आपकी मृत्यु के बाद आपकी आधी सम्पत्ति जब्त करने के कानून की वकालत कर कॉन्ग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने राहुल गाँधी के उस बयान के पीछे की मंशा को सामने लाकर रख दिया है, जिसमें राहुल गाँधी ने ‘सम्पत्ति के सर्वे और उसे दोबारा बाँटने’ की बात कही थी। इसके लिए सैम पित्रोदा ने अमेरिकी कानून का हवाला दिया है।
लोगों की संपत्ति की जाँच कराना और जिसकी ज्यादा संपत्ति हो उसे सरकार द्वारा अपने कब्जे में ले लेना। फिर इस संपत्ति को उन्हें दे देना, जिनके पास संपत्ति कम है। ये जितना सुनने में क्रांतिकारी लग रहा है वास्तविकता में उतना ही खतरनाक है, जिसका अंदाजा किसी को नहीं है।
गैर मुस्लिमों पर ही होगा लागू?
एक बार को मान लें कि इंडी गठबंधन बहुमत पाता है और कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह अपने घोषणा पत्र में किए दावे के अनुसार सारे ‘पर्सनल लॉ’ वापस लाएगी। जिसमें शरियत, तीन तलाक सहित वह सभी गैर-हिंदू कानून, जिसपर कोर्ट भी रोक लगा चुका है और मौजूदा सरकार कानून बना चुकी है, उन्हें वह वापस लाएगी। इसमें आर्टिकल 370 और 35ए भी शामिल है। जिसका अर्थ है कि जम्मू-कश्मीर में पहले की तरह ही अलग निशान, अलग प्रधान, अलग विधान चलने लगेगा। साथ ही मुस्लिमों के सारे वाद-विवाद, जिसमें उत्तराधिकार कानून भी है, वो सब पर्सनल लॉ के दायरे में आ जाएँगे।
नहीं होगी पर्सनल लॉ से छेड़छाड़
अब सैम पित्रोदा, राहुल गाँधी के बयान और कांग्रेस के घोषणा पत्र की मानें तो अगर पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ होगी नहीं जिससे मुस्लिमों का उत्तराधिकारी वाला नियम जस का तस रहेगा। बदलेगा तो गैर मुस्लिमों का जिसमें सबसे ज्यादा हिंदू प्रभावित रहेंगे। और सैम पित्रोदा ने जिस कानून की बात कर कांग्रेस की मंशा स्पष्ट कर दी है अगर वह लागू हुआ तो केवल गैर मुस्लिमों जिनमें हिंदू संख्या अधिक है उनकी संपत्ति का 55 प्रतिशत हिस्सा सरकार के पास चला जाएगा। जिसे बाद में वेल्थ री-डिस्ट्रीब्यूशन के नाम पर अन्य लोगों में बाँट दिया जाएगा। जिसमें वे मुस्लिम भी शामिल होंगे जो खुद को गरीब मानते हैं। हालांकि उनकी संख्या में कभी कमी नहीं आएगी।
कुल मिलाकर कांग्रेस की इस वसूली से सबसे ज्यादा प्रभाव उन समुदायों पर पड़ेगा जिनपर हिंदुओं के कानून लागू होते हैं। जिनमे सिख, बौद्ध और जैन धर्म जैसे सनातनी भी शामिल हैं।
समझिए कैसे होता है इस्लाम में संपत्ति का बंटवारा..?
बता दें कि इस्लाम में संपत्ति का बंटवारा शरीयत ACT 1937 के जरिए होता है। जिसमें पर्सनल लॉ के तहत उत्तराधिकारी तय होते हैं। जिसमें मौत के बाद संपत्ति में से बेटी को बेटे से आधी संपत्ति देने का प्रावधान है। विधवा को संपत्ति का छठा हिस्सा मिलता है। ये चौथाई या आठवाँ हिस्सा भी हो सकता है। कोई सीधा उत्तराधिकारी न होने की सूरत में चौथाई और बेटा-पोता होने पर आठवाँ हिस्सा।
नहीं मिलता जन्म से अधिकार
यहां किसी को भी जन्म के साथ संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता। संपत्ति के लिए जरूरी है कि मौत के बाद मृतक का उत्तराधिकारी सभी क्रिया कर्म करके मृतक के सारे कर्ज चुकाए। इसके बाद ही मृतक की संपत्ति की कीमत या वसीयत निर्धारित की जाती है जिसके बाद उसे शरियत कानून के अनुसार रिश्तेदारों में बाँटा जाता है।
सरकार नहीं कर सकती कब्जा
शरीयत ACT 1937 के तहत एक बात और खास है, वो है संपत्ति का सरकार के कब्जे में न जाना। न ही कोई व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति का वसीयत कर सकता है और न ही सरकार किसी मुस्लिम की पूरी संपत्ति को कब्जा कर सकती है, क्योंकि मुस्लिमों में उत्तराधिकार के लिए पति-पत्नी, माता-पिता, बेटा-बेटी, दूसरी-तीसरी पत्नी, पोता-पोती सबकी हिम्मेदारी लग सकती है, लेकिन पूरी संपत्ति की वसीयत नहीं की जा सकती।
गुरु बताकर पल्ला झाड़ रही कांग्रेस
सैम पित्रोदा के बयान से जैसे ही लोगों ने कांग्रेस के मंसूबों को भांपकर सोशल मीडिया पर विरोध जताना शुरू किया उसके तत्काल बाद ही कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता के बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सैम पित्रोदा को गुरु और मार्गदर्शक बताकर उनके बयान को ‘निजी’ बता दिया।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से बढ़ते दबाव को देखते हुए सैम भी अपने बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगा रहे हैं, साथ ही कह रहे हैं कि वो बस उदाहरण दे रहे थे। ये अलग बात है कि उदाहरण देने के बाद उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि हम भारत में इस तरह की चीजों के बारे में सोच सकते हैं।
डैमेज कंट्रोल में हुई देरी
बहरहाल अब डैमेज कंट्रोल करने में बहुत देर हो चुकी है लोगों को मनसूबे साफ नजर आ गए हैं। अब लोकतंत्र के इस सबसे बड़े मेले में लोग ही तय करेंगे की उन्हें पूरे देश में एक समान, एक विधान, एक निशान और एक जैसी कानून व्यवस्था चाहिए या फिर बहुसंख्यकों की संपत्तियों को छीनने की बात करने वाली पार्टी की सत्ता।
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