एक सच्चा राजा जानता है कि कैसे हारे हुए युद्ध को भी जीतना है। जन-जन के नायक छत्रपति शिवाजी महाराज ने हताश हुए जनमानस में स्व का उद्घोष किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज से मुकाबला करने के लिए मुगल आक्रांता औरंगजेब ने अपने मामा शाइस्ता खान को दक्षिण भारत का सूबेदार बनाया था। शाइस्ता खान ने डेढ़ लाख सेना लेकर पुणे में 3 साल तक लूटपाट की, लेकिन शिवाजी के 350 मावले इस आक्रांता पर भारी पड़े। मावलों के छापामार हमले से शाइस्ता खान डर गया और वह अपनी जान बचाकर भागा था। शिवाजी की सैन्य रणनीति अनोखी और अद्भुत थी।
शिवाजी की अभिनव सैन्य रणनीति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध के तरीकों का अविष्कार किया, जिन्हें शिवा सूत्र या गामिनी कावा कहते हैं। यह भूगोल, फुर्ती और भौंचक कर देने वाले सामरिक कारकों के अनुसार भारी जोखिम लेकर युद्ध में परिस्थिति का लाभ उठाने की रणनीति है। इसमें बड़े और अधिक शक्तिशाली दुश्मनों को हराने के लिए सटीक हमलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इसमें सर्जिकल स्ट्राइक जितना ही भारी जोखिम है।
आधुनिक भारतीय नौसेना के जनक छत्रपति शिवाजी महाराज
17 वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी के राज्यकाल में एक मजबूत मराठा नौसेना ने भारतीय जल सीमाओं की अनेकों विदेशी आक्रमणकारियों से सफलतापूर्वक रक्षा की। छत्रपति शिवाजी की नौसेना भलीभांति प्रशिक्षित थी और उनके पोत तोपों से सुसज्जित थे। शिवाजी ने अंडमान द्वीप समूह पर निगरानी चौकियों का निर्माण कराया जहां से शत्रुओं पर निगाह रखी जाती थी। मराठा नौसेना ने कई बार अंग्रेजी, डच और पुर्तगाली नौसेना पर सफलतापूर्वक हमले किये और जहाजों पर कब्जा किया। शिवाजी ने अपनी दूरदर्शिता और रणनीति से भारतीय नौसेना के इतिहास में ऐसी छाप छोड़ी कि उन्हें आधुनिक भारतीय नौसेना का जनक कहा जाता है।
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