यूरोपीय देश फ्रांस की मैक्रों सरकार जिहादी सोच और कट्टर इस्लामवाद के विरुद्ध कितनी सख्त है इसका एक और उदाहरण सामने आया है। फ्रांस की सरकार ने जिहादी भावनाएं भड़का रहे एक देश विरोधी इमाम को उसकी गिरफ्तारी के 12 घुटे के अंदर देश से बाहर कर दिया है।
जिहाद का जहर उगल रहा ट्यूनिशिया मूल का वह मौलाना एक मस्जिद में इस्लामी तकरीर दिया करता था। इसी क्रम में उसने न सिर्फ यहूदी विरोधी भावनाएं भड़काईं बल्कि फ्रांस के राष्ट्रीय ध्वज को लेकर भी अपमानजनक बातें कहीं। इमाम ने कहा कि फ्रांस का तीन रंगों वाला झंडा ‘शैतानी’ झंडा है। फ्रांस की सरकार फौरन हरकत में आई और इससे पहले कि वह उस देश के लिए और गंदी जबान बोलता, उसे देश से बाहर जाने का फरमान जारी कर दिया।
ट्यूनिशिया का ये जिहादी इमाम फ्रांस में आकर उस देश के विरुद्ध ही जहर उगल रहा था यह उस सरकार को कैसे स्वीकार हो सकता था जो कट्अर इस्लामी सोच और पहनावे को लेकर पहले से ही सख्त रुख अपनाए हुए है। उस इमाम महजौब महजौबी ने यह सब जानते हुए भी एक प्रकार से प्रशासन को चुनौती देने की हिमाकत की थी।
उसने मस्जिद में अपनी तकरीर में कट्टरपंथी बातें बोलीं। फ्रांस के झंडे को शैतानी बताया और यहूदियों के लिए भद्दी टिप्पणियां कीं। ऐसे में फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन हरकत में आए और महजौबी को फ्रांस की सुरक्षा के लिए खतरनाक करार दिया। उन्होंने कहा, इमाम महजौबी देश में इस्लामी कट्टरपंथ फैला रहा है। उसकी बातें फ्रांस में स्वीकार नहीं की जा सकतीं। गृह मंत्री के इस बयान के फौरन बाद राष्ट्रपति मैक्रों की सरकार ने इस्लामी उन्मादी इमाम महजौबी को देश से बाहर जाने का हुक्म सुना दिया।
फ्रांस के गृहमंत्री डर्मैनिन ने ट्वीट करके उसे उन्मादी इमाम को देश से निकाले जाने की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ”कट्टरपंथी इमाम महजौबी को उसकी गिरफ्तारी के 12 घंटे से भी कम वक्त में देश की सीमा से बाहर कर दिया गया है। हम ऐसे किसी को अनदेखा नहीं करेंगे।”
कट्टरपंथी इमाम महजौब महजौबी को शायद यह भान नहीं रहा कि फ्रांस वह देश है जिसने यूरोप में ऐसे देश के नाते ख्याति प्राप्त की है जो देश विरोधी बयानों और कट्टर इस्लामी सोच के विरुद्ध फौरन कदम उठाता है। इससे पहले मिस्र के एक इमाम को भी फ्रांस से ऐसे ही आरोप के बाद देश से निकाला गया था। महजौब ने फ्रांस के झंडे के तीन रंगों का अपमान किया था और झंडे को ‘शैतानी’ बताकर राष्ट्रपति मैक्रों सहित हर फ्रांसीसी को एक प्रकार से अपमानित किया था। यह बर्दाश्त के बाहर होना ही था।
महजौब ने यह अभद्र टिप्पणी फ्रांस की एक मस्जिद में तकरीर देते हुए की थी। हर अपराधी की तरह उस इमाम ने भी पहले मना किया कि उसने कोई गलत काम किया है। उसने बहाना बनाया कि फ्रांस के झंडे को लेकर उसकी कही बातों को गलत नजरएि से लिया गया है।
फ्रांस ने ठीक ऐसी ही कार्रवाई एक और मौलाना अल-सौदानी के विरुद्ध की थी। सौदानी पश्चिम विरोधी तकरीरें करता पाया गया था। मिस्र के उस मौलाना का भी बोरिया बिस्तर बांधकर उसके देश लौटा दिया गया था। फ्रांस की सरकार ने उस मौलाना को एक “खतरनाक इंसान” बताया था।
लेकिन उस इमाम को देश से निकालने के बारे में फ्रांस के मीडिया में लिखा गया है कि महजौबी की बातों से उसकी पिछड़ी, असहिष्णु तथा हिंसक सोच झलकी है, यह फ्रांस के मूल्यों के विरुद्ध है। उसकी कही बातों से फ्रांस में महिलाओं के प्रति भेदभाव, मजहबी उन्माद, यहूदियों से वैर भड़क सकता है। देश की सरकार ने इमाम के विरुद्ध अपने नए आव्रजन कानून के तहत कार्रवाई करते हुए देश से बाहर कर दिया।
फ्रांस ने ठीक ऐसी ही कार्रवाई एक और मौलाना अल-सौदानी के विरुद्ध की थी। सौदानी पश्चिम विरोधी तकरीरें करता पाया गया था। मिस्र के उस मौलाना का भी बोरिया बिस्तर बांधकर उसके देश लौटा दिया गया था। फ्रांस की सरकार ने उस मौलाना को एक “खतरनाक इंसान” बताया था।
उस कट्टरपंथी मौलाना अल-सौदानी का कहना था कि उसने तो कभी पश्चिम का विरोध ही नहीं किया। कहा कि उसकी पत्नी पश्चिम में जन्मी है। उसने कहा कि उसे निकालना सही नहीं है। उसके हिसाब से किसी को खुलकर बोलने से रोकना ठीक नहीं है।
लेकिन वह और दूसरे इस्लामवादी पकड़े जाने पर अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई तो देते हैं लेकिन भूल जाते हैं कि उसकी भी एक सीमा होती है। वे इस बात को आसानी से नजरअंदाज कर देते हैं कि जब इसी तर्क के आधार पर कोई इस्लाम को लेकर कुछ टिप्पणी करता है तो उसके विरुद्ध फतवे दे दिए जाते हैं। तब उनकी इस ‘आजादी’ के मायने बदल जाते हैं!
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