देश की राजधानी में कथित किसान आंदोलन 2.0 चल रहा है। लेकिन उस प्रदर्शन में किसानों कम उससे अधिक राजनीतिक दल हैं। किसान आंदोलन के नाम पर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिशें कर रही हैं। लेकिन ये समझने की आवश्यकता है कि कांग्रेस जिस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रही है। वर्ष 2010 में उसने इसी आयोग की सिफारिशों को लागू करने से साफ इंकार कर दिया था।
उस दौरान सत्ता में रही कांग्रेस ने किसानों के एमएसपी से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि एमएसपी की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग (CASP) द्वारा विशेष मानदंडो के आधार पर और प्रासंगिक कारकों की विवधता पर विचार करके किया जाता है।
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वर्ष 2010 में भाजपा सांसद प्रकाश जावड़ेकर के स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के सवाल पर यूपीए सरकार में कृषि राज्य मंत्री रहे केवी थॉमस ने ये जबाव दिया था। उन्होंने कहा था, “प्रो. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में किसानों पर राष्ट्रीय आयोग ने सिफारिश की है कि एमएसपी उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए। हालाँकि, इस सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है।” तब कांग्रेस ने एमएसपी के मुद्दे को सीएएसपी के कंधे पर डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया था। कांग्रेस के राज्यमंत्री केवी थॉमस का कहना था कि 50 प्रतिशत की एमएसपी देने से मार्केट पर बुरा असर पड़ेगा।
कांग्रेस का दावा था कि एमएसपी और उत्पादन लागत के बीच कुछ तकनीकी संबंध हैं, जो कि प्रतिकूल असर कर सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस ने ये नहीं बताया कि किस तरह का प्रतिकूल असर होगा। इसके अलावा कांग्रेस ने एमएसपी के मामले पर बड़ी ही चालाकी दिखाई थी। जबकि, सत्य तो ये है कि CASP आयोग भी सरकार के अंतर्गत ही काम करता है।
क्या है स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट
गौरतलब है कि हाल ही में भारत सम्मान से नवाजे गए कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन 2004 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के शासनकाल में 2004-06 तक आयोग ने कुल 6 रिपोर्ट दी थी। इसमें किसानों को उनकी फसल की लागत का 50% की मांग की गई थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में फसल में लगने वाली लागत को तीन हिस्सों- A2, A2+FL और C2 में बांटा था।
A2 की लागत में फसल की पैदावार में हुए सभी तरह के नकदी खर्च शामिल होते हैं. इसमें बीज, खाद और केमिकल से लेकर मजदूरी, ईंधन और सिंचाई में लगने वाली लागत भी शामिल होती है।
A2+FL में फसल की पैदावार में लगने वाली कुल लागत के साथ-साथ परिवार के सदस्यों की मेहनत की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है।
जबकि, C2 में पैदावार में लगने वाली नकदी और गैर-नकदी के साथ-साथ जमीन पर लगने वाले लीज रेंट और खेती से जुड़ी दूसरी चीजों पर लगने वाले ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
स्वामीनाथन आयोग ने C2 की लागत में ही डेढ़ गुना यानी 50 फीसदी और जोड़कर ही फसल पर एमएसपी देने की सिफारिश की थी।
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