अकबर शेर और सीता शेरनी? सनातन धर्म का 'लिबरल्स' उड़ा रहे मजाक
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

अकबर शेर और सीता शेरनी? सनातन धर्म का ‘लिबरल्स’ उड़ा रहे मजाक

शेक्सपियर ने कहा था कि “नाम में क्या रखा है?” मगर क्या यही सच है? क्या नाम कुछ मायने नहीं रखता है? दरअसल नाम ही तो मायने रखता है, नाम में ही पहचान छिपी होती है।

by Kuldeep Singh
Feb 20, 2024, 12:24 pm IST
in भारत
Akbar lion Sita lioness

प्रतीकात्मक तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बंगाल में इन दिनों हिन्दू महिलाओं के साथ जो हो रहा है, वह सभी देख रहे हैं मगर पशुओं के माध्यम से भी हिन्दुओं और सनातन धर्म का अपमान किया जा रहा है। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि शेर और शेरनी का नाम अकबर और सीता रख दिया जाए? इससे सम्बंधित ख़बरें कैसी बनेंगी? क्या बानगी होगी इन खबरों की?

विश्व हिन्दू परिषद ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की जलपाई गुड़ी सर्किट बेंच में मामला दर्ज करवाया है। उनका यह आरोप है कि सफारी पार्क में शेरनी का नाम सीता रखकर ‘हिन्दू धर्म’ का अपमान किया है। अब इसे लेकर राजनीति भी होने लगी है क्योंकि मीडिया के अनुसार, राज्य के वनमंत्री बीरबाहा हांसदा ने जानवरों के नाम पर ओछी राजनीति करने का आरोप विहिप पर लगाया है। उनके अनुसार अभी शेर और शेरनी के नाम तय नहीं हुए हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से नाम रखने का अनुरोध किया है।

विश्व हिन्दू परिषद के जलपाईगुड़ी प्रमुख दुलाल चन्द्र राय का कहना है कि इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और चूंकि उनकी सुनवाई अधिकारियों द्वारा नहीं हुई, इससे वह लोग न्यायालय आए हैं। हालांकि, इसकी सुनवाई 20 फरवरी को होनी है, मगर इसे लेकर सरकार के स्तर पर यही कहा जा रहा है कि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जिससे यह विवाद हो।

अर्थात अभी नाम तय नहीं किए गए हैं। वनमंत्री का कहना है कि चूंकि ये शेर और शेरनी त्रिपुरा से लाए गए हैं, तो हो सकता है कि वे नाम वहां पर रखे गए हों। इस मामले को लेकर जहां विहिप ने अपमान को लेकर याचिका दायर की है तो वहीं सोशल मीडिया पर कथित लिब्रल्स या सेक्युलर हैंडल इसे लेकर उपहास कर रहे हैं। उनके लिए यह भारत में हंगामा करने वाला एक और विषय है, जिसमें कथित रूप से पशुओं को घसीटा जा रहा है, या फिर लव जिहाद जैसे विषय को अब पशुओं पर थोपा जा रहा है।

क्या यही सच है या फिर यह और भी गंभीर मामला है? शेक्सपियर ने कहा था कि “नाम में क्या रखा है?” मगर क्या यही सच है? क्या नाम कुछ मायने नहीं रखता है? दरअसल नाम ही तो मायने रखता है, नाम में ही पहचान छिपी होती है। सीता नाम में प्रभु श्री राम की पहचान के साथ ही ऐसी स्त्री की पहचान छिपी है जिसने अपने पति और प्रेम के लिए महलों के सुख त्याग दिए और चरित्र पर आंच नहीं आने दी।

नाम का प्रभाव बहुत अधिक होता है। जिस नाम में सम्पूर्ण मातृत्व समाया हुआ है, जिसे लेकर हिन्दू समाज माता का भाव रखता है, उसे यदि अकबर के साथ घूमता हुआ दिखाया जाएगा, तो उससे आम हिन्दू जनों में क्या भाव जाएगा?

क्या किसी और मत के साथ धार्मिक प्रतीकों का नाम इस प्रकार रखा जा सकता है? कथित सेक्युलर बंगाली अजीब पोस्ट कर रहे हैं, जिसमें यह तक लिख रहे हैं कि क्या हो यदि सीता पहले से ही अकबर के कब्स से लव जिहाद के अंतर्गत गर्भवती हो? क्या विहिप इन शेर के बच्चों को घर वापसी के माध्यम से हिन्दू धर्म में वापस लाएगी?

अपने आप को रिसर्चर और राइटर कहने वाले सुकुमार मुरलीधरन ने अदा शर्मा के केरल स्टोरी वाले पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा कि शेर अकबर और शेरनी सीता के लव जिहाद ने तुम्हारी जगह को ले लिया है।

पूर्व में इन्डियन एक्सप्रेस, द हिन्दू में काम कर चुकी एवं आवाज़साउथएशिया की संस्थापक एवं सम्पादक निरुपमा सुब्रमण्यम ने एक्स पर पोस्ट लिखा, “भारत में एक आम दिन। अब एक शेर पर लव जिहाद का आरोप लगा है। यह कलकत्ते में है, और चारधाम में नहीं, तो कम से कम शेर और शेरनी को अपने संबंधों का पंजीकरण नहीं कराना होगा और जेल नहीं जाना होगा!”

Daily life in India – Now a lion is being accused of “love jihad”. It’s Kolkata, not chardhaam land, so at least the lion and the lioness won’t be accused of not registering their relationship and packed off to jail. https://t.co/6XpSUjYgjL

— Nirupama Subramanian (@tallstories) February 17, 2024

ये कल्चरल जीनोसाइड

यही कल्चरल जीनोसाइड की अवस्था होती है, जिसमें एक धर्म के प्रतीक के अपमान को इस सीमा तक सहज कर दिया जाए कि वह अपमान लगे ही नहीं। फिल्मों ने यह काम बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर किया है। एक फिल्म आई थी फायर! यह दो यौन अतृप्त महिलाओं के जीवन पर आधारित फिल्म थी, जिसमें दोनों महिलाएं दैहिक सम्बन्ध स्थापित कर लेती हैं।

यह कहा गया कि यह फिल्म इस्मत चुगताई की कहानी लिहाफ पर आधारित है। मगर सबसे बड़ा खेल देखिये कि इसमें महिला चरित्रों के नाम थे सीता और राधा! जबकि लिहाफ में बेगम जान और रब्बो थे। नाम से कुछ फर्क नहीं पड़ता है क्या? या फिर हमारा मस्तिष्क ही ऐसा कर दिया है जिसमें राधा डांस फ्लोर पर नाच रही है और सीता अकबर के साथ वन में विचरण कर रही है और कथित लिबरल कह रहे हैं कि देश असहिष्णु हो गया है? क्या वास्तव में देश असहिष्णु हुआ है या फिर नाम के माध्यम से जो खेल अभी तक खेला जा रहा था, उसे लेकर जागृत हुआ है, उसकी महत्ता को समझने लगा है?

इसे लेकर और विमर्श की आवश्यकता है, मगर नाम ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि शूरवीर होते हुए भी आज तक कंस किसी का नाम भी नहीं रखा गया है, क्योंकि हर नाम एक प्रतीक है, हर नाम एक संस्कृति है और हर नाम एक सांस्कृतिक पहचान और प्रतीक है।

Topics: सनातन धर्म का अपमानSanatan DharmaInsult of Sanatan Dharmaअकबर शेरसीता शेरनीAkbar the Lionसनातन धर्मSita the Lionessपश्चिम बंगालविश्व हिन्दू परिषदVishwa Hindu ParishadWest Bengal
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Azamgarh Tamannah Ghar wapsi in Sanatan dharma

घर वापसी: तमन्ना ने अपनाया सनातन धर्म, प्रेमी संग मंदिर में रचाई शादी

चातुर्मास के दिव्य ज्ञान-विज्ञान को हृदयंगम करें देश के सनातनी युवा

मुरुगा भक्त सम्मेलन में शामिल हुए भक्त

संगठित हिन्दू शक्ति का दर्शन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : सांस्कृतिक पुनर्जागरण का नूतन पर्व

12 Mslum Adopted sanatan dharma

लखनऊ में 12 मुस्लिमों ने इस्लाम त्याग की घर वापसी, अपनाया सनातन धर्म

नवनिर्मित ‘जगन्नाथ धाम’

प्रसाद मंदिर का, बनाने वाले मुसलमान!

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies