अफ्रीका का देश सूडान इस समय जबरदस्त गृहयुद्ध का गवाह बना हुआ है। वहां अर्धसैनिक बलों और सेना में छिड़ी लड़ाई में करीब चार सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। हालात बदतर बने हुए हैं। सूडान में बसे विदेशी लोग वहां से निकल रहे हैं। भारतीयों की भी वहां अच्छी खासी संख्या है। युद्ध खत्म होने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे हालात में वहां फंसे भारत के लोगों ने भारत सरकार से गुहार की थी कि उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला जाए। उनकी उस अपील को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार अपना ‘ऑपरेशन कावेरी’ शुरू कर दिया है। इस अभियान के अंतर्गत सूडान में युद्ध के हालात में फंसे भारतीयों को भारत वापस लाने जा रहा है। ताजा जानकारी के अनुसार, करीब 500 भारतीय भारत आने के लिए पोर्ट सूडान पहुंचे हैं, जहां से उन्हें भारत की उड़ान में बैठाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अफ्रीकी देश सूडान में सेना तथा अर्धसैनिक बलों के बीच युद्ध छिड़ने से गृह युद्ध की परिस्थितियां बनी हैं। यह गृह युद्ध वहां 15 अप्रैल 2023 को शुरू हुआ था। तमाम कोशिशों और अंतरराष्ट्रीय अपीलों के बावजूद इसके थमने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
दरअसल इस गृहयुद्ध की नींव आज से लगभग चार 4 साल 2019 में पड़ी थी। उस वक्त सेना ने लगभग 30 साल से देश में सत्ता पर बैठे राष्ट्रपति उमर अल बशीर को कुर्सी से हटा दिया था। सेना के इस तख्तापलट में देश में लोकतंत्र समर्थकों ने भी अपना योगदान दिया था। वे लोग सेना के कुर्सी पर बैठने के बाद अपना हिस्सा मांगने लगे, लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
तत्पश्चात, सेना और सूडान के नागरिकों की एक नई मिलीजुली सरकार बनाई गई। लेकिन अक्तूबर 2021 में सेना ने फिर से तख्तापलट किया और सत्ता की बागडोर पूरी तरह अपने हाथ में कर ली। उसके बाद से ही एक संप्रभु काउंसिल देश का संचालन कर रही है। इस काउंसिल में सेना तथा अर्धसैनिक बलों की हिस्सेदारी बराबरी की है। जबकि इस काउंसिल के सूत्र सूडान के सैन्य प्रमुख जनरल अब्दल फतह अल बुरहान के हाथों में है। यानी देश के राष्ट्रपति वही हैं। काउंसिल के उपाध्यक्ष कहें या उपराष्ट्रपति, वह पद अर्धसैनिक बल के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के हाथ में है। वर्तमान सरकार या कहें सैन्य नेतृत्व का कहना है कि अर्धसैनिक बल सेना में विलीन हो जाएं, लेकिन ऐसा करने को अर्धसैनिक बल बिल्कुल भी राजी नहीं हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”सूडान में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। लगभग 500 नागरिकों को पोर्ट सूडान लाया गया है। और भी नागरिक वहां पहुंचने वाले हैं। हमारे जहाज और विमान भारतीयों को वापस लाने के लिए एकदम तैयार हैं। हम सूडान में फंसे सभी भारतीयों की मदद करने के लिए कटिबद्ध हैं।”
अर्धसैनिक बल चाहते हैं कि दोनों के विलय का निर्णय 10 वर्ष तक स्थगित रखा जाए। जबकि सेना दो साल के अंदर ऐसा होते देखना चाहती है। तनाव के इसी मुद्दे पर दोनों में ठन गई और आज सेना तथा अर्धसैनिक बल एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं। शुरू में तो लगता था कि मामला आपस में बैठकर बात करने से खत्म हो जाएगा। परन्तु कोई पक्ष झुकने को तैयार नहीं है। आज जो लड़ाई चल रही है वह सूडान की सेना तथा अर्धसैनिक बलों के एक दूसरे के केन्द्रों को अपने कब्जे में लेने की लड़ाई है।
ऐसे संकट में फंसे अधिकांश विदेशी दूतावास कर्मी और नागरिक उस देश से निकल रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सूडान में चल रही हिंसा में अब तक करीब 400 लोग मारे जा चुके हैं। इनमें बच्चे और महिलाएं भी सम्मिलित हैं। घायलों की संख्या 3550 से ज्यादा हो गई है। लोगों के खाने—पीने के लाले पड़ चुके हैं। बाजार सब बंद हैं। सुविधाएं—व्यवस्थाएं ध्वस्त हैं। वहां रहने वाले लोगों की हालत बहुत खराब हो चुकी है। लोगों को पीने के पानी तक के लाले पड़ गए हैं।
भारतीयों ने भी कुछ ऐसे ही संकट में घिरने के बाद मोदी सरकार से अपील की कि हमें यहां से निकाल कर भारत ले चलें। गोलीबारी में एक भारतीय की भी मौत होने की खबर है। बताया गया है कि उस देश में करीब चार हजार भारतीय फंसे हैं। इन लोगों को सुरक्षित भारत लाने के लिए सरकार ने पूरी योजना बनाने के बाद, ‘ऑपरेशन कावेरी’ शुरू कर दिया है। इसी कार्रवाई के तहत लगभग 500 भारतीयों पोर्ट सूडान तक लाया गया है जहां से वे विमान पर सवार होंगे।
‘ऑपरेशन कावेरी’ के संदर्भ में भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”सूडान में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। लगभग 500 नागरिकों को पोर्ट सूडान लाया गया है। और भी नागरिक वहां पहुंचने वाले हैं। हमारे जहाज और विमान भारतीयों को वापस लाने के लिए एकदम तैयार हैं। हम सूडान में फंसे सभी भारतीयों की मदद करने के लिए कटिबद्ध हैं।”
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