विनाश का कारण बन रहा फेक न्यूज
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

विनाश का कारण बन रहा फेक न्यूज

फेक न्यूज के सहारे दुनिया को गलत दिशा में मोड़ने की मुहिम चल रही है। लेकिन नई पीढ़ी को यह दिखाई नहीं दे रहा है। वह तो इसी मुगालते में है कि सोशल मीडिया ने उसे अभिव्यक्ति की आजादी की छूट दी है

by अच्युतानन्द मिश्र
May 2, 2023, 06:51 pm IST
in भारत, विश्लेषण, सोशल मीडिया
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनिया का भूगोल, संस्कृति, सुरक्षा, विज्ञान, तकनीक सब बदल गए और इनका असर संचार माध्यमों पर पड़ा। मीडिया की भी तकनीक, उद्देश्य, लक्ष्य बदले। संचार क्रांति ने एक नया रूप धारण किया। इसमें भारत के समाचारपत्र उद्योग बन गए। विचार पक्ष कमजोर होने लगा। समाचारों के माध्यम से विचार प्रसारित होने लगे। यह एक खतरनाक मोड़ था।

अच्युतानंद मिश्र

सोशल मीडिया ने फेक न्यूज को बहुत बड़े पैमाने पर फैलाया है। ‘प्रिंट मीडिया’ में इसे हम पीत पत्रकारिता कहते थे, जिसमें किसी व्यक्ति के बारे में, समाज के किसी समूह के बारे में अफवाह या झूठी खबरें फैला दी जाती थीं। इसे फैलाने वाले ‘पीत पत्रकार’ कहे जाते थे। वह पीत पत्रकारिता इतना असर नहीं करती थी। मीडिया का विस्तार होने और सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ने से मीडिया पूरी तरह परिवर्तित हो गई है। मीडिया की प्रिंट मीडिया से सोशल मीडिया तक की यात्रा ने फेक न्यूज को जन्म दिया है।

जैसे स्वाधीनता संग्राम के दौर की पत्रकारिता पेशेवर पत्रकारिता नहीं थी। हालांकि यूरोप में उससे पहले से पत्रकारिता पेशेवर हो चुकी थी, परंतु स्वाधीनता संग्राम के दौर की जो भारतीय मीडिया थी, जिसके बड़े नाम लोकमान्य तिलक, मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, विपिन चंद्र पाल वगैरह थे, उसमें आदर्शवादी लोग थे। उनके जीवन मूल्य और आदर्श विश्व की मानवता की मुक्ति के दर्शन से अनुप्राणित थे। महात्मा गांधी जब पश्चिमी मीडिया, पश्चिमी लोकतंत्र को अपने मानक पर देखते हैं, तो वे पश्चिमी लोकतंत्र और पश्चिमी मीडिया, दोनों को नकारते हैं। उस समय उनके जीवन का एक दूसरा ही लक्ष्य था। उनकी पत्रकारिता का आदर्श हिंसा एवं भय से मुक्त रामराज्य की स्थापना था।

अमेरिका-ब्रिटेन ने इराक पर यह कह कर हमला किया कि उसके पास रासायनिक हथियार हैं। युद्ध खत्म होने के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक पेज का लेख लिखकर माफी मांगी थी कि उसने गलत सूचनाएं छापीं।

1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनिया का भूगोल, संस्कृति, सुरक्षा, विज्ञान, तकनीक सब बदल गए और इनका असर संचार माध्यमों पर पड़ा। मीडिया की भी तकनीक, उद्देश्य, लक्ष्य बदले। संचार क्रांति ने एक नया रूप धारण किया। इसमें भारत के समाचारपत्र उद्योग बन गए। विचार पक्ष कमजोर होने लगा। समाचारों के माध्यम से विचार प्रसारित होने लगे। यह एक खतरनाक मोड़ था। आपातकाल में देखने में आया कि देश की राजनीति, देश की मीडिया, देश के बुद्धिजीवी, देश की न्यायपालिका और लोकतंत्र-ये सभी गुलाम हो गए।

इसके बाद आया ग्लोबलाइजेशन का दौर। ग्लोबलाइजेशन के साथ-साथ वैश्विक मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभाव भारत में बढ़ा। समाचारों की निष्पक्षता प्रभावित हुई। सामाजिक-राजनीतिक जीवन में मीडिया का गौरवशाली इतिहास लगभग घट गया। मीडिया मालिकों, राजनेताओं, पत्रकारों और नौकरशाहों की साठगांठ बन गई। यही वह दौर था, जब पेड न्यूज की शुरुआत हुई। सोशल मीडिया का जो आज का दौर है, वह झूठ और अफवाहों का दौर है, मनोरंजन मीडिया का दौर है, मीडिया एकाधिकार का दौर है, मीडिया ट्रायल का दौर है, बिकाऊ खबरों का दौर है और सेक्स, अपराध, सिनेमा और सनसनी मिलकर आज की मीडिया रह गई है। मीडिया आज समाज का दर्पण नहीं है।

आज की मीडिया पूंजी, तकनीक, राजनीति, अनैतिकता और उपग्रह संचार का एक मिला-जुला प्रतिफल है। सोशल मीडिया में जो विज्ञान एवं तकनीक का विकास हुआ है, उसने संचार माध्यमों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। जिसे हम संचार क्रांति कहते हैं, उसने एक नया स्वरूप धारण किया और उसमें प्रौद्योगिकी विकसित करके मीडिया का मशीनीकरण कर दिया गया। मीडिया मशीन बन गई और अब धीरे-धीरे मनुष्य मशीन बनता जा रहा है। महात्मा गांधी ने कहा था, ‘‘मैं मशीनों के उपयोग के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन वह मनुष्यों के उपयोग के लिए होना चाहिए।’’ अब धीरे-धीरे स्थिति यह हो गई है कि मशीन मनुष्यों का उपयोग कर रही है। यह औद्योगिक क्रांति का परिणाम है।

अभी एक सर्वेक्षण देख रहा था। उसमें बताया गया कि 2045 आते-आते समूची पृथ्वी के समस्त मानवों की सम्मिलित मानसिक क्षमताओं की बराबरी मशीन कर लेगी। मनुष्य और कंप्यूटर मिल जाएंगे, मशीनी मानव या मानवी मशीनें बन जाएंगी, जब ऐसा फ्यूजन होगा तो मनुष्य मशीन का एक अदना-सा सॉफ्टवेयर बन कर रह जाएगा। आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दौर चल रहा है। रोबोट तो हमने पहले ही बना लिया था, वह हमारे घरों तक आ गया है। यदि इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने मनुष्य की तरह निर्णय भी लेना शुरू कर दिया, तो मनुष्य और जीवन की अवधारणा के बारे में हमें नए सिरे से सोचना पड़ेगा। मनुष्य ने मशीन को गढ़ा था, मशीन ने अपनी भाषा को गढ़ना शुरू कर दिया है।

अब मशीनें मनुष्य की पराधीनता से निकलने को आतुर हो गई हैं। मशीन की स्वतंत्रता, परतंत्रता मनुष्य के अपने स्वार्थ पर निर्भर करती है। अब मनुष्य धीरे-धीरे शांत हो रहा है, मूक हो रहा है और मशीन की भाषा बढ़ने लगी है। मशीन की भाषा, जिसका कोई अर्थ नहीं है, जो शोर मात्र है, जिसकी अभिव्यक्ति केवल उत्पादन है। इसीलिए गांधीजी ने कहा था कि वे मशीन के विकास के नहीं, उसकी मर्यादा बांधने के पक्षधर हैं।

जैसे आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस एक बड़ा खतरा बनकर सामने आ रहा है, उसी तरह से उपग्रह संचार का ही एक दुष्परिणाम है सोशल मीडिया। उपग्रह संचार से सोशल मीडिया के नए-नए रूप सामने आ रहे हैं, जो बहुत विकराल हो गए हैं। यह संकट पूरी मानवता पर है। जो लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, वे पूरी दुनिया का अहित कर रहे हैं। जैसे 2003 का उदाहरण ले सकते हैं। 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक पर यह कह कर हमला कर दिया कि उसके पास रासायनिक हथियार हैं। यह पूरी तरह फेक था।

फेक न्यूज के विरुद्ध जनमत तैयार करना पड़ेगा। बड़ी बात यह है कि नई पीढ़ी, जो इस सोशल साइट्स की आदी हो गई है, उसको आज दिखाई नहीं दे रहा है। उसको यह लग रहा है कि सोशल मीडिया ने हमें अभिव्यक्ति की आजादी की खुली छूट दे दी है। वह इसी में मग्न है। लेकिन फेक न्यूज के सहारे दुनिया को बदलने का और गलत दिशा में मोड़ने का ये जो एक अभियान चल रहा है, इसके विरुद्ध एक सामाजिक चेतना जगाने का काम होना चाहिए।

वे बमों से हमला तो कर ही रहे थे, लेकिन मनोवैज्ञानिक हमला बहुत बड़ा था। पूरी दुनिया को मनोवैज्ञानिक रूप से अपने पक्ष में कर लिया था। युद्ध खत्म होने के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा था कि सारी दुनिया के संवाददाता एकत्र हो जाते थे और पेंटागन से जो निर्देश मिलता था कि युद्ध के बारे में फलां रिपोर्ट करनी है, वही पूरी दुनिया में जाती थी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक पेज का लेख लिखकर माफी मांगी थी कि उसने गलत सूचनाएं छापीं। लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ? एक देश तबाह हो गया, वहां का लोकप्रिय शासक खत्म कर दिया गया।

भारत का उदाहरण लें। 2012 में अचानक खबर उड़ी और पूर्वोत्तर के लोग देश के जिन-जिन हिस्सों में रहते थे, वहां उनके खिलाफ एक वातावरण बन गया। लाखों लोग पलायन कर गए। उन पर हमले हुए। 2011-12 में ही मिस्र, भारत और कई अन्य देशों में आंदोलन हुए। इसी तरह, कोविड काल में भी गलत सूचनाओं के कारण हजारों लोग घरों से निकल कर स्टेशनों पर एकत्र हुए, जिससे कोरोना फैला, लोग वैक्सीन लगवाने से खौफ खाने लगे। यह फेक न्यूज का ही प्रभाव था। सोशल साइट्स का बड़ा वीभत्स रूप सामने आ रहा है। यह केवल किसी देश, किसी समाज के लिए नहीं, पूरी मानवता के लिए खतरा है।

फेक न्यूज के विरुद्ध जनमत तैयार करना पड़ेगा। बड़ी बात यह है कि नई पीढ़ी, जो इस सोशल साइट्स की आदी हो गई है, उसको आज दिखाई नहीं दे रहा है। उसको यह लग रहा है कि सोशल मीडिया ने हमें अभिव्यक्ति की आजादी की खुली छूट दे दी है। वह इसी में मग्न है। लेकिन फेक न्यूज के सहारे दुनिया को बदलने का और गलत दिशा में मोड़ने का ये जो एक अभियान चल रहा है, इसके विरुद्ध एक सामाजिक चेतना जगाने का काम होना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

Topics: प्रिंट मीडियाElectronic Mediaसोशल मीडियापश्चिमी लोकतंत्रIndian Mediaपश्चिमी मीडियाभारत के समाचारपत्र उद्योगGeography of the Worldसंचार क्रांतिस्वाधीनता संग्रामsecurityमीडिया पूंजीतकनीकराजनीतिCultureअनैतिकताFreedom Struggleउपग्रह संचारफेक न्यूजविज्ञान एवं तकनीक का विकासtechnologyसोशल साइट्सScienceGlobalization
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

London Sadiq khan

लंदन में ग्रूमिंग गैंग्स का भयावह सच: बीबीसी रिपोर्ट के बाद सादिक खान पर सवाल

UK Grooming Gang

ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग्स: पीड़िताओं की आवाज दबाने के लिए विवादास्पद प्रदर्शन

RSS Suni Ambekar debunked Fake news

RSS को लेकर मीडिया फैला रहा मनगढ़ंत खबरें, ‘धर्मनिरपेक्ष-सामाजवादी बहस’ पर चल रहीं फेक न्यूज, जानिये क्या है सच्चाई

Bankim Chandra chattopadhyay Vande Matram

बंकिमचंद्र और ‘वन्दे मातरम्’ : राष्ट्र की रगों में गूंजता राष्ट्रवाद

पश्चिमी मीडिया की साजिश: नक्सलियों के बहाने भारत को बदनाम करने का द गार्जियन का कुत्सित खेल

Bangladesh Muhammad Yunus

यूनुस ने भारत के खिलाफ उगला जहर: हसीना के बहाने PM मोदी पर निशाना, कट्टरपंथी अराजकता छिपाई

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी  (File Photo)

‘7 अक्तूबर को इस्राएली महिलाओं के शवों तक से बलात्कार किया इस्लामी हमासियों ने’, ‘द टाइम्स’ की हैरान करने वाली रिपोर्ट

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies