दिल्ली में 2020 में हुए हिंसा मामले में आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका को कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेई ने खारिज कर दिया है। 13 मई को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था, जिसके बाद आज कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया।
याचिका में पेश किए गए तर्क
उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदीप पेस ने कोर्ट में अनेक तर्क पेश किए। पेस ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट में उमर खालिद का नाम बार-बार प्रयोग किया गया है, मानो यह कोई मंत्र हो। उन्होंने कहा कि चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो सकता।
पेस ने दावा किया कि उमर खालिद के खिलाफ मीडिया ट्रायल भी चलाया गया और जमानत पर फैसला लेते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज का समग्र परीक्षण करना चाहिए। उन्होंने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन का उदाहरण देते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की।
अभियोजन पक्ष की दलीलें
दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया। प्रसाद ने कहा कि हाई कोर्ट ने पहले ही उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और सेशंस कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि जमानत पर विचार करते समय सभी तथ्यों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और याचिका के दौरान जांच में किसी भी गड़बड़ी का दावा नहीं किया जा सकता।
गुप्त बैठकों का मुद्दा
अभियोजन पक्ष ने उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी के गुप्त बैठकें करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि ये बैठकें पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में हुई थीं। इस कथन का आधार गवाह के बयान और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) था। उमर खालिद की ओर से तर्क दिया गया कि सीडीआर के अनुसार, सभी आरोपित एक साथ उसी समय और तिथि पर नहीं थे।
हाई कोर्ट का पिछला फैसला
उमर खालिद की जमानत याचिका पहले भी हाई कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है। 18 अक्टूबर 2022 को हाई कोर्ट ने उमर खालिद की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सभी तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापसी
उमर खालिद ने पहले सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसे वापस ले लिया और ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की।
बरहाल कोर्ट के ताजा फैसले के बाद उमर खालिद को अभी जेल में ही रहना होगा। 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में खालिद को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।
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