मंदिर बनाने की हिंदुओं की भावना को तोड़ने में असफल रहे मुगल : डॉ. कृष्णगोपाल
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मंदिर बनाने की हिंदुओं की भावना को तोड़ने में असफल रहे मुगल : डॉ. कृष्णगोपाल

सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने राष्ट्रधर्म पत्रिका के विशेषांक विमोचन समारोह में कहा कि एक हजार वर्ष की पराधीनता काल में हमारी संस्कृति का क्षरण होता रहा

by सुनील राय
Nov 26, 2023, 02:56 pm IST
in उत्तर प्रदेश, संघ
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लखनऊ। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने राष्ट्रधर्म पत्रिका के विशेषांक विमोचन समारोह में कहा कि एक हजार वर्ष की पराधीनता काल में हमारी संस्कृति का क्षरण होता रहा। संस्कार भी खोने लगे। हजार वर्षों की पराधीनता काल में देश की संस्कृति प्रभावित हुई। पहले इस्लाम ने और उसके बाद अंग्रेजों ने हमारे देश को आर्थिक रूप से लूटने के साथ ही सांस्कृतिक रूप से उसे विकृत करने का  प्रयास किया, परन्तु हिंदुओं ने अपनी जीवनी शक्ति से खुद को और देश की संस्कृति को बचाये रखा।

डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि जजिया के साथ ही तीर्थयात्रा एवं गंगा स्नान के कर का बोझ उठाने के बाद भी हिंदुओं ने न तो तीर्थाटन छोड़ा और न ही गंगा स्‍नान। एक समय में मधुसूदन सरस्वती जी ने आगरा जाकर मुगल बादशाह से अपील की थी कि वह तीर्थयात्रा पर लगने वाला कर हटा दें। ऐसे में दारा शिकोह और उनकी बहन ने इसका समर्थन किया। अंत में तीर्थयात्रा पर लगने वाला कर हटा दिया गया।  मुगलों द्वारा बार-बार मंदिरों को तोड़े जाने के बाद भी संस्कृति के संरक्षक हिन्दुओं ने मंदिरों का पुनर्निर्माण किया क्योंकि मुगल हम हिंदुओं के मंदिर बनाने की भावना को तोड़ने में असफल रहा था।

निदेशक मनोज कांत ने कहा कि  ‘वर्ष 1947 में राष्ट्रधर्म पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया गया था। इसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय, प्रो राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया, भाऊ राव देवरस, नानाजी देशमुख एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना योगदान दिया। इसमें महान विचारकों के लेख एवं साहित्य का संकलन कर देश के पाठकगणों का वैचारिक विकास करने का सफल प्रयास किया गया। प्राचीनकाल से ही अवधारणा रही है कि राष्ट्र जब तक राज्य की आवश्यकताओं के अनुरूप आचरण करता है तब तक देश विकास की राह पर चलता है।

Topics: हिंदुओं के मंदिरstatement of Dr. Krishna Gopalयूपी समाचारrelease of special issue of Rashtradharma PatrikaUP newsडॉ कृष्ण गोपालHindu templesराष्ट्रधर्म पत्रिकाRashtradharma PatrikaDr. Krishna Gopalडॉ. कृष्ण गोपाल का बयानराष्ट्रधर्म पत्रिका के विशेषांक विमोचन
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