सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना पर मुहर लगाते हुए कहा कि यह योजना मनमानी नहीं कही जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो अपीलों को खारिज कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 27 फरवरी को अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि अग्निवीर का कैडर बिल्कुल अलग है और भारतीय सेना को दी गई उनकी चार साल की सेवा को रेगुलर सर्विस नहीं माना जाएगा। चार साल पूरा होने के बाद अगर कोई अग्निवीर सेना में ज्वाइन करता है, तो उसकी नियुक्ति नई मानी जाएगी। केंद्र सरकार ने कहा था कि अग्निवीर का कैडर सिपाही के कैडर से नीचे होगा। चार साल अगर वो सेना में सिपाही के पद पर नियुक्त होता है तो उनकी ट्रेनिंग अग्निवीर से उच्च स्तर की होगी। दस-पन्द्रह साल के बाद कोई भी सिपाही ऐसा नहीं होगा, जो अग्निवीर नहीं रहा हो।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है। ये योजना समान काम समान वेतन के सिद्धांत का उल्लंघन है। अग्निपथ योजना के तहत चार साल बाद सेना से बाहर जाने वाले 75 फीसदी जवानों के लिए कोई बैकअप प्लान नहीं है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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