सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, समलैंगिकों को शादी की कानूनी मान्यता के बिना क्या लाभ दे सकती है सरकार
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, समलैंगिकों को शादी की कानूनी मान्यता के बिना क्या लाभ दे सकती है सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 30 दिनों के नोटिस देने के मामले पर हम सुनवाई नहीं करेंगे। इस मामले को किसी दूसरी बेंच के पास भेजा जाएगा।

by WEB DESK
Apr 27, 2023, 07:05 pm IST
in भारत, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले पर गुरुवार को छठे दिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि समलैंगिक जोड़ों को शादी की कानूनी मान्यता दिए बिना उनको कौन से लाभ सरकार दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 मई तक केंद्र सरकार को इस बारे में जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।

गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 30 दिनों के नोटिस देने के मामले पर हम सुनवाई नहीं करेंगे। इस मामले को किसी दूसरी बेंच के पास भेजा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि य़ह मामला सामाजिक हो सकता है, लेकिन संवैधानिक नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि मामला सिर्फ समलैंगिकों पर लागू नहीं होता, बल्कि विपरीत लिंग वालों पर भी लागू होता है।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मान लीजिए कि समलैंगिक जोड़े में से किसी एक पार्टनर की मौत हो जाए, तो पारिवारिक संपत्ति के उत्तराधिकार पर पत्नी यानी घर की बहू का अधिकार होगा, लेकिन ये रिश्ता कौन कैसे तय करेगा। मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता अपने अनुरूप स्पेशल मैरिज एक्ट को बनाना चाहते हैं। क्या किसी कानून को इस तरह से पढ़ा जाएगा कि वह एक तरह से विपरीत लिंग वालों पर और दूसरी तरह से समान लिंग वालों पर लागू हो। इसकी व्याख्या नहीं हो सकती है। जस्टिस एस रविंद्र भट्ट ने मेहता का समर्थन करते हुए कहा कि मेरा भी मतलब यही था कि क्या कानून की व्याख्या को यह दोतरफा या तीन-तरफा किया जाना संभव है। मेहता ने कहा कि ऐसी स्थिति में तब कोई बहुविवाह के अधिकार का दावा करेगा।

इस संविधान बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस हीमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। 13 मार्च को कोर्ट ने इस मामले को संविधान बेंच को को रेफर किया था।

Topics: Chief Justice DY Chandrachudसमलैंगिक विवाहsame sex marriageGay Marriageसमलैंगिक शादीसेम सेक्स मैरिजSupreme Courtसुप्रीम कोर्टमोदी सरकारModi governmentचीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
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