पर कोई भी महिला होती तो यही प्रश्न होता कि आखिर दलित वर्ग की महिलाओं से इस सीमा तक नफरत क्यों?
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