राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल को लेकर दिल्ली में मामला गरमाया हुआ है और अब मीडिया का एक बड़ा वर्ग स्वाति को झूठा ठहराने में लग गया। आम आदमी पार्टी की ओर से भी आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यही प्रमाणित किया कि स्वाति मालीवाल दरअसल भारतीय जनता पार्टी के मोहरे के रूप मे कार्य कर रही हैं। आतिशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने संजय सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस को झूठा साबित किया।
पार्टी के नेताओं का यह कहना कि स्वाति इसलिए झूठ बोल रही हैं क्योंकि वह मारपीट के बाद भी विभव को गाली देती हुई दिख रही हैं। यह बात बहुत ही चौंकाने वाली है। यह तो फिर से कबीलाई मानसिकता है। अगर लड़की के साथ मारपीट हुई है तो क्या उसे केवल रोना चाहिए ? अगर वह लड़ रही है तो क्या उसका चरित्र ठीक नहीं है?
स्वाति ने एफआईआर में यह बताया था कि कैसे उन्हें मारा गया और उनकी शर्ट ऊपर की ओर आ रही थी। इस पर आतिशी का यह कहना कि वीडियो जो सामने आया है उसमें स्वाति मालीवाल के कपड़े ठीक हैं और वह दर्द से कराह नहीं रही हैं। यह सोच किस सीमा तक महिला विरोधी है, कि इसे कहा ही नहीं जा सकता है। आतिशी का मत क्या है कि क्या यदि किसी महिला के साथ हुई मारपीट में उसके कपड़े खराब हो जाते हैं, तो उसे कपड़े ठीक नहीं करने चाहिए? उसे इसी प्रकार ऊंचे उठे कपड़ों मे ही घूमना चाहिए? क्या उसे गुस्सा होने का अधिकार नहीं है? क्या उसे अपना प्रतिरोध ऊंची आवाज में दर्ज नहीं कराना चाहिए? अब स्वाति मालीवाल की मेडिकल रिपोर्ट भी आ गई है और इसमें यह पुष्टि हुई है कि उनके चेहरे, आँखों और टांगों पर चोट आई हैं। मेडिकल के समय भी स्वाति मालीवाल दर्द में थीं।
https://x.com/erbmjha/status/1791718178915307846?
स्वाति मालीवाल के मामले मे जो सबसे हैरान करने वाला दृष्टिकोण रहा, वह कथित रूप से सेक्युलर पत्रकारों का रहा, कथित क्रांतिकारी पत्रकारों का रहा। जैसे ही अरविन्द केजरीवाल के पीए द्वारा किए गए हमले की जानकारी सामने आई, वैसे ही एक टूलकिट का संदेश फॉरवर्ड होने लगा कि “मैं विभव कुमार को 13 वर्षों से जानता हूँ!” एकदम से ही कई पत्रकारों के एक्स पर पोस्ट आ गए, जो खुद के पत्रकार होने का दावा करते थे। हर मामले मे जांच की बात करने वाले पत्रकार पुलिस की जांच का इंतजार तक करने के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि अभी कई पोस्ट डिलीट कर दिए गए हैं, परंतु लोगों ने स्क्रीन शॉट्स लेकर साझा कर दिए।
https://x.com/choga_don/status/1791304009615397299?
वहीं सिलेक्टिव रूप से वीडियो जारी किए जा रहे हैं और प्रश्न यह है कि लोग इस बात को समझ रहे हैं कि वीडियो सिलेक्टिव रूप से जारी किए जा रहे हैं, तो फिर कथित पत्रकार कैसे यह नहीं समझ रहे हैं या फिर समझना नहीं चाह रहे हैं? आम आदमी पार्टी के समर्थक अब स्वाति मालीवाल के चरित्र हनन पर उतार आए हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्य सामने आने से पहले ही उस महिला की छवि को नष्ट करने का कार्य किया जाने लगा जो भारत की संसद की सदस्य हैं। स्वाति मलीवाल की साथी ने भी एक्स पर पोस्ट किया:
https://x.com/VandanaSsingh/status/1791533017623634066?
स्वाति मालीवाल ने भी यह एक्स पर पोस्ट किया कि “पार्टी में कल के आए नेताओं से 20 साल पुरानी कार्यकर्ता को BJP का एजेंट बता दिया। दो दिन पहले पार्टी ने PC में सब सच क़बूल लिया था और आज U-Turn”
https://x.com/SwatiJaiHind/status/1791467669423600021?
राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप चलते रहते हैं। परंतु यह बहुत अजीब प्रकार की राजनीति या कथित पत्रकारिता है कि एक पार्टी के सदस्य की पीड़ा को इस कारण झूठा ठहराया जाए क्योंकि उसकी पीड़ा उठाने के कारण पार्टी को नुकसान होगा? राजनेता ऐसा कर सकते हैं, परंतु कथित स्वतंत्र पत्रकार?
जो मूल प्रश्न है कि किसी भी महिला राजनेता को एक मुख्यमंत्री आवास मे पीटा जाता है, उसे कैसे कोई जायज ठहरा सकता है? चर्चा व्यक्ति पर नहीं होनी चाहिए, चर्चा इस पर होनी चाहिए कि क्या मुख्यमंत्री आवास में यदि महिला नेता के साथ ऐसा हो सकता है तो आम महिलाओं के साथ क्या होता होगा? यह महिला सुरक्षा और महिलाओं को अपनी खेती मानने जैसी घृणित मानसिकता का मामला है। यह पार्टी का मामला नहीं बल्कि महिला सम्मान का मामला है और आम आदमी पार्टी द्वारा स्वाति मालीवाल के चरित्र हनन से यह बात पूरी तरह से स्पष्ट होती है कि महिला सम्मान को लेकर यह पार्टी कहां खड़ी है?
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