अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है। इसके लिए हजारों लोगों को निमंत्रण भेजा गया है। इसी के तहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी निमंत्रण भेजा गया है। लेकिन अब इसको लेकर कांग्रेस के अंदर ही घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस के सामने आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति बनी हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि केरल में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी समस्त केरल जेम-इयातुल उलमा ने कांग्रेस को चेतावनी दी है। समस्त केरल जेम-इयातुल उलमा ने अपने मुखपत्र के जपिए कांग्रेस पार्टी को चेताया है कि अगर पार्टी उनके हितों की रक्षा करने में विफल रही तो दलित और अल्पसंख्यक दूसरे राजनीतिक विकल्प की ओर जाने पर विचार करेंगे।
अपने मुखपत्र में इस्लामिक पार्टी ने ‘क्या कांग्रेस उस मंदिर की भूमि पर कदम रखेगी, जहां एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था’ शीर्षक से एक लेख लिखा गया है। इसमें कांग्रेस के राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने की आलोचना की गई है। वहीं सीपीएम के उस फैसले की इस्लामिक पार्टी ने सराहना की है, जिसमें सीपीएम ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इस्लामिक लेख में सोनिया गांधी की भावनाहीन स्थिति पर दुख जताया गया है, जबकि, सीताराम येचुरी के फैसले की सराहना की गई है।
इसमें कहा गया है कि हिन्दी पट्टी में हार से बचने के लिए कांग्रेस इस आयोजन में शामिल होना चाहती है। हाल के चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस सॉफ्ट हिन्दुत्व का रुख अपना रही है। पार्टी हार के बाद वापसी करना चाहती है और उसे 2024 का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए कांग्रेस को भाजपा के समान उग्र हिंदुत्व रुख अपनाने की जरूरत है। हम नहीं जानते कि कांग्रेस को ऐसी बचकानी राजनीतिक रणनीति अपनाने के लिए कौन निर्देशित कर रहा है जो वोट जीतने के लिए धर्म को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है।
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यहीं नहीं लेख में कांग्रेस नेतृत्व से धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दलों के साथ गठबंधन करने की सलाह दी गई है। साथ ही धार्मिक आधार पर देश को विभाजित करने के भाजपा के जाल में न फंसने की चेतावनी दी गई थी। ये बातें इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ने अपने मुखपत्र में कही हैं। उल्लेखनीय है कि मुसलमान वोट बैंक कांग्रेस का कोर वोट बैंक माना जाता है। कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए सारी हदें पार कर दी थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि देश के संसाधनों पर अगर पहला हक किसी का बनता है तो वो मुस्लिमों का है।
जबकि, भाजपा ने तो कभी हिन्दू-मुसलमान किया ही नहीं। उसने तो केवल हिन्दुओं के साथ हो रहे पक्षपात, अत्याचार के खिलाफ आवाज को बुलंद किया। हिन्दुओं के भी हितों की बात हो इसके लिए लड़ाई लड़ी। लेकिन इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सबका साथ सबका विश्वास’ मंत्र के साथ मुस्लिमों के लिए काफी काम किया। कांग्रेस तो मुस्लिमों का इस्तेमाल वोट बैंक के लिए करती है, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के दंश से मुक्ति भाजपा ने दिलाई। बहरहाल, राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस को मिले न्योते के बीच अब उसके सामने बड़ी समस्या ये खड़ी हो गई है कि या तो वो अपने कोर वोट बैंक (मुस्लिम) को नाराज करे या फिर उद्घाटन समारोह में शामिल न होकर विरोधियों को यह कहने का मौका दे कि वो तो राम विरोधी, हिन्दू विरोधी है।
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