पाकिस्तान में बसे अफगानी आज दहशत में हैं। उन्हें लगने लगा है कि पाकिस्तान से बाहर निकलने का वक्त आ गया है। पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में यह बात जोर पकड़ती जा रही है कि करीब 17 लाख अफगानी सीमा के पार भेजे जाने वाले हैं। इस आशंका से घबराए अफगानियों ने कल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के सामने हायतौबा मचाई है।
इस मुद्दे पर दूसरे देशों ने भी चिंता जताई कि अब इन अफगानियों का क्या होगा? शायद ऐसी चिंताओं और पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में बसे अफगानी शरणार्थियों में बैठे डर को दूर करने की गरज से पाकिस्तान सरकार ने एक बयान जारी किया है। बयान के अनुसार, गैरकानूनी तरीके से पाकिस्तान में रह रहे अफगानी लोगों को सीमा से बाहर करने का काम एकदम से शुरू न करके, एक एक कदम बढ़ाते हुए किया जाना है। लेकिन इस बयान ने अफगानियों में दहशत कम नहीं हुई है बल्कि बढ़ गई है। उन्हें लगने लगा है कि आज नहीं तो कल, उन्हें यहां से जाना पड़ेगा। वे गुस्से से भरे बैठे हैं।
पाकिस्तान में गैरकानूनी अफगान प्रवासियों के विरुद्ध चलाई गई इस मुहिम के बारे में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने कहा है कि इस कदम के पीछे उद्देश्य है आर्थिक नुकसान को बंद किया जाए इसी वजह से हर तरह की गैरकानूनी गतिविधि को रोके जाने का सोचा गया है।
पाकिस्तान की सरकार का कहना है कि गैरकानूनी रूप से रह रहे अफगानी लोगों को एक व्यवस्था के तहत बाहर किया जाएगाा। ऐसा उन लोगों के साथ किया जाएगा जो बिना कागजात के इस देश में रह रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या अंदाजन लगभग 17 लाख से अधिक है। पता चला है कि पाकिस्तान का विदेश विभाग इस संबंध में पिछले कुछ दिनों से ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहा है।
दरअसल पिछले सप्ताह पाकिस्तान सरकार की ओर से कहा गया था कि कानूनी कागजात के बिना मुल्क में रह रहे अफगानियों सहित सभी गैरकानूनी अप्रवासियों को इस 31 अक्तूबर तक अपनी तरफ से देश से बाहर चले जाएं नहीं तो इन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। स्वाभाविक तौर पर इस बयान के आने के बाद से गैरकानूनी तौर पर बसे अफगानियों में डर फैलना ही था।
ऐसे अप्रवासियों के पाले में कुछ मानवाधिकार गुट आ खड़े हुए हैं, उन्होंने पाकिस्तान के इस बयान की निंदा की है। इन गुटों का कहना है कि अफगानियों को जबरदस्ती देश से बाहर करने की कार्रवाई के नतीजे गंभीर होंगे। लेकिन इस पर पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज बलोच का कहना है कि यह नीति सिर्फ अफगान लोगों के संदर्भ में नहीं, बल्कि हर गैरकानूनी अप्रवासी के लिए है। बलोच का कना है कि पाकिस्तान ने बड़ा दिल दिखाते हुए पिछले करीब 40 साल से अफगान शरणार्थियों को अपने यहां बसाया हुआ है। बलोच ने कहा कि सरकार के इस फैसले से उन शरणार्थियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है जो बाकायदा रजिस्टर्ड हैं। इनमें 14 लाख नागरिक अफगानी हैं, वे बेखटके रह सकते हैं।
पाकिस्तान में गैरकानूनी अफगान प्रवासियों के विरुद्ध चलाई गई इस मुहिम के बारे में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने कहा है कि इस कदम के पीछे उद्देश्य है आर्थिक नुकसान को बंद किया जाए इसी वजह से हर तरह की गैरकानूनी गतिविधि को रोके जाने का सोचा गया है।
पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक ‘द न्यूज’ की रिपोर्ट है कि पाकिस्तान की पुलिस ने अनेक शहरों में अफगान लोगों के लिए बने शरणार्थी शिविरों तथा उन अन्य क्षेत्रों में पड़ताल तेज कर दी है जहां अफगान नागरिक रहते हैं। इस कार्रवाई में पाकिस्तान में रहने के लिए जरूरी कागजात न दिखाने वाले कई सौ परिवारों को हिरासत में लिया गया है। सेना की तरफ से जारी एक बयान बताता है कि सेनाध्यक्ष ने इस संबंध में सिंध प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मकबूल बाक के साथ भी बातचीत की है।
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