भारत के नाम को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रहा है। जी20 के आमंत्रण कार्ड में इंडिया की जगह भारत का उल्लेख है। डीएमके के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म के अपमान पर चुप्पी साधने वाला आईएनडीआईए गठबंधन भारत की बात को तूल दे रहा है। विपक्ष की राजनीति पर केंद्रीय विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि नाम को तूल नहीं दिया जाना चाहिए। भारत नाम तो संविधान में लिखा है। उन्होंने संविधान पढ़ने की भी सलाह दी है। वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह स्पष्ट कहा है कि सरकार इस तरह का कोई बदलाव नहीं करने जा रही है। फिर भी आइये देखते हैं कि संविधान में क्या लिखा है।
भारत के संविधान की उद्देशिका क्या कहती है
हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों
को :
सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता
और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता
बढ़ाने के लिए
दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई० (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
देश के नाम को लेकर क्या कहता है संविधान
संविधान में देश के नाम को भी उल्लेख है। देश को संघ के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के भाग 1 में संघ और उसका राज्य क्षेत्र का उल्लेख है।
1- संघ का नाम और उसका राज्यक्षेत्र – भारत, अर्थात् इंडिया राज्यों का संघ होगा।
तमिल भाषा में
पंजाबी में
मराठी में
अंग्रेजी में
हमारा देश भारत था, है और रहेगा, कांग्रेस पार्टी भारत के खिलाफ है- हिमंत बिस्वा सरमा
असम के मुख्यमंत्री ने देश के नाम को लेकर शुरू किए गए विवाद पर कहा कि हमारा देश भारत था, है और रहेगा। कांग्रेस ने I.N.D.I.A गठबंधन बनाया है। हमारे देश का नाम अंग्रेजी शब्द में क्यों होना चाहिए? भारतीय नाम होना चाहिए। कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ क्यों की? ‘इंडिया जोड़ो यात्रा’ क्यों नहीं की? हमारे संविधान में देश का मूल नाम ‘भारत’ ही है। कांग्रेस पार्टी हिंदू और भारत के खिलाफ है।
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