शिया बहुल ईरान की जानी—मानी मानवाधिकारकर्मी नरगिस मोहम्मदी को 2023 का नोबुल शांति पुरस्कार दिया गया है। मोहम्मदी ईरान में महिलाओं के अधिकारों के लिए सत्ता से टकराव लेती रही हैं और इस वक्त भी जेल में रहते हुए महिला अधिकारों की मांग उठा रही हैं। वे अभी तक 31 साल जेल में बिता चुकी हैं। उन्होंने सजा के तौर पर पींठ पर चाबुक की मार भी सही है।
नरगिस मोहम्मदी ईरान में न सिर्फ महिलाओं के बल्कि हर एक के मानवाधिकार के लिए आवाज बुलंद करती रही हैं। उन्होंने सबकी स्वतंत्रता की वकालत की है। नोबुल पुरस्कार समिति का कहना है कि नरगिस को हर एक की लड़ाई लड़ते हुए अपनी तरफ से भारी कीमत चुकानी पड़ी है और वे अब भी जेल में बंद हैं।
नार्वे स्थित नोबुल पुरस्कार समिति की तरफ से ईरान की इस मानवाधिकारकर्मी को शांति का नोबुल पुरस्कार मिलने की घोषणा ने एक तरह से सबकी आजादी के पैरोकारों को बल दिया है। नरगिस ने अपने मूल देश ईरान में महिलाओं पर हो रहे दमन के विरुद्ध लंबी लड़ाई लड़ी। उस कट्टर शिया देश में मानवाधिकारों की बात की। इसी वजह से वे अभी तक 13 बार गिरफ्तार की जा चुकी हैं। इन 13 बार में से 5 बार तो उन्हें अपराधी ठहरा गया है। वे 31 साल जेल में बिता चुकी हैं। चाबुक के 154 वार भी सजा के तौर पर सह चुकी हैं।
नरगिस ‘डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर’ की उपाध्यक्ष हैं। इस गैर सरकारी संगठन को उन शिरिन एबादी ने गठित किया था, जिन्हें 2003 का नोबुल शांति पुरस्कार मिला था। नरगिस भी उनकी ही तरह, महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों और उनके प्रति होने वाले भेदभावपूर्ण बर्ताव के विरुद्ध भी मुखर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि आज नरगिस मोहम्मदी को शांति का नोबुल पुरस्कार देने की घोषणा हुई है और आज वे जेल में हैं। 2022 में ईरान में 22 साल की कुर्द लड़की महसा अमीनी की हिजाब न पहनने पर पुलिस द्वारा दी गई यातना से वह जान गंवा बैठी थी। उसकी मौत के बाद से पूरे ईरान में शुरू हुए जबरदस्त प्रदर्शन हालांकि आज मद्धम भले पड़े हों, पर खत्म नहीं हुए हैं। नरगिस ने तब महिलाओं की आजादी की आवाज बुलंद की थी।
नरगिस ईरान की सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर किए गए अत्यचारों के बीच भी अपने आंदोलन से नहीं भटकीं। इस आंदोलन में मारे जाने वाले आम नागरिकों की संख्या 500 कोे पार कर चुकी है। घायलों की संख्या भी हजारों में है। ईरान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां तक चलाईं। हिजाब विरोधी इन प्रदर्शनों को बंद कराने के लिए पुलिस अभी तक 20 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। हिजाब विरोध और महिलाओं के अधिकारों की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने मोहम्मदी की इस लड़ाई को आगे बढ़कर अपना समर्थन दिया।
इतना ही नहीं, पुलिस ने नरगिस मोहम्मदी पर बहुत से अन्य आरोप भी मढ़े हैं। उन पर सरकार विरोधी दुष्प्रचार फैलाने का आरोप है। नरगिस ‘डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर’ की उपाध्यक्ष हैं। इस गैर सरकारी संगठन को उन शिरिन एबादी ने गठित किया था, जिन्हें 2003 का नोबुल शांति पुरस्कार मिला था। नरगिस भी उनकी ही तरह, महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों और उनके प्रति होने वाले भेदभावपूर्ण बर्ताव के विरुद्ध भी मुखर रही हैं।
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