राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों के लगातार तीसरी बार भी अपनी झोली में आने की आस में भाजपा कोई सिरा ढीला नहीं छोड़ना चाहती। साल 2014 में हासिल सभी सीटों के बाद, 2019 में भाजपा ने आरएलपी के समर्थन में एक सीट छोड़ी और शेष सारी जीतीं। यह क्षेत्रीय पार्टी इस बार के चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से नागौर से फिर मैदान में है।
कांग्रेस ने सीकर की एक सीट कम्युनिस्ट पार्टी के लिए छोड़ी है और एक आदिवासी पार्टी (बीएपी) के लिए छोड़ते-छोड़ते रह गई। जालौर-सिरोही सीट से कांग्रेस के पक्ष में बीएपी को और बांसवाड़ा में बीएपी के समर्थन में कांग्रेस को सीट छोड़नी थी, लेकिन दोनों सीटें गफलत के बीच फंस गई हैं।
छोटे-बड़े स्तर के कांग्रेसियों का भाजपा में मिलने का जो दौर शुरू हुआ है, वह अब तक डेढ़ हजार का आंकड़ा पार कर चुका है। इनमें कुछ अपने पिछले किए-धरे से डर की वजह से, तो कुछ बदले में मिलने वाले राजनीतिक फायदों को देखते हुए दल-बदल कर रहे हैं।
हालांकि, भाजपा ने पार्टी बदलकर आये दो प्रत्याशियों को राजनीतिक समीकरणों की वजह से टिकट दिया है, एक नागौर से और एक बांसवाड़ा-डूंगरपुर से। जबकि भाजपा से कांग्रेस में आए नेताओं को, चूरू और कोटा से टिकट देकर कांग्रेस ने भी हिसाब बराबर कर लिया है। फिलहाल, भाजपा के खिलाफ कुछ है तो इतना ही कि दोहराए गये सांसदों में से कुछ माननीय अपने इलाके में निष्क्रिय रहे या विकास के कोई खास काम नहीं कर पाये। ऐसे प्रत्याशी, मोदी सरकार के काम और राम मंदिर के भरोसे ही चुनाव में हैं। जबकि, कुछ सांसदों को विधानसभा में उतारकर उनका दमखम टटोला गया और हार के बाद उनका टिकट काट दिया गया। कुछ भाजपा सांसदों के टिकट उनकी खराब स्थिति होने या विवाद होने की वजह से भी काटे गए हैं।
इस बार जिनको फिर मौका दिया गया है उनमें राज्यसभा सांसद और मंत्री को भी अलवर की सीट से जनमत हासिल करने का लक्ष्य मिला है। इधर, कांग्रेस को जिन मुद्दों की वजह से इस बार विधानसभा में करारी हार का सामना करना पड़ा, वे आम चुनावों में भी हावी हैं। मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष सहित कोई दिग्गज कांग्रेसी नेता चुनाव में नहीं उतरे हैं, बल्कि टिकट घोषणा के बाद कुछ कांग्रेसी प्रत्याशियों ने कहा कि उनसे तो पूछा ही नहीं गया। इसी वजह से कुछ सीटों पर नाम वापस भी लिये गये, और कुछ बिना मन से राजी हुए हैं।
कांग्रेस ने राजस्थान से ही अपना पार्टी घोषणापत्र भी जारी किया, जिसके मायने ये भी हैं कि यहां की कुछ सीटों पर उसकी उम्मीदें टिकी हैं और वह खुद को मुकाबले में मान रही है। वैसे कांग्रेस के पास खोने को कुछ है नहीं, और उसे एक-दो सीट भी हासिल होती है तो ये उपलब्धि ही होगी। साथ ही, राजस्थान की अकेली बाड़मेर-जैसलमेर सीट ऐसी है, जहां हाल ही में चुने निर्दलीय युवा विधायक के जोर-शोर से मैदान में डटे रहने से मुकाबला रोचक और त्रिकोणीय हो गया है।
इन सीटों पर रहेगी खास नजर
बाड़मेर-जैसलमेर: देश के दूसरे सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने केन्द्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को फिर से उतारा है, उनका मुकाबला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए उम्मेदाराम बेनीवाल से है। निर्दलीय युवा विधायक रवींद्र सिंह भाटी ने चुनाव मैदान में जोर-शोर से उतरकर, मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
नागौर: राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल पिछली बार भाजपा के सहयोग से सांसद थे। इस बार विधायक का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव मैदान में हैं। इधर, कांग्रेस से भाजपा पार्टी में आईं और हाल ही विधानसभा चुनाव में हारीं डॉ. ज्योति मिर्धा को टिकट मिला है।
बांसवाड़ा-डूंगरपुर: सबसे ज्यादा जनजातीय आबादी वाले इस इलाके में चार बार के विधायक और एक बार सांसद रहे कांग्रेसी नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय इस बार भाजपा में शामिल हुए और उन्हें टिकट मिल गया। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीएपी) के दो बार के युवा विधायक राजकुमार रोत ही मुख्य मुकाबले में हैं।
दौसा: सचिन पायलट के परिवार की कर्म भूमि रही इस सीट पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक और मंत्री रह चुके मुरारीलाल मीणा के सामने भाजपा के कन्हैयालाल मीणा हैं।
झुंझुनूं: शेखावाटी की इस सीट से छह बार सांसद रहे कांग्रेसी नेता शीशराम ओला के बेटे, चार बार के विधायक और मंत्री रहे बृजेन्द्र ओला कांग्रेस प्रत्याशी हैं। भाजपा के एक बार के विधायक शुभकरण चौधरी मैदान में हैं।
सीटों का समीकरण
जोधपुर: इस सीट पर पिछली बार अशोक गहलोत के बेटे हारे थे। कांग्रेस ने यहां से रियल एस्टेट के व्यवसायी करणसिंह उचियाड़ा को मैदान में उतारा है। भाजपा ने तीसरी बार भी जल-शक्ति मंत्री रहे गजेंद्र सिंह शेखावत पर भरोसा जताया है।
बीकानेर: यहां तीन बार से भाजपा की ओर से अर्जुनराम मेघवाल जीतते आ रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे गोविंदराम मेघवाल हैं, जो पहले भाजपा में रहे हैं।
गंगानगर: भाजपा ने नगर परिषद की सभापति प्रियंका बैलाण के चेहरे को मौका दिया है। कांग्रेस ने जिला प्रमुख कुलदीप इंदौरा को मैदान में उतारा है।
पाली: यहां से दो बार के सांसद पीपी चौधरी फिर से भाजपा के प्रत्याशी हैं। वहीं कांग्रेस से बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष रहीं संगीता बेनीवाल को मौका मिला है।
सीकर: ये सीट कांग्रेस के साथ माकपा के गठबंधन में है। चार बार के विधायक माकपा नेता अमराराम चुनाव मैदान में हैं। भाजपा से दो बार से लगातार सांसद रहे, सुमेधानंद सरस्वती को फिर टिकट मिला है।
चूरू: विधानसभा में वरिष्ठ भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ के हारने के बाद यहां पिछले दो चुनाव जीते सांसद राहुल कस्वां को पार्टी ने किनारे किया तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थामकर, अपनी दावेदारी कर दी है। भाजपा ने इस बार पैरा ओलंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया को मैदान में उतारा है।
कोटा-बूंदी: यहां टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा नेता प्रहलाद गुंजल पार्टी बदलकर कांग्रेस के टिकट पर खड़े हैं और भाजपा से लोकसभा स्पीकर ओम बिरला फिर से प्रत्याशी हैं।
झालावाड़-बूंदी: यहां से चार बार के सांसद वसुंधरा-पुत्र दुष्यंत को फिर टिकट मिला है। उन्हें, पहले चुनाव हार चुकी, कांग्रेस की जिÞला प्रमुख उर्मिला जैन भाया चुनौती दे रही हैं।
जयपुर शहर: भाजपा ने वरिष्ठ नेता भंवर लाल शर्मा की बेटी और पहले विधायक का चुनाव हार चुकीं मंजू शर्मा को खड़ा किया है। उनके सामने कांग्रेस के दो बार के विधायक और मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास हैं।
जयपुर ग्रामीण: यहां से सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ के विधायक चुने जाने के बाद, तीन बार विधायक रहे राव राजेन्द्र सिंह को टिकट मिला है। उनके सामने युवा कांग्रेसी नेता अनिल चोपड़ा हैं।
टोंक-सवाई माधोपुर: पूर्व पुलिस अधिकारी हरीश चंद्र मीणा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। उनके सामने दो बार के सांसद और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुखबीर सिंह जौनपुरिया को तीसरी बार टिकट मिला है।
अजमेर: भाजपा ने मौजूदा सांसद पीपी चौधरी पर भरोसा किया है। मुकाबले में कांग्रेस ने डेयरी अध्यक्ष रहे रामचंद्र चौधरी को उतारा है।
अलवर: भाजपा के राज्यसभा सांसद और मंत्री भूपेन्द्र यादव के मैदान में उतरने के साथ ही मुकाबला रोचक है। कांग्रेस के मौजूदा विधायक ललित यादव को प्रत्याशी बनाया है।
करौली-धौलपुर: इस सीट पर भाजपा ने सांसद मनोज राजौरिया की जगह संगठन में सक्रिय इंदुदेवी जाटव को मौका दिया गया है। उनके सामने कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे, भजनलाल जाटव को मौका मिला है।
भरतपुर: एससी मोर्चा के उपाध्यक्ष रहे रामस्वरूप कोली को भाजपा से टिकट मिला है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ चुकीं युवा नेत्री संजना जाटव पर भरोसा किया है।
उदयपुर: मेवाड़ की इस सीट के कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीणा, यहां जिला कलेक्टर रहे हैं। भाजपा ने परिवहन विभाग के अधिकारी रहे मन्नालाल रावत को मैदान में उतारा है।
चित्तौड़: भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और यहाँ से दो बार के सांसद सीपी जोशी को यहां से फिर टिकट मिला है। उनके सामने कांग्रेस के तीन बार विधायक और मंत्री रहे उदयलाल आंजना मैदान में हैं।
भीलवाड़ा: इस सीट पर कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री और विधानसभा स्पीकर रहे डॉ. सीपी जोशी का नाम तय किया है। इधर भाजपा के जिÞलाध्यक्ष और मोदी के साथ काम कर चुके दामोदर अग्रवाल को टिकट दिया है।
राजसमंद: मेवाड़ राजघराने की महिमा सिंह भाजपा से उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने विधायक रहे सुदर्शन रावत के मना करने पर, संगठन में सक्रिय सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी दामोदर गुर्जर को प्रत्याशी बनाया है।
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