कर्नाटक में एक मुस्लिम युवती के साथ एक अजीब प्रकार की हैवानियत हुई है और दुर्भाग्य की बात यही है कि उसके साथ हुई इस हैवानियत पर एक विशेष वर्ग में चर्चा नहीं है जो मुस्लिम युवतियों की पीड़ा का ठेकेदार बनता है। यदि सोशल मीडिया पर लाज-शर्म के चलते कुछ कहा भी जा रहा है तो ऐसे कि जिससे आरोपियों पर आंच न आए।
मामला है कर्नाटक के हंगल शहर का। इस शहर में एक होटल में मुस्लिम समुदाय की एक युवती एक हिन्दू युवक के साथ मौजूद थी। जब वह लोग उस कमरे में थे तो उस समय कुछ लोग पाइप ठीक करने की बात कहकर कमरे में जबरन घुस आए और फिर वह उस युवती को अपने साथ ले गए। जब वह लोग युवती पर हमला कर रहे थे तो वह अपना चेहरा भी शान से दिखा रहे थे। वीडियो में दिख रहा है कि उस युवती पर हमला किसलिए किया जा रहा है। यह इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उन्हें इस बात से गुस्सा है कि आखिर एक मुस्लिम युवती एक हिन्दू युवक के साथ क्या कर रही है?
इस घटना के कई वीडियो वायरल हुए हैं। मगर आरोपियों को युवती की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया है। युवती ने घटना के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उसने कहा था कि होटल में महिला और पुरुष के साथ लोगों ने मारपीट की और फिर महिला को अपने साथ बाइक पर बैठा कर एक जंगल में ले गए और फिर उन्होंने वहां पर बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया।
जो वीडियो सामने आए हैं उनमें यह दिख रहा है कि कैसे मुस्लिम महिला और हिन्दू पुरुष को गालियाँ दी जा रही हैं तो वहीं दूसरे वीडियो में महिला के साथ जंगली क्षेत्र में भी बदतमीजी करते हुए वीडियो दिख रहा है। हालांकि पुलिस ने पहले बलात्कार के लिए धाराएं नहीं लगाई थीं, मगर जब युवती ने यह आरोप लगाया कि उसके साथ बारी-बारी से बलात्कार किया गया, तो उपयुक्त धाराएं लगाई गईं।
इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इनके नाम हैं 24 साल का आफताब मकबुल अहमद चंदनकट्टी, 23 साल का मदारसाब मोहम्मद इसाक मंदक्की और 28 साल का ऑटो चालक अब्दुल खादर जाफर साब हंचिनमनी शामिल हैं। इनका एक साथी अस्पताल में है। कहा जा रहा है कि इस घटना के बाद घर लौटते समय उसका एक्सीडेंट हो गया था। इस घटना को लेकर राजनीति भी हो रही है। भारतीय जनता पार्टी सत्ताधारी कांग्रेस पर आक्रामक है और प्रश्न पूछ रही है कि क्या केवल इस घटना को लेकर कांग्रेस की ओर से निंदा नहीं की जा रही है या कठोर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं कि आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय के हैं?
लेकिन, हैरान करने वाली बात यह है कि एक सामूहिक बलात्कार की जघन्य घटना को मात्र मॉरल पुलिसिंग की घटना कहकर उसकी गंभीरता को सीमित किया जा रहा है। क्या यह घटना केवल एक मॉरल पुलिसिंग अर्थात नैतिक रूप से नियंत्रण करने भर की है? या फिर यह उससे कहीं बढ़कर है? हमेशा ही हिन्दू धर्म को लेकर विषवमन करने वाले लोग इसे केवल मॉरल पुलिसिंग बता रहे हैं। यही कारण है कि जब ऐसे जघन्य अपराध को मॉरल पुलिसिंग तक सीमित किया जाता है तो कई अपराध इसमें छिप जाते हैं, परत दर परत ऐसी घटनाएं एकत्र होने लगती हैं और हत्याएं भी छिप जाती हैं जो मॉरल पुलिसिंग नहीं, बल्कि उससे कहीं अधिक होती हैं।
मॉरल पुलिसिंग जैसे शब्द उस घृणा को ही साइड कवर देते हैं जो एक कट्टरपंथी समुदाय को दूसरे समुदाय से होती है। जब इस युवती के साथ मॉरल पुलिसिंग के नाम पर बलात्कार जैसी घटना हुई तो उससे कुछ ही दिन पहले एक दलित हिन्दू युवक और एक मुस्लिम महिला को भी एक साथ बैठे होने पर लोगों ने मारा था।
कर्नाटक में भी ऐसी ही घटना
कर्नाटक में 8 जनवरी 2024 को बेलगावी में कुछ मुस्लिम युवकों ने एक दलित हिन्दू युवक और एक मुस्लिम लड़की को केवल इसलिए मारा था क्योंकि वह एक साथ बैठे थे। सचिन लमानी और मुस्कान पटेल पर पाइप और रॉड से हमले किए गए थे। इसमें कुल नौ लोग शामिल थे, जिन्हें पुलिस के अनुसार गिरफ्तार कर लिया गया था।
इस घटना में जब सचिन ने हमलावरों पर एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया। सचिन का कहना था कि वह और मुस्कान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की युवा निधि योजना के लिए आवेदन करने आए थे। उनसे कहा गया कि एक घंटे बाद आना तो वह दोनों किला लेक पर चले गए। जहाँ उनके पास शराब के नशे में ये लोग आए। सचिन ने कहा कि उसने उनसे कहा कि मुस्कान उसकी मौसी की बेटी है। मगर उन्होंने उसकी बात नहीं सुनी और दोनों को जमकर पीटा।
मीडिया के अनुसार मुस्कान की माँ ने एक मुस्लिम से शादी की थी। मगर ऐसी घटनाएं केवल मॉरल पुलिसिंग नहीं हैं, समस्या कट्टरता है। क्या कोई उस महिला की मानसिक पीड़ा का अनुमान भी लगा सकता है जिसे ऐसे कोई भी अनजान आकर अपमानित कर जाता है, कोई भी आकर उसके चरित्र पर उंगली उठा जाता है? और युवक? वह तो बिना किसी कारण के ही ऐसी घटनाओं के शिकार हो रहे हैं? उनका भविष्य ही दांव पर लग जाता है? यह घटनाएं संविधान में प्रदत्त मूलभूत अधिकारों का हनन हैं! अत: विमर्श मोरल पोलिसिंग नहीं बल्कि मूलभूत अधिकारों का हनन होना चाहिए!
कर्नाटक में ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं। दिसंबर 2023 में ही एक हिन्दू युवक को कर्नाटक में इसलिए पीट दिया गया था क्योंकि उसने पड़ोस में रहने वाली एक मुस्लिम युवती को बाइक पर लिफ्ट दे दी थी। श्रीनिवास नामक युवक को कट्टरपंथी इस्लामिस्ट युवकों ने, जिनकी पहचान बाबू, कादिर के रूप में हुई थी, न केवल गालियाँ दी बल्कि पीटा भी था और बाद में उन पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया था।
ऐसी तमाम घटनाएं यह बताती हैं कि ये मॉरल पुलिसिंग नहीं हैं, जैसा कि कुछ दावा करते हैं, यह मॉरल पुलिसिंग से बढ़कर कट्टर उन्माद से भरी घटनाएं हैं, जो व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों का हनन करती हैं, और जिन पर कड़ी कार्यवाही करने की आवश्यकता है।
टिप्पणियाँ