मुस्लिम गुज्जरों से ग्रस्त जंगल
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तराखंड

मुस्लिम गुज्जरों से ग्रस्त जंगल

खबर है कि तब्लीगी जमात मुस्लिम गुज्जरों के बच्चों को कट्टरवाद की ओर धकेल रही है। राज्य सरकार का कहना है कि जो लोग उत्तराखंड के वासी हैं, वही वहां रहें, बाकी जंगल छोड़ें

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jun 16, 2023, 06:20 pm IST
in उत्तराखंड
वन क्षेत्र में एक मुस्लिम गड़रिए द्वारा बनाई गई एक झोंपड़ी। (प्रकोष्ठ में) हाथी दांत के साथ एक तस्कर

वन क्षेत्र में एक मुस्लिम गड़रिए द्वारा बनाई गई एक झोंपड़ी। (प्रकोष्ठ में) हाथी दांत के साथ एक तस्कर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

उत्तराखंड में मुस्लिम गुज्जर समुदाय में तब्लीगी जमात का दखल बढ़ता जा रहा है। अब यह समुदाय जमीन जिहाद में शामिल हो चुका है। इस समुदाय के लोग जगह-जगह जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।

उत्तराखंड के जंगलों में कट्टरवादी तत्वों की घुसपैठ हो चुकी है। ऐसा कहा जा रहा है कि कभी जंगल के रखवाले माने जाने वाले मुस्लिम गुज्जर समुदाय में तब्लीगी जमात का दखल बढ़ता जा रहा है। अब यह समुदाय जमीन जिहाद में शामिल हो चुका है। इस समुदाय के लोग जगह-जगह जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। ये लोग न सिर्फ सरकारी वन भूमि पर कब्जा कर रहे हैं, बल्कि हाथी, बाघ, तेंदुए जैसे दुर्लभ वन्यजीवों का शिकार भी कर रहे हैं।

कहा जाता है कि मुस्लिम गुज्जर पहले शाकाहारी थे, यह उनका संस्कार ही था। लेकिन अब उनकी नई पीढ़ी में जमातियों का प्रभाव देखा जा रहा है। इस समुदाय के युवा जमात में जाकर कट्टरपंथी बन रहे हैं। पहले इस समुदाय में बकरे की कुर्बानी तक नहीं होती थी, लेकिन जब से इनके यहां जमात के मौलानाओं का आना-जाना हुआ है, तब से इनके सोच में काफी बदलाव आ गया है। इनके मन में यह बात बैठा दी गई है कि तुम इस्लाम को मानने वाले यानी मुसलमान हो और तुम्हें यही जीवन जीना है। तभी से इनका सामाजिक परिवर्तन हो गया है।

हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के मुस्लिम गुज्जरों ने तब्लीगी जमात के साथ मिलकर एक योजना के तहत जंगलों में बसावट कर ली है। अनुमान है कि अब ऐसे परिवारों की संख्या 5,000 से अधिक हो चुकी है। ये लोग सरकारी खामियों का फायदा उठा कर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।ऐसे भी सबूत मिले हैं कि जमीन पर दावा करने के लिए महिलाएं पति बदलती रहीं और पति पत्नी बदलते रहे। इसके साथ ही उनके बच्चे भी अलग से जमीन पर दावा करने लगे।

जंगलों में इनके बच्चों को इस्लामिक शिक्षा देने के लिए मदरसे खोले जा रहे हैं। इन मदरसों में हाफिज, मौलाना बाहर से आकर डेरा डाल रहे हैं और वहां मजहबी तालीम दे रहे हैं।

पर यह तब हो रहा है जब कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व से निकालकर इन्हें एक बार दूसरी जगह बसाया जा चुका है। बता दें कि 1998 में एक सर्वेक्षण कराया गया था। इसमें 512 परिवार ही सामने आए थे। हर परिवार को एक हेक्टेयर जमीन और लगभग 4,50,000 रु. भी दिए गए थे, ताकि ये लोग अपने घर बना सकें और रोजी-रोटी कमा सकें। इसके बाद भी इन लोगों ने वन क्षेत्र को नहीं छोड़ा।

बताया जा रहा है कि इनमें से कई लोग अपना मकान छोड़कर शेष जमीन को उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम गुज्जरों  दस रु के स्टांप पर बेच कर पहाड़ों की तरफ अपने पशु लेकर चले गए और वहां सुरक्षित वन क्षेत्र में डेरे डाल कर बैठ गए। उनके पीछे-पीछे और राज्यों के मुस्लिम गुज्जर भी जंगलों में जा बसे।

ऐसा कहा जाता है कि हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के मुस्लिम गुज्जरों ने तब्लीगी जमात के साथ मिलकर एक योजना के तहत जंगलों में बसावट कर ली है। अनुमान है कि अब ऐसे परिवारों की संख्या 5,000 से अधिक हो चुकी है। ये लोग सरकारी खामियों का फायदा उठा कर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।ऐसे भी सबूत मिले हैं कि जमीन पर दावा करने के लिए महिलाएं पति बदलती रहीं और पति पत्नी बदलते रहे। इसके साथ ही उनके बच्चे भी अलग से जमीन पर दावा करने लगे।

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस समय हजारों हेक्टेयर जमीन पर मुस्लिम गुज्जरों का कब्जा है। यह भी कहा जा रहा है कि इनकी आबादी 15,000 से ज्यादा है। वन विभाग को जीपीएस और सेटेलाइट चित्रों से इस बात के प्रमाण मिले हैं। एक रपट के अनुसार तराई सेंट्रल, तराई वेस्ट में करीब 5,000 हेक्टअर वन भूमि पर कब्जा कर मुस्लिम गुज्जर खेती कर रहे हैं।

बता दें कि मुस्लिम गुज्जरों को उत्तराखंड के 70 प्रतिशत वन क्षेत्र में घूमने और पशुओं को चराने का परमिट मिलता रहा है। कभी ये जंगल के रखवाले हुआ करते थे, किंतु अब ऐसे प्रमाण मिले हैं कि ये लोग बाघ की खाल, हड्डियों और हाथी दांत के लिए शिकार में लिप्त हैं।

हरिद्वार में जिला वन अधिकारी (डीएफओ) रह चुके आकाश वर्मा के कार्यकाल में एक मुस्लिम गुज्जर के घर से बाघ की खाल और हड्डियां जमीन में गड़ी हुई मिली थीं। इसी तरह तराई के आम पोखरा रेंज में गुलाम रसूल के घर से हाथी दांत बरामद हुआ था और आरोपी ने कबूल किया था कि उसने करंट लगा कर हाथी का शिकार किया था। एक अन्य गुज्जर  मोहम्मद कासिम भी हाथी दांत की तस्करी में पकड़ा गया था।

ये गुज्जर उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा तिब्बत-चीन सीमा तक पशु लेकर पहुंच रहे हैं। कुछ साल पहले वन अधिकारियों ने इनके गोविंद पशु विहार में जाने पर रोक लगा दी थी। वन अधिकारियों का कहना था कि हम यहां स्नो लेपर्ड, मोनाल, ब्रह्मकमल, भालू, कस्तूरी मृग के साथ-साथ देश की सीमा को संरक्षित और सुरक्षा देना चाहते हैं, लेकिन इसमें  गुज्जर बाधक बन रहे हैं। बताया जाता है कि राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद अब इनका फिर से वहां जाना शुरू हो गया है।

ऐसे एक या दो नहीं, दर्जनों मामले हैं, जिनमें मुस्लिम गुज्जर वन्य जीव-जंतुओं का शिकार करते पकड़े गए हैं। यही नहीं, ये लोग इमारती लकड़ी और दुर्लभ जड़ी-बूटियों की तस्करी में भी लिप्त पाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि ये लोग तस्करी का सामान अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करों तक पहुंचाने के रास्ते जानते हैं। यह भी पता चला है कि बहुत से मुस्लिम गुज्जर अब तेज धारदार हथियार और गैर-कानूनी शस्त्र भी रखते हैं, जिनका इस्तेमाल ये वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ करते हैं।

ये गुज्जर उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा तिब्बत-चीन सीमा तक पशु लेकर पहुंच रहे हैं। कुछ साल पहले वन अधिकारियों ने इनके गोविंद पशु विहार में जाने पर रोक लगा दी थी। वन अधिकारियों का कहना था कि हम यहां स्नो लेपर्ड, मोनाल, ब्रह्मकमल, भालू, कस्तूरी मृग के साथ-साथ देश की सीमा को संरक्षित और सुरक्षा देना चाहते हैं, लेकिन इसमें गड़रिए बाधक बन रहे हैं। बताया जाता है कि राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद अब इनका फिर से वहां जाना शुरू हो गया है।

यही सबसे बड़ी समस्या है। यदि उत्तराखंड के वास्तविक स्वरूप को बचाना है, तो इस समस्या का हल ईमानदारी से ढूंढना होगा। इसमें देर न हो। पहले ही बहुत देर हो चुकी है।

Topics: हिमाचल प्रदेशHimachal Pradeshसामाजिक परिवर्तनकॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्वSocial ChangeCorbett and Rajaji Tiger ReservesInternational Border of UttarakhandTibet-China Borderमुस्लिम गुज्जरजम्मू-कश्मीरmuslim gujjarsJammu and Kashmir
Share2TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Operation Sindoor: शशि थरूर ने की पीएम मोदी और भारतीय सेना की तारीफ, कहा- गर्व है ऐसी कार्रवाई पर

एलओसी पर पेट्रोलिंग करते भारतीय जांबाज

लगातार एलओसी पर फायरिंग के पीछे पाकिस्तान का गेमप्लान

सीमा के उस पार चल रहा एक मदरसा   (फाइल चित्र)

खौफ में जिन्ना का देश, सीमा के आसपास बंद कराए 1000 से ज्यादा मदरसे, हिन्दुस्थान से तगड़ी मार पड़ने की आशंका

सुप्रीम कोर्ट

“बेहद गंभीर वक्त है, सेना का मनोबल न गिराएं”, पहलगाम आतंकी हमले पर सुनवाई से SC का इनकार, लगाई फटकार

पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर फिर की गोलीबारी, भारतीय सेना के जवानों ने दिया जवाब

पहलगाम में आतंकियों ने हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा

इजरायल ने पहलगाम हमले को बताया अस्वीकार्य, तस्वीरें दिल दहला देने वालीं, पाकिस्तान पर कड़ा रुख

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा झूठ पर झूठ, खालिस्तानी गठजोड़ फिर दिखा, युद्ध का गाना भी रिलीज कर दिया

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies