कुटिलता की पराकाष्ठा

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हितेश शंकर

उच्च न्यायालय में कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ कांग्रेस के एक नेता- अहमद पटेल के लिए टूल के तौर पर काम कर रही थीं। प्रत्यक्ष तौर पर तीस्ता सीतलवाड़ एक एनजीओ चलाती थीं। लेकिन उनका यह कथित एनजीओ क्या करता था? उसका मकसद गुजरात की सरकार को विश्व भर में बदनाम करना

गुजरात सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ कांग्रेस के एक नेता- अहमद पटेल के लिए टूल के तौर पर काम कर रही थीं। प्रत्यक्ष तौर पर तीस्ता सीतलवाड़ एक एनजीओ चलाती थीं। लेकिन उनका यह कथित एनजीओ क्या करता था? उसका मकसद गुजरात की सरकार को विश्व भर में बदनाम करना, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी तरह दंगों की साजिश में फंसाना और व्यवहार में गोधरा कांड के अपराध और अपराधियों के लिए संरक्षण की एक दीवार बनकर खड़े होना था।

कांग्रेस के नेता विदेशों में जाकर मोहब्बत की दुकानें खोल रहे हैं, लेकिन जो भांडाफोड़ हो रहा है, उससे फिर एक बार यह साबित हो रहा है कि कांग्रेस सिर्फ नफरत की फैक्ट्री चलाती आ रही है और मोहब्बत की दुकान तो खून खराबा कराने वाली टूलकिट के लेबल पर लिखा एक नाम भर है। तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका का विरोध करते हुए गुजरात सरकार ने जिस प्रकार के तथ्य उच्च न्यायालय के सामने रखे हैं, उन्हें देखकर फिर एक बार यह लगता है कि शायद ही ऐसा कोई कुकर्म बचा हो जो कांग्रेस ने न किया हो। कुटिलता की पराकाष्ठा यह है कि कांग्रेस अपनी हरकतों पर शर्म करने के बजाय उन्हें अपनी गौरवगाथा के रूप में गाने वाला एक राजनीतिक दल और राजनीतिक परिवार है।

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तीस्ता सीतलवाड़ वह महिला हैं, जिसे कांग्रेस की सरकार ने न केवल पद्मश्री से सम्मानित किया था बल्कि उसे उस राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का सदस्य बनाया था, जिसकी हैसियत कैबिनेट से भी ऊपर थी। और यह सब करने वाली कांग्रेस पिछले नौ वर्ष से लोकतंत्र की दुहाई देती आ रही है और भारत में लोकतंत्र के लिए खतरे का राग विदेशों में जाकर अलापती रही है। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में मनोनयन भी उन लोगों का, जिनमें से एक विशुद्ध झूठ पर आधारित नकली सामूहिक कब्र जैसा नाटक रचने में महारत रखती थी, तो दूसरा- हर्ष मंदर- जो खुद तो संदिग्ध विदेशी संगठनों से फंडिंग लेकर अवैध तरीके से चिल्ड्रन शेल्टर होम चला रहा था, सीएए के विषय पर झूठ बोल कर लोगों को भड़काता था, दंगाइयों को बचाने के लिए झूठी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार करता था, लेकिन कहानी लिखकर बताता था कि (उस जैसे) एनजीओ ही तारणहार होते हैं।

जो कांग्रेस हमेशा भ्रष्टाचार के शिखर पर रही, वह कांग्रेस विज्ञापन देखकर 40% का आंकड़ा सृजित कर लेती है। संतोष की बात है कि अब यह मामला अदालत में है, लेकिन अगर इसका झूठ साबित हो जाता है तो भी इससे कर्नाटक की जनता को दिए गए धोखे का परिमार्जन कैसे होगा- यह विचार करने की बात होगी। स्पष्ट तौर पर कांग्रेस तमाम स्वांग इसलिए करती है, ताकि उसका भेद खुलने से और उसके कृत्यों पर कार्यवाही होने से यथासंभव बचा जा सके। यह अपराधियों की तरह का व्यवहार है, लोकतंत्र के लिए और देश के लिए खतरा है।

यही जून का समय था, जब कांग्रेस ने भारत के विभाजन के लिए अपनी सहमति प्रस्ताव पारित करके दी थी। वह सहमति जिसका परिणाम न केवल देश के विभाजन में, बल्कि लाखों लोगों की प्राण हानि होने और असंख्य लोगों के बेघरबार होने के रूप में निकला था, वह कांग्रेस जिसने एक अनिर्वाचित व्यक्ति को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया था और देश के विभाजन की सहमति उसके प्रधानमंत्री बनने की नींव में शामिल थी। वही कांग्रेस बड़ी शान से 70 साल तक यह राग अलापती रही थी कि उसने तो देश को आजादी दिलाई थी। वह कांग्रेस, जिसने असली आतंकवादियों को बचाने के लिए हिंदू आतंकवाद का झूठ रचा, जिसने मुंबई में आतंकवादी हमले करवाए, वह कांग्रेस मोहब्बत की दुकान खोलती है।

जो कांग्रेस हमेशा भ्रष्टाचार के शिखर पर रही, वह कांग्रेस विज्ञापन देखकर 40% का आंकड़ा सृजित कर लेती है। संतोष की बात है कि अब यह मामला अदालत में है, लेकिन अगर इसका झूठ साबित हो जाता है तो भी इससे कर्नाटक की जनता को दिए गए धोखे का परिमार्जन कैसे होगा- यह विचार करने की बात होगी। स्पष्ट तौर पर कांग्रेस तमाम स्वांग इसलिए करती है, ताकि उसका भेद खुलने से और उसके कृत्यों पर कार्यवाही होने से यथासंभव बचा जा सके। यह अपराधियों की तरह का व्यवहार है, लोकतंत्र के लिए और देश के लिए खतरा है।

जो कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष होने का प्रमाणपत्र देती है, वह किस धर्मनिरपेक्षता की बात कर सकती है- यह समझना होगा। वास्तव में प्रश्न यह है कि इस देश के लिए कांग्रेस, कम्युनिस्ट और मुस्लिम लीग में से ज्यादा बड़ा खतरा कौन है? तीनों एक दूसरे के लिए उसी तरह व्यवहार कर रहे हैं, जिसे अंग्रेजी में Useful Idiots कहा जाता है, माने वे मूर्ख, जो अपने छोटे स्वार्थ के लिए अपने ही देश से गद्दारी कर लेते हैं। न्यायपालिका और कार्यपालिका सहित देश के तंत्र को यह विचार करना चाहिए ऐसे जोंक सरीखे रक्तबीज शत्रुओं से किस प्रकार का व्यवहार किया जाना चाहिए।
@hiteshshankar

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