पाकिस्तान की जनता इन दिनों खून के आंसू पी रही है। महंगाई तो पहले से ही वहां आसमान छुए बैठी है तिस पर महीना रमजान का आन खड़ा हुआ है। आम पाकिस्तानी को आटा तक नसीब नहीं है और जो किसी तरह खरीदने की हिम्मत रखते भी हैं तो उसके दाम सुनकर जान हलक में अटक जाती है। आटे की कीमतें 120 प्रतिशत बढ़ गई हैं तो इस्लामवादियों को प्याज 228 प्रतिशत ज्यादा कीमत देकर आंसू बहाने पड़ रहे हैं।
महंगाई के ये आंकड़े किसी और ने नहीं, खुद पाकिस्तान के ही ‘ब्यूरो ऑफ स्टेटिटिक्स’ ने जारी किए हैं। आंकड़े दिखाते हैं कि वहां अब रोजमर्रा जरूरत की वस्तुएं भी आम आदमी की पकड़ से बाहर हो चली हैं। तिस पर परेशानी में त्रस्त रमजान मनाती जनता की सुनने वाला कोई नहीं है। कुर्सी की हेरफेर में तू तू—मैं मैं में लगे नेताओं को इतनी फुर्सत नहीं है कि किस्मत के मारे आम पाकिस्तानियों का दर्द सुन पाएं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि मुसलमानों में ‘पाक’ माने जाने वाले रमजान के इस महीने में पाकिस्तान में कीमतें रिकॉर्ड तोड़ चुकी हैं। एक डाटा बताता है कि मार्च के इस आखिरी हफ्ते में पाकिस्तान में महंगाई की दर 47 प्रतिशत चढ़ गई है। वहां के ‘ब्यूरो ऑफ स्टेटिटिक्स’ के इस डाटा को देखने से पता चलता है पाकिस्तान में आटा ही नहीं, तेल, दाल, मसाले और खुदरा परचून की अन्य चीजों के दामों में आग लगी है। लेकिन सारे दिन रोजे रखने वाले शाम आते तक कीमतें सुनकर और पस्त हो रहे हैं।
पाकिस्तान में प्याज 228 प्रतिशत, गैस 108 प्रतिशत, आटा 120 प्रतिशत, पेट्रोल 81 प्रतिशत, डीजल 102 प्रतिशत, चाय पत्ती 94 प्रतिशत, केला 89 प्रतिशत, बासमती चावल 81 प्रतिशत, अंडा 79 प्रतिशत तक महंगा हो गया है। कुल 13 चीजें ऐसी हैं जिनकी कीमतें आम पाकिस्तानी की पकड़ में बची हैं।
‘ब्यूरो ऑफ स्टेटिटिक्स’ का डाटा दिखा रहा है कि पाकिस्तान में प्याज 228 प्रतिशत, गैस 108 प्रतिशत, आटा 120 प्रतिशत, पेट्रोल 81 प्रतिशत, डीजल 102 प्रतिशत, चाय पत्ती 94 प्रतिशत, केला 89 प्रतिशत, बासमती चावल 81 प्रतिशत, अंडा 79 प्रतिशत तक महंगा हो गया है। कुल 13 चीजें ऐसी हैं जिनकी कीमतें आम पाकिस्तानी की पकड़ में बची हैं। सस्ती हुई चीजों में तेल—मसालों की बात करें तो लाल पिसी मिर्च 2.31 प्रतिशत, सरसों का तेल 1.19 प्रतिशत, घी 0.83 प्रतिशत, खाने का तेल 0.21 प्रतिशत सस्ता हुआ है।
महंगाई से त्रस्त जनता के सामने तसल्ली के तौर पर प्रधानमंत्री शाहबाज ने एक ही राग अलापा हुआ है कि आईएमएफ कर्ज नहीं दे रहा है। वे यह छुपा जाते हैं कि ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ की डींगें हांकने वाले ज्यादातर मुस्लिम देश भी उससे कन्नी काट चुके हैं और पैसे से ‘कोई मदद’ करने से इनकार कर चुके हैं। लेकिन इस बीच सुनने में आया है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार पिछले हफ्ते के मुकाबले थोड़ा बढ़कर 10.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह इस्लामी देश 1.1 अरब डॉलर की किस्त लेने के लिए आईएमएफ के सामने कब से कटोरा लिए खड़ा है, पर बात कहीं फंसी हुई है। विशेषज्ञों की जबान पर आज एक ही सवाल है कि क्या यह कर्ज मिलेगा, क्या पाकिस्तान दिवालिया होने से बच सकेगा, क्या पाकिस्तान आईएमएफ की शर्तें मानकर अपनी अवाम को रमजान में और पीसेगा?
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