एकात्म मानवदर्शन के आधार पर जो रचनाएं होना चाहिए उसके आधार पर प्रत्यक्ष काम चित्रकूट में देखने को मिलता है
गत दिनों चित्रकूट में राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख की 14वीं पुण्यतिथि पर दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा तृतीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें विद्धानों ने भुखमरी की समाप्ति एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विचार रखे। इसका समापन 27 फरवरी को हुआ।
दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष एवं सम्मेलन के संयोजक वसंत पंडित ने बताया कि सतत विकास लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल ‘एसडीजी’) के 17 बिंदु हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने 17 बिंदुओं को लेकर 2015 से 2030 तक के लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इन 17 लक्ष्यों में से एसडीजी 2 एवं 4 पर यहां चिंतन हुआ। 2030 तक एसडीजी पर काम चलेगा। इससे ‘वर्ल्ड एसडीजी फोरम’ को स्थाई रूप प्रदान करने में सहयोग मिलेगा।
आरआईएस के सदस्य डॉ. शेषाद्री चारी ने कहा कि एकात्म मानवदर्शन के आधार पर जो रचनाएं होना चाहिए उसके आधार पर प्रत्यक्ष काम चित्रकूट में देखने को मिलता है। इसीलिए सतत विकास के 17 लक्षणों में से दो लक्ष्य पर सम्मेलन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान चित्रकूट को चुना है।
दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष वीरेंद्र पराक्रमादित्य ने कहा कि व्यक्ति निर्माण द्वारा समाज में परिवर्तन आएगा। इस प्रकार के सभी आयोजन व्यक्ति निर्माण की पाठशाला हैं।
मध्य प्रदेश शासन के मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि 60 वर्ष के बाद राजनीति छोड़कर समाज जीवन में अपना सर्वस्व लगाकर भारतीय राजनीति में सर्वोच्च उदाहरण नानाजी ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर कुछ कार्यकर्ताओं को सम्मसनित भी किया गया।
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