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सीमा पर चीनी शरारत

चीन एलएसी के निकट अपनी सीमा में नये मॉडल गांव बना रहा है। इसके अलावा युद्ध की स्थिति में नागरिकों की ओर से सैन्य कदमों का प्रतिरोध न हो सके, इसके लिए चीन नये-नये कानून बना रहा है। साथ ही आम लोगों को युद्ध के लिए मानसिक रूप से तैयार करने के कदम भी उठा रहा है

by आदर्श सिंह
Jun 9, 2023, 12:21 pm IST
in रक्षा
चीन एलएसी के निकट नये मॉडल गांव बसा रहा है जिसमें तीन माह में 400 घर बनाये जा चुके हैं उत्तराखंड से सटी सीमा के निकट बन रहे चीनी गांव का उपग्रह चित्र

चीन एलएसी के निकट नये मॉडल गांव बसा रहा है जिसमें तीन माह में 400 घर बनाये जा चुके हैं उत्तराखंड से सटी सीमा के निकट बन रहे चीनी गांव का उपग्रह चित्र

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संवेदनशील इलाके में चीनी गश्त और आक्रामकता में भी इजाफा देखा गया है। सीमा पर बन रहे इन गांवों को चीन, मॉडल विलेज या बॉर्डर डिफेंस विलेज कहता है। ये मॉडल विलेज और कुछ नहीं बल्कि सैन्य चौकियां ही हैं। उत्तराखंड से लगती सीमा पर हालिया दिनों में चीनी घुसपैठ के प्रयास भी हुए हैं।

चीन उत्तराखंड के बाराहोती से लगती सीमा पर नये गांव बना रहा है। ये गांव सीमा से महज 11 किलोमीटर दूर हैं। यहां पर कुछ समय पूर्व भारतीय और चीनी फौजें आमने-सामने हो चुकी हैं। इस संवेदनशील इलाके में चीनी गश्त और आक्रामकता में भी इजाफा देखा गया है। सीमा पर बन रहे इन गांवों को चीन, मॉडल विलेज या बॉर्डर डिफेंस विलेज कहता है। ये मॉडल विलेज और कुछ नहीं बल्कि सैन्य चौकियां ही हैं। उत्तराखंड से लगती सीमा पर हालिया दिनों में चीनी घुसपैठ के प्रयास भी हुए हैं।

हालांकि इस तरह के गांव वह सिर्फ उत्तराखंड की सीमा पर ही नहीं, बल्कि अरुणाचल और सामरिक दृष्टि से बेहद अहम सिलीगुड़ी गलियारे के पास भी बसा रहा है। चीन की इन कार्रवाइयों को सीमित परिप्रेक्ष्य में देखना ठीक नहीं होगा। सच्चाई तो यह है कि कथित मॉडल विलेज के नाम पर बन रहे इन ‘किलों’ सहित अन्य अनेक कदम चीन की युद्धक तैयारियों का हिस्सा है।

मीडिया में ताजा खबरें ऐसी भी चल रही हैं कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने तीन क्षेत्रों लद्दाख के निकट होटान, हिमाचल के निकट न्गारी गुनसा और तिब्बत के ल्हासा में नये एयरफील्ड, रनवे, एप्रन और सैन्य संचालन केंद्र का निर्माण किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि चीन पिछले कुछ वर्षों से युद्ध की तैयारियों में जुटा हुआ है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग खुद भी कई मौकों पर यह साफ कर चुके हैं तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। इस साल विधिवत ताजपोशी से पूर्व चीनी राष्ट्रपति ने चार अहम भाषण दिये। इनमें तीन उनके आधिकारिक रूप से तीसरा कार्यकाल संभालने से पूर्व और एक उसके बाद था। इन चारों ही भाषणों में जिनपिंग ने चीनी सेना और जनता से युद्ध के लिए तैयार रहने और हर हाल में जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया था।

जिनपिंग ने हाल ही में एक भाषण में चीन के निजी क्षेत्र से चीनी सेना और इसके रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने में पूरी निष्ठा से सहयोग करने का आग्रह किया।

सेना के सहयोग के कानून
जिनपिंग सिर्फ आह्वान ही नहीं कर रहे, बल्कि इस दिशा में हरसंभव कदम उठा रहे हैं जो लोकतांत्रिक देशों के लिए मुश्किल हैं। युद्धक तकनीकों के विकास में सैन्य-नागरिक सहयोग और तालमेल सुनिश्चित करने पर जोर है तो तमाम ऐसे कानून लाए जा रहे हैं जिससे युद्ध और कब्जे के प्रयासों में मदद मिल सके या घुसपैठ और कब्जे के चीनी प्रयासों को वैध ठहराया जा सके। चीन का नया लैंड बॉर्डर कानून 1 जनवरी, 2022 से लागू हुआ।

पिछले साल दिसंबर में नया ‘रिजर्विस्ट कानून’ लागू किया गया। दो साल पहले चीन ने अपने राष्ट्रीय कानून और सैन्य सेवा कानून में भी बदलाव किया। सैन्य सेवा कानूनों में बदलाव काफी अहम है। पहले के कानून में था कि चीन पर अचानक आक्रमण की स्थिति में दुश्मन को जवाब देने के लिए ‘रिजर्विस्ट’ रंगरूटों की भर्ती की जाएगी जबकि नये कानून में इसका दायरा काफी विस्तृत हो गया है। नया कानून कहता है कि अब देश की संप्रभुता, एकता, भौगोलिक अखंडता और देश के विकास संबंधी हितों को खतरा पैदा होने पर भी रिजर्विस्ट रंगरूटों की भर्ती की जा सकती है।

इसी फरवरी में चीन ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसके तहत युद्ध के समय अपराध कानून में संशोधन करते हुए चीनी सेना को असीमित अधिकार प्रदान किए गए हैं। यह कानून खास तौर से ताइवान को लक्षित करके बनाया गया प्रतीत होता है। इसके अनुसार युद्ध के समय राष्ट्रीय लक्ष्यों के प्रति किसी भी तरह की असहमति, आलोचना या असंतोष जाहिर करने पर किसी के भी खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। किसी ने भी ताइवान पर कब्जे के लिए युद्ध पर मुंह खोला तो उसे जेल में डाल दिया जाएगा। इसके अलावा फुजियान, हुबेई, हुनान, इनर मंगोलिया, शांदोंग, शंघाई, सिचुआन, तिब्बत और वुहान में नेशनल डिफेंस मोबिलाइजेशन कार्यालय खोले गए हैं। पूरे देश में हवाई हमले से सुरक्षा के लिए बने बंकरों और आपात अस्पतालों का उन्नयन किया जा रहा है।

कमजोरी दूर करने की मुहिम
चीन अब अपनी तमाम कमजोरियों की पहचान और उन्हें दूर करने में लगा हुआ है। आत्मनिर्भरता अब नया मंत्र है। चीन में जिन जिन चीजों की कमी है, उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। सबसे ज्यादा जोर खाद्य सुरक्षा पर है। चीन किसी भी तरह खाद्यान्न आयात पर अपनी निर्भरता घटाना चाहता है। चीन ने 2022 में 146.9 मिलियन टन खाद्यान्न का आयात किया था। साथ ही उन तकनीकों पर विशेष जोर है जिसमें वह पश्चिमी देशों से पीछे है। ये तमाम कानूनी और सैन्य तैयारियां बता रही हैं कि जिनपिंग चीन को किस दिशा में ले जा रहे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल एच.आर. मैकमास्टर का कहना है कि चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है, सिर्फ आर्थिक और वित्तीय मोर्चे पर ही नहीं बल्कि सैन्य आक्रामकता भी बढ़ रही है। इसके खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

युद्ध के लिए मानसिक तैयारी
हैरानी की बात ये है कि वह देश जिसकी सेंसरशिप ऐसी है कि उसके नागरिक अपनी मर्जी से एक फिल्म नहीं देख सकते या एक किताब नहीं पढ़ते, अपनी सारी युद्धक रणनीतियां जनता को केंद्र में रख कर बना रहा है। यानी चीन अब अपने नागरिकों को मानसिक रूप से युद्ध के लिए तैयार कर रहा है। जिनपिंग ने हाल ही में एक भाषण में चीन के निजी क्षेत्र से चीनी सेना और इसके रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने में पूरी निष्ठा से सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमारे सामने जोखिम और चुनौतियां विकराल रूप लेने वाली हैं। लड़ने की हिम्मत और जीत के हौसले के लिए चीन के सभी 140 करोड़ लोगों को एकजुट और एकराय होना पड़ेगा।

दमनकारी साम्यवादी सत्ता तंत्र का लाभ उठाते हुए अपने सभी संसाधनों को युद्ध में झोंकने के लिए तैयार है। ऐसा लगता है कि चीन अब यह स्वीकार कर चुका है कि लोकतांत्रिक देश उसके मंसूबों को पूरा करने में रोड़ा अटकाते रहेंगे और इसका एकमात्र उपाय है युद्ध। इससे सतर्क होते हुए भारत को सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में और तेजी लानी होगी, क्योंकि किसी भी तनाव की स्थिति में सीमा पर बसाए जा रहे ये मॉडल चीनी गांव चीन की सैन्य छावनी के रूप में नजर आएंगे, इसमें कोई दो राय नहीं। 

एक हालिया आदेश में चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा शिक्षा की अवधारणा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए रणनीतिक महत्व की है। निर्देशों में कहा गया है कि देश के शिक्षण संस्थानों का यह दायित्व है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा शिक्षा की अवधारणा का उन्नयन और परिष्कार करते हुए इसे परीक्षा व्यवस्था में शामिल करें।

ये तमाम चीजें साबित कर रही हैं कि चीन एक समग्र युद्ध की तैयारी कर रहा है जिसमें वह दमनकारी साम्यवादी सत्ता तंत्र का लाभ उठाते हुए अपने सभी संसाधनों को युद्ध में झोंकने के लिए तैयार है। ऐसा लगता है कि चीन अब यह स्वीकार कर चुका है कि लोकतांत्रिक देश उसके मंसूबों को पूरा करने में रोड़ा अटकाते रहेंगे और इसका एकमात्र उपाय है युद्ध। इससे सतर्क होते हुए भारत को सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में और तेजी लानी होगी, क्योंकि किसी भी तनाव की स्थिति में सीमा पर बसाए जा रहे ये मॉडल चीनी गांव चीन की सैन्य छावनी के रूप में नजर आएंगे, इसमें कोई दो राय नहीं।

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