पूर्व उप प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है। सम्मान की घोषणा के बाद वह अपनी बेटी प्रतिभा आडवाणी के साथ मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन किया और धन्यवाद दिया। जो वीडियो सामने आया उसमें वह भावुक दिख रहे हैं। प्रतिभा जी ने भी बताया कि उनकी (लालकृष्ण आडवाणी जी) आखों में आंसू थे।
आडवाणी जी की तरफ से मीडिया को जो वक्तव्य जारी किया गया उसमें कहा गया कि 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता बनने के बाद से उन्होंने देश सेवा और उन्हें दिए कार्य को समर्पण को पारितोषिक माना है। वह ‘इदं न मम’ से प्रेरित होकर यह मानते रहे हैं कि यह जीवन अपना नहीं बल्कि देश का है।
साधारण से साधारण व्यक्ति से आडवाणी जी का आत्मीय व्यवहार और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए पूरे मनोयोग से सहयोग, उन्हें अनुकरणीय बनाता है। आडवाणीजी यह काम अकेले नहीं कर सकते थे। इसमें उनकी पत्नी स्व. कमला आडवाणी के स्नेहपूर्ण व्यवहार तथा उनके साथ काम करने वाले सहयोगियों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। प्रतिभा आडवाणी ने भी कहा कि उन्हें इस समय मां की याद आ रही है। उनके जीवन में उनका बड़ा योगदान था।
32 वर्ष तक आडवाणी जी के सार्वजनिक जीवन के प्रत्यक्षदर्शी रहे विश्वंभर श्रीवास्ताव ने ‘पब्लिक डीलिंग’ पुस्तक में आडवाणी जी के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया है। विश्वंभर श्रीवास्तव 1973 में आडवाणीजी के साथ जुडे़ और 2005 तक उनके साथ काम करते रहे।
अपनी पुस्तक में वह लिखते हैं- ”भारत सरकार के गृह मंत्री बनने पर आडवाणी जी ने मुझसे कहा, विश्वंभरजी, अपनी समस्याएं लेकर जो लोग यहां आते हैं उन्हें हमारे व्यवहार और कार्यों से ऐसा लगना चाहिए कि हम लोग उनकी सहायता करना चाहते हैं, उन्हें न्याय दिलाना चाहते हैं। आडवाणीजी ने यह बात इसलिए भी कही क्योंकि सरकारी कामकाज में व्यस्तता के कारण यदि वे स्वयं लोगों से न मिल सकें तो वह व्यक्ति उनके आवास अथवा कार्यालय से उपेक्षित महसूस करता हुआ न लौटे।
वर्ष 1998 में जब आडवाणीजी केन्द्रीय गृह मंत्री और बाद में उप-प्रधानमंत्री बने तो उनके आवास एवं कार्यालय में समस्याएं लेकर आने वालों की संख्या कई गुना बढ़ गई थी। ज्यादातर शिकायतें पुलिस को लेकर होती थीं। जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए आडवाणी जी ने एक पुलिस अधिकारी को विशेष रूप से नियुक्त किया। वह अधिकारी प्रतिदिन सुबह उनके कार्यालय में आकर बैठता था और वहां आने वाली पुलिस संबंधी शिकायतों को लेकर जाता और जांच-पड़ताल करके यथाशीघ्र उनके कार्यालय को सूचित करता था। अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच आपसी मनमुटाव को आडवाणी जी बड़ी कुशलता एवं शांत मन से दोनों पक्षों को सुनकर निपटाते थे। उनकी संगठन क्षमता बेमिसाल थी।
पुस्तक में उल्लेख है कि अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के समय आडवाणी जी के साथ विश्वंभर श्रीवास्तव स्वयं अयोध्या में मौजूद थे। वे लिखते हैं कि एक छोटा सा एकमंजिला भवन था जिसमें एक हॉल और कुछ कमरे बने थे। उसी की छत को मंच के रूप में सजाया गया था। मंच के ठीक सामने बाबरी ढांचे के तीनों गुबंद दिखायी दे रहे थे। आडवाणीजी का भाषण शुरू ही हुआ था कि किसी ने आकर बताया कि भगवा ध्वज फहराने के लिए कुछ लोग बाबरी ढांचे पर चढ़ गये हैं। आडवाणी जी ने उनसे उतर जाने की बार-बार अपील की।
क्या कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत रत्न की घोषणा करते हुए कहा कि हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। लालकृष्ण आडवाणी का जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी पहचान बनाई। उनके संसदीय कार्य अनुकरणीय हैं। आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अनगिनत अवसर मिले।
टिप्पणियाँ