दुश्मनों की पनडुब्बियों पर नजर रखने और उन्हें खत्म करने वाले सीहॉक हेलिकॉप्टरों को भारतीय नौसेना द्वारा अपने सैन्य बल में शामिल कर लिया गया है। केरल में कोच्चि के आईएनएस गरूड़ में 6 मार्च को एमएच 60आर सीहॉक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों का पहला स्क्वाड्रन भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाने के बाद नौसेना का कहना है कि यह कमीशनिंग भारत की रक्षा आधुनिकीकरण यात्रा में महत्वपूर्ण साबित होगी। इन हेलीकॉप्टरों को आईएनएएस-334 स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में, जहां चीनी सैन्य हमले बढ़ रहे हैं, नौसेना की परिचालन क्षमता में सुधार होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि सीहॉक हेलीकॉप्टरों के शामिल होने से बल की समुद्री शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और चीन अथवा पाकिस्तान की सबमरीन अब भारत के तटीय तथा समुद्री इलाकों की जासूसी नहीं कर पाएंगी क्योंकि ये मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर उन्हें खोजकर या तो भगा देगा या जरूरत पड़ने पर नष्ट कर देगा। नौसेना के मुताबिक एमएच 60आर हेलीकॉप्टर न केवल भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाएगा बल्कि नौसेना की परिचालन पहुंच का भी विस्तार करेगा और स्पेक्ट्रम तथा विशाल समुद्री क्षेत्रों में निरंतर नौसैनिक संचालन का भी समर्थन करेगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र में सीहॉक की तैनाती से भारतीय नौसेना की समुद्री उपस्थिति काफी सशक्त होगी।
एमएच 60आर सीहॉक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर अमेरिका के ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टरों का समुद्री वर्जन है। एमएच 60आर सीहॉक हेलिकॉप्टर में ‘आर’ का अर्थ है ‘रोमियो’। भारतीय नौसेना को 2020 में अमेरिका के साथ करीब ढ़ाई अरब डॉलर की बड़ी डील के तहत 2025 तक 24 रोमियो हेलिकॉप्टर मिल जाएंगे। नौसेना के बेड़े में 24 अत्याधुनिक रोमियो हेलीकॉप्टरों के शामिल हो जाने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। दरअसल माना जा रहा है कि रोमियो हेलीकॉप्टर नौसेना की आंख, नाक, कान और लंबे हाथ का कार्य बखूबी निभाएंगे। इस प्रकार के मल्टीरोल हेलीकॉप्टर की मांग भारतीय नौसेना करीब एक दशक से कर रही थी क्योंकि नौसेना जिस तरह के नेवल ऑपरेशनों की तैयारी कर रही है, वे ऐसे हेलीकॉप्टरों के मिलने पर ही संभव हो सकेंगे। भारत ने इन हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए अमेरिका से अनुरोध किया था लेकिन भारत चूंकि नाटो का सदस्य नहीं है, इसलिए अमेरिका को भी ये हेलीकॉप्टर भारत को बेचने के लिए विशेष मंजूरी की जरूरत थी। आखिरकार अमेरिका ने 2020 में भारत को 24 बहुउपयोगी एमएच-60आर सी-हॉक हेलीकॉप्टर की बिक्री को मंजूरी दे दी थी। भारत और अमेरिका के बीच 2020 में लॉकहीड मार्टिन कम्पनी से 16 हजार करोड़ रुपये में ऐसे 24 बहुआयामी रोमियो हेलीकॉप्टरों को खरीदने का महत्वपूर्ण करार हुआ था। इन हेलीकॉप्टरों को चलाने के लिए प्रशिक्षण लेने हेतु भारतीय पायलटों का पहला बैच अमेरिका गया था, जिसने अमेरिका के नॉर्थ आइलैंड नेवल एयर स्टेशन में 10 महीने की ट्रेनिंग ली थी।
अमेरिकी नौसेना में रोमियो हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल ‘सबमरीन हंटर’ के तौर पर किया जाता है। इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हर तरह जंगी जहाजों, जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर, डिस्ट्रायर या फ्रिगेट से किया जा सकता है। रोमियो हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका, आस्ट्रेलिया तथा जापान भी करते हैं और अब ये हेलीकॉप्टर भारतीय नौसेना की क्षमता में भी वृद्धि करेंगे। बहुआयामी रडारों से लैस एमएच-60 रोमियो हेलिकॉप्टर रात में भी दुश्मन पर हमला कर सकेंगे और इन्हें समुद्र में राहत एवं खोज अभियान के अलावा शिकारी पनडुब्बियों में भी तैनात किया जा सकता है। इसके अलावा रोमियो हेलीकॉप्टर मालवाहक विमानों, युद्धपोतों तथा विध्वंसकों से भी संचालित हो सकते हैं। रोमियो हेलीकॉप्टर से भारतीय नौसेना अपने पुराने पड़ चुके सी किंग हेलीकॉप्टरों को रिटायर करेगी। एमएच 60आर सीहॉक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों को भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इन हेलीकॉप्टरों के नौसेना में शामिल हो जाने के बाद हिंद महासागर में चीनी नौसेना के बढ़ते दखल पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। दरअसल चीन हिंद महासागर क्षेत्र में बड़ी तेजी से अपनी पैठ मजबूत करता जा रहा है और उसकी यही बढ़ती पैठ भारत के लिए खतरा बन रही है। चीन पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका जैसे देशों को विकास के नाम पर आर्थिक मदद देकर कर्ज के जाल में फांस रहा है और भारत को घेरने के लिए पड़ोसी देशों में अपनी पकड़ निरन्तर मजबूत कर रहा है। यही नीति वह समुद्र में भी अपना रहा है। प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चीन का दखल और दबदबा जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे भारत के साथ-साथ अमेरिका की चिंता भी बढ़ी है। माना जा रहा है कि रोमियो हेलीकॉप्टरों के भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद सैन्य संतुलन स्थापित होगा।
एमएच-60 रोमियो सी-हॉक हेलीकॉप्टर की विशेषताओं पर नजर डालें तो इन हेलीकॉप्टरों को दुनिया के सबसे बेहतरीन अत्याधुनिक मैरीटाइम (समुद्री) हेलीकॉप्टर माना जाता है, जो अमेरिकी नौसेना में एंटी-सबमरीन और एंटी-सरफेस वेपन के रूप में तैनात हैं। समुद्र के भीतर दुश्मन की सबमरीन की खोज करने और उसे खत्म करने में इस हेलीकॉप्टर को महारत हासिल है। हिंद महासागर में चीन द्वारा अपनी उपस्थिति बढ़ाने के बीच ये हेलीकॉप्टर सतह (एंटी-सरफेस) और पनडुब्बी भेदी युद्धक अभियानों में भारतीय नौसेना की मारक क्षमता को बढ़ाएंगे। इस हेलीकॉप्टर का डिजाइन और इसकी क्षमता भी पूरी तरह से भारतीय सशस्त्र बलों के अनुरूप है। दुश्मन के जंगी जहाजों को ट्रैक कर उनके हमलों को रोकने के लिए परिष्कृत लड़ाकू प्रणालियों, सेंसर, मिसाइल और टॉरपीडो से लैस इन हेलीकॉप्टरों को युद्धपोतों का काल माना जाता रहा है। हेलीकॉप्टर में ऐसे रडार और सेंसर लगे हैं, जिनके जरिये गहरे समुद्र में भी दुश्मन की सबमरीन को आसानी से पकड़ा जा सकता है। सोनोबॉय लांचर तथा रेथॉन एडवांस्ड एयरबॉर्न लो फ्रीक्वेंसी डिप्पिंग सोनार टैक्नोलॉजी के जरिये यह समुद्र में कितनी भी गहराई में सबमरीन को पकड़ने में सक्षम है। यह हेलीकॉप्टर समुद्र के भीतर दुश्मन की सबमरीन को पलक झपकते ही भांप लेता है और उसके बाद उस पर खतरनाक तरीके से हमला कर उसका काम तमाम कर देता है।
रोमियो हेलीकॉप्टर समुद्र में तलाश एवं बचाव कार्यों में भी उपयोगी होने के साथ ही पनडुब्बियों और पोतों पर अचूक निशाना साधने में सक्षम हैं। रोमियो हेलीकॉप्टरों का नौसेना द्वारा अलग-अलग मिशनों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। अमेरिकी नेवल एयर कमांड के अनुसार रोमियो हेलिकॉप्टर एंटी-सबमरीन के अलावा निगरानी, सूचना, मालवाहक, निजी वाहन, युद्धक खोज और बचाव, गनफायर तथा लॉजिस्टिक सपोर्ट में कारगर हैं। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार रोमियो हेलीकॉप्टर आधुनिक समय में उपलब्ध सबसे सक्षम और आधुनिक नौसैन्य हेलीकॉप्टर हैं, जो फ्रिगेट, विध्वंसक पोतों, क्रूजर और विमान वाहक पोतों से संचालित किए जा सकते हैं। ये हेलीकॉप्टर दुश्मन देश की पनडुब्बियों को पल भर में ही तबाह कर देने में सक्षम हैं क्योंकि पनडुब्बियों पर इनका निशाना बिल्कुल अचूक होता है। इस समय अमेरिका के अलावा विश्वभर में आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, इजरायल, सऊदी अरब, कतर, स्पेन, डेनमार्क, ट्यूनीशिया, मलेशिया, मैक्सिको सहित कई देशों की नौसेनाओं द्वारा ये हेलीकॉप्टर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इस हेलीकॉप्टर को कई अलग-अलग तरह के हथियारों से लैस किया जा सकता है और हथियारों को लगाने के लिए इसमें चार प्वाइंट्स दिए गए हैं, जिसमें लॉकहीड मार्टिन की एजीएम-114 हेलफायर एंटी-सरफेस मिसाइल को लगाया जा सकता है। अपनी सुरक्षा के लिए इसमें 7.62 एमएम की मशीनगन को भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा पनडुब्बियों को निशाना बनाने के लिए इससे पनडुब्बी रोधी एटीके एमके-50 अथवा एमके-46 एक्टिव/पैसिव टॉरपीडो को लांच किया जा सकता है। इन बेहद खतरनाक हथियारों के जरिये दुश्मन को पलक झपकते ही ध्वस्त किया जा सकता है।
दोहरी नियंत्रण प्रणाली से लैस रोमियो हेलीकॉप्टर रात के घने अंधेरे में भी उड़ान भरने में सक्षम है। इसके कॉकपिट में बैठे पायलट रात के घने अंधेरे में भी अपने लक्ष्य को बिल्कुल साफ-साफ देख सकते हैं। इस हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलटों की जरूरत होती है और इसके भीतर 4-5 केबिन क्रू के अलावा पांच यात्री भी बैठ सकते हैं। रोमियो हेलीकॉप्टर के केबिन की लम्बाई 3.2 मीटर, चौड़ाई 1.8 मीटर तथा ऊंचाई 1.3 मीटर है। करीब साढ़े तीन घंटे तक सरफेस वारफेयर की क्षमता से लैस यह हेलीकॉप्टर अधिकतम 10682 किलोग्राम वजन के साथ उड़ सकता है। रोमियो की अधिकतम रफ्तार 270 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी लंबाई 19.76 मीटर, चौड़ाई 16.35 तथा ऊंचाई 5.1 मीटर है। इसकी ऊपर चढ़ने की दर 8.38 मीटर प्रति सैकेंड है तथा इसकी रेंज 834 किलोमीटर है। यह हेलीकॉप्टर एक बार में 834 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है और अधिकतम 12 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ सकता है। इस हेलीकॉप्टर की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह पानी में सबमरीन को हवा से भी निशाना बनाने में सक्षम है। यह जमीन और समुद्र दोनों ही जगह मार कर सकता है। बहरहाल, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भारतीय नौसेना को रोमियो जैसे अत्याधुनिक समुद्री हेलीकॉप्टरों की लंबे समय से सख्त जरूरत थी और इन हेलीकॉप्टरों की पूरी खेप के भारतीय नौसेना में शामिल होने के पश्चात् चीन के खिलाफ देश की सामरिक ताकत पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ जाएगी, जिससे चीन की चिंताएं भी जरूर बढ़ेंगी। भारतीय नौसेना इस समय पुराने हो चुके ब्रिटिश सी-किंग हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रही है और दुनिया के सबसे उन्नत रोमियो हेलीकॉप्टर नौसेना में इन्हीं ब्रिटिश हेलीकॉप्टरों की जगह लेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा सामरिक मामलों के विश्लेषक हैं)
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