लंबे समय से पुंछ-राजौरी के जंगलों में ठिकाना बनाए आतंकी हाईटेक तकनीक से लैस होकर सुरक्षा बलों को चकमा देने में लगे हुए हैं। खबरों के अनुसार आतंकी ऑफलाइन चलने वाले अल्पाइन मोबाइल एप का इस्तेमाल कर जंगली इलाकों में आसानी से छिप रहे हैं। साथ ही आसानी से भागने में भी कामयाब हो रहे हैं। बता दें कि आतंकी पहले सेटेलाइट फोन इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब उच्च तकनीक युक्त एप का इस्तेमाल कर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। इन एप की मदद से वह चुनिंदा रास्तों को सेट कर लेते हैं और उसकी मदद से ही घटना को अंजाम देने के बाद सुरक्षित वापस अपने ठिकाने पर पहुंच जाते हैं।
चुनिंदा रास्तों के जरिए पहुंचते हैं ठिकानों तक
खबरों की मानें तो आतंकियों ने कई ऐसे रास्ते चिन्हित कर रखे हैं, जो उन्हें सीधे गुफाओं या उनके सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचाते हैं। वह ऐसे स्थानों तक पहुंचने के लिए पहले रेकी करते हैं। इसके बाद उक्त एप की मदद से वारदातों को अंजाम कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि ढांगरी, भाटादूड़ियां और केसर हिल में वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी अभी तक पकड़ से बाहर हैं। दरअसल अल्पाइन एप ऑफलाइन मोड से चलता है। इसका इस्तेमाल अमूमन जंगलों, नदियों और पहाड़ों में एडवेंचर टूर और ट्रैकिंग करने वाले करते हैं। एप के जरिए किसी भी निर्धारित मार्ग को पहले से सेव करने का भी विकल्प है। इसकी मदद से किसी भी पहाड़, नदी या फिर जंगल के रास्ते से बाहर निकला जा सकता है।
इन एप को किया गया है प्रतिबंधित
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले 14 मोबाइल एप को प्रतिबंधित किया गया है। इनमें क्रायपवाइज़र, एनिग्मा, सेफस्विस, विकरमे, मीडियाफायर, ब्रियर, बीचैट, नंदबॉक्स, कोनियन, आईएमओ, एलिमेंट, सेकेंड लाइन, ज़ंगी और थ्रेमा शामिल हैं। कई आतंकी इन एप के जरिये गतिविधियां चला रहे थे।
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