उत्तराखंड : पछुवा देहरादून में मजारों के बाद अब अवैध धार्मिक स्थलों को नोटिस दिए जाने की तैयारी
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उत्तराखंड : पछुवा देहरादून में मजारों के बाद अब अवैध धार्मिक स्थलों को नोटिस दिए जाने की तैयारी

धामी सरकार ने अतिक्रमण मुक्त करने के लिए जिला प्रशासन, एमडीडीए के अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश

by उत्तराखंड ब्यूरो
May 12, 2023, 12:17 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
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उत्तराखंड में देहरादून जिले के विकास नगर परगना में बीते कुछ वर्षों में अवैध रूप से धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया है। इनमें मस्जिद, मदरसे, और मंदिर भी शामिल हैं, जिन्हें अब प्रशासन नोटिस देने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सहसपुर क्षेत्र में एक मदरसे की आड़ लेकर मस्जिद बनाए जाने का मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था उसके बाद एमडीडीए प्रशासन ने उक्त मदरसे की इंतजामिया कमेटी को नोटिस दिया था। साथ ही प्रशासन ने अन्य धार्मिक स्थलों को भी चिन्हित किया है, जिनके निर्माण कार्य बिना एमडीडीए अथवा जिला अधिकारी की अनुमति के हो रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 20 जून 2009 को ये आदेश दिया था कि देश में कहीं भी नया धार्मिक स्थल नहीं बनाया जाएगा और यदि कोई बनाता है अथवा किसी पुराने धार्मिक स्थल की मरम्मत भी करवाई जाती है तो इसके लिए जिला कलेक्टर से अनुमति लेना जरूरी किया गया है। इस मामले में सभी राज्यों के हाई कोर्ट को निगरानी रखने के लिए अधिकृत किया गया था और जिला कलेक्टर को इसकी जानकारी हाई कोर्ट में देना आवश्यक किया गया था।

जानकर मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा इसलिए किया था कि किसी भी सरकारी अथवा निजी जमीन पर कब्जा करके, किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करके, सामाजिक सौहार्द को आहत करके कोई धार्मिक निर्माण न किया जा सके। जिला कलेक्टर की अनुमति के पीछे मूल भावना ये भी थी कि निर्माण से पूर्व उस धार्मिक स्थल का संपूर्ण दस्तावेजों के साथ नक्शा पास करवा लिया जाए।
देहरादून के धर्मपुर, सहसपुर, शिमला बाईपास, रामपुर मंडी, हरबर्टपुर, सेलाकोई, ढकरानी, शंकरपुर, इस्लाम नगर आदि क्षेत्रों में पिछले 10 सालों में 182 मस्जिदों का, 65 मदरसों का और 72 मजारों का निर्माण, पुनर्निर्माण बिना सरकारी अनुमति से किया गया है। इसके अलावा यहां 32 मंदिर भी हैं, जिन्हें चिन्हित किया गया है। सहसपुर सेलाकोई में मदरसे बनाए जा रहे हैं, जिनकी आड़ लेकर आलीशान मस्जिदें तैयार हो रही हैं। मदरसे को शिक्षालय बताया जाता है और फिर पीछे मस्जिद का हाल तैयार किया जा रहा है। इन्हें फंडिंग कहां से हो रही है, ये भी बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है।

जानकारी के मुताबिक हाल ही में शासन द्वारा तोड़ी गई अवैध मजारों में भी कमरे बनाकर उन्हें मस्जिद का रूप देकर वहां नमाज अता करवाई जा रही थी। पछुवा देहरादून में जिस तरह से जनसंख्या असंतुलन की समस्या खड़ी हुई है, एक बड़ी मुस्लिम आबादी ने सरकारी जमीनों पर कब्जा किया। उसी तरह से अवैध रूप से मजारों, मस्जिद और मदरसों का भी निर्माण हुआ, जिस सहसपुर मदरसे का जिक्र सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में हुआ था। उसकी विकासनगर प्रशासन द्वारा भूमि की पड़ताल की गई तो जानकारी सामने आई कि मदरसे का एक बड़ा हिस्सा नदी श्रेणी की जमीन पर कब्जा करके बनाया गया है। इसी तरह सड़कों के किनारे, नदी के किनारे, सिंचाई विभाग और राजस्व की जमीन पर कब्जा करके मस्जिदें खड़ी की गई हैं, जिन्होंने कोई भी प्रशासनिक अनुमति नही ली हुई है अब प्रशासन इन्हें नोटिस देने जा रहा है।

पिछले दिनों उत्तराखंड जल विद्युत निगम की ढकरानी स्थित जमीन को जिला प्रशासन ने अतिक्रमण मुक्त किया था। उसमें अवैध रूप से बनी मस्जिद और मदरसे को खुद हटाने के लिए वक्त दिया था, लेकिन अभी भी ये इमारतें खड़ी हुई हैं। माना जा रहा है कि अभी दूसरे चरण के अभियान में जिला प्रशासन इन इमारतों पर भी कार्रवाई करेगा।

कुछ मंदिर भी हैं चिन्हित
जानकारी के मुताबिक पछुवा देहरादून क्षेत्र में ऐसे मंदिर भी चिन्हित किए गए हैं, जो बिना प्रशासनिक अनुमति के बना दिए गए हैं। प्रशासन ने उन्हें भी सूचीबद्ध कर नोटिस दिए जाने का निर्णय लिया है। ऐसे मंदिरों की संख्या 15 बताई गई है।

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