इस्लामी आतंकवादी संगठन हमास चारों ओर से घिरता नजर आ रहा है। एक तरफ से उस पर इस्राएल की जबरदस्त सैन्य मार पड़ रही है तो दूसरी तरफ उसके आर्थिक तंत्र पर चोट हो रही है। इस दोहरी मार से बिलबिलाये हमास के नेता एक बार फिर से ईरान और हिज्बुल्ला से आस लगा रहे हैं। लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन के ताजा आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए हमास को आर्थिक रूप से तोड़ने का बीड़ा उठा चुके हैं।
हमास पर अमेरिका तथा ब्रिटेन के हमास पर लगाए ताजे प्रतिबंध हर उस तंत्र पर लगाम कस देंगे जो उसे पैसा पहुंचाने में काम में लाया जा रहा है। इसका मकसद भी उसकी प्रतिरोधक क्षमता को खत्म करना ही है। इन दोनों देशों ने गत 7 अक्तूबर को हमास द्वारा इस्राएल पर बर्बर हमले के बाद इस आतंकवादी फलस्तीनी संगठन की मुश्कें कसनी शुरू की थीं। ताजा घोषणा एक प्रकार से अमेरिकी प्रतिबंधों का तीसरा दौर कहा जा सकता है। इसके तहत हमास के बड़े नेताओं और उसके अंदरूनी तंत्र को निशाने पर लिया गया है।
यही वह तंत्र बताया जा रहा है जिसके माध्यम से हमास के बड़े नेता अपने गुट के लिए और अपने सहयोगी गुट फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद यानी पीआईजे, और एक अन्य इस्लामी जिहादी गुट के लिए ईरान से आर्थिक मदद जुटाया आ रहा था। अमेरिका ने अब प्रतिबंध के जरिए इसी पर सीधी चोट करने का फैसला किया है। इसके साथ ही, अमेरिका ने पीआईजे के जिहादी अकरम अल अजौरी को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है।
हमास के इस्राएल पर जिहादी हमले के बाद, विश्व भर में इस्लामी जिहाद के प्रति फिर से एक आक्रोश उपजा है। इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने तो इसकी तुलना अमेरिका के 2011 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए जिहादी हमले से करते हुए हमास को समूल नष्ट करने की कसमें खाई हैं। इसलिए उन्होंने संघर्षविरोम के हर आह्वान का अब तक विरोध ही किया है।
दूसरी ओर, ब्रिटेन की सुनक सरकार ने आतंकवादियों की अपनी सूची में छह नए नामों को शामिल किया है। यह जानकारी सरकारी वेबसाइट पर भी साझा कर दी गई है। नए जुड़े छह नामों में से चार हमास के ही जिहादी सरगना हैं। अमेरिकी सरकार की तरफ से वहां की वित्त मंत्री जेनेट येलेन का एक बयान भी आया कि उनका देश हमास को सबक सिखाकर रहेगा, और उसे जिहादी कृत्यों के लिए पैसा देने वालों पर लगाम कसने के लिए ब्रिटेन व अन्य सहयोगी देशों के साथ प्रयास करता रहने वाला है।
हमास के इस्राएल पर जिहादी हमले के बाद, विश्व भर में इस्लामी जिहाद के प्रति फिर से एक आक्रोश उपजा है। इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने तो इसकी तुलना अमेरिका के 2011 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए जिहादी हमले से करते हुए हमास को समूल नष्ट करने की कसमें खाई हैं। इसलिए उन्होंने संघर्षविरोम के हर आह्वान का अब तक विरोध ही किया है। गाजा में इस्राएल की हमास विरोधी सैन्य कार्रवाई लगातार जारी है।
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