केरल की वामपंथी सरकार राज्य में अपराध को चाहे कितना भी छिपाने की कोशिशें करे, लेकिन हर अखबार की सुर्खियों में अपराध की घटनाएं प्रमुखता से रहती हैं। राज्य में बच्चों के खिलाफ साल दर साल बढ़े हैं। केरल में बीते 8 वर्षों में बच्चों के यौन शोषण यानि POCSO से जुड़े अपराधों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है।
यह दावा केरल कौमुदी की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में वर्ष 2016 में बच्चों के खिलाफ अपराधों के 2131 केस दर्ज किए गए थे, जो कि 2023 में यह संख्या बढ़कर 4641 हो गई। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2018 से इसमें तेजी से बढ़त देखी जा रही है, जो कि 2018 से है औऱ बीते दो वर्षों मे इसमें काफी तेजी देखने को मिली है।
दावा किया गया है कि केरल में अपराधों की संख्या लगातार बढ़ी है। इनमें 2023 में सबसे अधिक अपराध राजधानी तिरुवंतपुरम में 601, मलप्पुरम में 507 और अर्नाकुलम में POCSO के 484 मामले दर्ज किए गए थे। रिपोर्ट में खास बात ये है कि बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में अधिकतर मामलों में अपराधी जान-पहचान वाले ही रहे हैं। इनमें अपराधी शिक्षक, स्कूल वाहनों के चालक, बच्चों को लाड़-प्यार करने वाले और उनकी देखभाल करने वाले परिवार के सदस्य, घरेलू नौकर आदि रहे हैं।
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यहीं नहीं बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के मामले में महिलाएं भी शामिल हैं रही हैं। 2022 में त्रिशूर में एक शिक्षक द्वारा यौन शोषण के बाद एक छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। महत्वपूर्ण ये है कि अक्सर देखा गया है कि शोषण डरा-धमकाकर या फिर लालच देकर किया जाता है। ऐसे में घर और स्कूलों में बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाया जाना चाहिए। उन्हें खुलकर बोलना सिखाया जाना चाहिए।
बुरा बोलना भी अपराध है
गौरतलब है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनिय (POCSO)-2012 के मुताबिक, बच्चों के साथ किसी भी तरह से यौन जनित अपराधों के मामले में दोषी पाए जाने पर तीन साल से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। बुरे शब्द, आवाज, हावभाव आदि भी अपराध की श्रेणी में आते हैं। हालांकि, सज़ा अपराधी की स्थिति, अपराध की प्रकृति और बच्चे की उम्र पर निर्भर करती है। अगर इसमें कोई नाबालिग शामिल है तो सहमति से किया गया यौन संबंध दंडनीय है।
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