कट्टर इस्लाम के घोर विरोधी माने जाने वाले इस्राएल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपनी बेबाकी के लिए भी उतने ही जाने जाते हैं। उनका ताजा बयान दुनिया पर मंडराते एक अलग ही खतरे की तरफ इशारा करता है। उन्होंने कल अमेरिका को सावधान किया और कहा है कि ईरान अपनी परमाणु अस्त्र निर्माण की आपाधापी में 50 उत्तर कोरियाओं से ज्यादा खतरनाक हो गया है।
इस्राएल के प्रधानमंत्री का कहना है कि ईरान सिर्फ आपके लिए परेशानी पैदा करने वाला पड़ोसी देश ही नहीं है। यह शिया देश इस्राइल और अमेरिका दोनों को सबसे बड़ा शैतान समझता है, उसके लिए इस्राएल छोटा तो अमेरिका बड़ा शैतान है। नेतन्याहू अमेरिका के संसदीय प्रतिनिधियों के माध्यम से ईरान की परमाणु अस्त्र निर्माण क्षमता और उसके भविष्य में संभावित खतरों के प्रति चेता रहे थे। लेकिन अपनी सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए नेतन्याहू ने यह भी जोड़ा कि इस्राएल आतंकवादियों को ढूंढ—ढूंढकर ठिकाने लगा देगा।
इस्राएल के प्रधानमंत्री का कहना है कि ईरान सिर्फ आपके लिए परेशानी पैदा करने वाला पड़ोसी देश ही नहीं है। यह शिया देश इस्राइल और अमेरिका दोनों को सबसे बड़ा शैतान समझता है, उसके लिए इस्राएल छोटा तो अमेरिका बड़ा शैतान है। नेतन्याहू अमेरिका के संसदीय प्रतिनिधियों के माध्यम से ईरान की परमाणु अस्त्र निर्माण क्षमता और उसके भविष्य में संभावित खतरों के प्रति चेता रहे थे।
नेतन्याहू नेतन्याहू ने अभी तीन दिन पहले को अमेरिकी सांसदों के डेलीगेशन से मुलाकात की थी। ये मुलाकात यरुशलम में प्रधानमंत्री कार्यालय में अमेरिकी सांसदों से बातचीत कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने ईरान के लिए उक्त बातें कहीं।
उल्लेखनीय है कि इस्राएल के स्वाभिमान से कभी समझौता न करने वाले नेतन्याहू ने गत वर्ष दिसंबर में उस देश में 37वीं बार सरकार का गठन किया था। सरकार के काम संभालने के कुछ दिन बाद, उनकी पार्टी ने अपने को और ताकतवर बनाने की मंशा से एक विधेयक भी प्रस्तुत किया था। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारों को कम करने की बात थी। लेकिन आम लोग इसके विरुद्ध सड़कों पर उतर आए और अब भी वहां विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
इन्हीं विरोध प्रदर्शनों से घबराए अमेरिका ने नेतन्याहू का अमेरिका दौरा लटका रखा है। नेतन्याहू से मिले प्रतिनिधिमंडल में रिपब्लिकन पार्टी के सांसद और उच्च सदन के स्पीकर केविन मैकार्थी ने बाइडेन की इस नीति पर टीका—टिप्पणी की और कहा कि परंपरा से परे जाते हुए बाइडेन ने अभी तक इस्राएल के प्रधानमंत्री को अमेरिका आने का निमंत्रण नहीं दिया। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि अगर बाइडेन जल्दी नेतन्याहू को आने का निमंत्रण नहीं देंगे तो वे खुद उन्हें अमेरिका बुलाएंगे।
दरअसल, परमाणु हथियारों प्रसार को रोकने की घोषित गरज से अमेरिका सहित अनेक पश्चिमी देश ईरान और उत्तर कोरिया पर आर्थिक तथा अन्य अनेक पाबंदियां लगाए हुए हैं। जबकि इस्राएल ने तो 1966 में ही परमाणु अस्त्र बना लिए थे।
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