Nepal : 100 का नया नोट लाया हिमालयी देश में राजनीतिक भूचाल, राष्ट्रपति के सलाहकार को देना पड़ा त्यागपत्र
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Nepal : 100 का नया नोट लाया हिमालयी देश में राजनीतिक भूचाल, राष्ट्रपति के सलाहकार को देना पड़ा त्यागपत्र

भारत पहले ही इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज करा चुका है। नेपाल के नए नोट पर छापे गए भारतीय इलाके हैं लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा

by WEB DESK
May 13, 2024, 05:30 pm IST
in विश्व
चिरंजीबी नेपाल

चिरंजीबी नेपाल

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भारत के पड़ोसी हिमालयी देश में छपा 100 रुपए का नया नोट भारत के हिस्सों को अपने नक्शे में दिखाकर राजनीतिक भूचाल लाए हुए है। वहां प्रचंड सरकार द्वारा भारत के सीमांत हिस्सों को अपना दिखाने वाला नक्शा 100 रु. के नए नोट पर छापने को लेकर विरोधी स्वर सुनने में आ रहे हैं। कुछ हैं जो सरकार के इस फैसले के पक्ष में हैं तो कुछ इसका विरोध करके ‘प्रचंड ताप’ को सहने को विवश हैं। भारत पहले ही इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज करा चुका है। नेपाल के नए नोट पर छापे गए भारतीय इलाके हैं लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा। नेपाल इन इलाकों को अपना बताता आ रहा है।

नए घटनाक्रम में हुआ यह है कि हिमालयी देश के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के आर्थिक सलाहकार चिरंजीबी नेपाल ने इस विवाद में दखल देते हुए नोट पर भारतीय इलाके दिखाए जाने को लेकर प्रचंड सरकार पर टीका-टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि प्रचंड सरकार का ऐसा करना ठीक नहीं है। उनकी इस बात पर सरकार में शामिल कुछ दलों ने कहा कि सलाहकार महोदय को ऐसा नहीं कहना चाहिए था।

Representational Image

नए नोट के मामले पर प्रचंड सरकार की आलोचना के बाद राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकार चिरंजीबी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। यानी 100 रुपये के नए नोट पर प्रचंड सरकार को घेरना उन्हें महंगा पड़ेगा। चिरंजीबी नेपाल केंद्रीय बैंक के गवर्नर रह चुके हैं। लेकिन बड़ी बेबाकी से भारत के इलाकों को अपना दिखाने वाले नेपाल के नक्शे पर सवाल उठाने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि ऐसा करना सही नहीं है।

प्रधानमंत्री दहल ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से चिरंजीबी के बयान पर चर्चा की। उन्हें बताया कि बहुत से लोग मांग कर रहे हैं कि चिरंजीबी नेपाल को उनके पद से हटाया जाए। इनमें भारत में राजदूत रहे नीलांबर आचार्य, भ्रष्टाचार विरोधी विभाग के पूर्व अध्यक्ष सूर्यनाथ उपाध्याय तथा पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के सलाहकार सुशील पयाकुरेल प्रमुख रूप से शामिल थे।

100 रु. के इन नए नोटों को इस नक्शे के साथ छापने का निर्णय प्रधानमंत्री प्रचंड की कैबिनेट ने पिछले हफ्ते ही लिया है। यह कदम जब भारत के संज्ञान में आया तो भारत ने इसके लिए नेपाल की आलोचना की और कहा कि लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी इलाका नेपाल का अंग नहीं है। भारत ने इसे नेपाल का इकतरफा फैसला बताकर इसके लिए विरोध दर्ज कराया था।

इस बारे में काठमांडू पोस्ट ने भी एक रिपोर्ट प्रकाशित करके चिरंजीबी के इस्तीफे की पुष्टि की है। राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी करके इस बारे में बताया है। इस बयान में लिखा है कि राष्ट्रपति पौडेल ने चिरंजीबी को इस पद पर रहते हुए उनके दिए योगदान के लिए उनको धन्यवाद दिया है।

दरअसल चिरंजीबी नेपाल ने 100 रु. के नए नोट पर भारतीय इलाकों को शामिल दिखाए के प्रचंड सरकार के कदम को बिना सोचे—समझे उठाया गया कदम कहा था। उनकी इस बात पर सबसे पहले ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराया था। ओली ने भी राष्ट्रपति के निवर्तमान आर्थिक सलाहकार की सबके सामने आलोचना करके अपनी नाराजगी जताई थी।

इसके बाद प्रधानमंत्री दहल ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से चिरंजीबी के बयान पर चर्चा की। उन्हें बताया कि बहुत से लोग मांग कर रहे हैं कि चिरंजीबी नेपाल को उनके पद से हटाया जाए। इनमें भारत में राजदूत रहे नीलांबर आचार्य, भ्रष्टाचार विरोधी विभाग के पूर्व अध्यक्ष सूर्यनाथ उपाध्याय तथा पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के सलाहकार सुशील पयाकुरेल प्रमुख रूप से शामिल थे।

Topics: Indiaप्रधानमंत्री दहलnoteनेपालPrime ministerभारतnepalControversyresignationcurrency
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