सुरपुर के जनजाति राजा वेंकटप्पा, जिन्होंने ब्रिटिश और निजाम की सेना से किया था भीषण युद्ध
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

सुरपुर के जनजाति राजा वेंकटप्पा, जिन्होंने ब्रिटिश और निजाम की सेना से किया था भीषण युद्ध

राजा वेंकटप्पा ने अंग्रेजों से कहा था कि मैं स्वप्न में भी अपनी मातृभूमि से धोखा नहीं कर सकता। मृत्यु से घबराकर मैं समझौता करने वाला कायर नहीं, बल्कि उसे सहर्ष स्वीकार करने वाला वीर योद्धा हूं।

by आदित्य भारद्वाज
Mar 20, 2023, 03:52 pm IST
in भारत, आजादी का अमृत महोत्सव
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हैदराबाद के निजाम के पड़ोस में एक छोटा सा राज्य था कर्नाटक का सुरपुर राज्य। उस समय सुरपुर के राजा थे जनजाति समाज से आने वाले वेंकटप्पा। 1857 में पूरे भारत में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बज चुका था। उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी जगह क्रांति की ज्वाला धधक उठी थी। हर कोई अंग्रेजों की दासता से मुक्ति पाना चाहता था। उसी समय राजा वेंकटप्पा को नाना साहेब पेशवा का एक प्रेरणादायी पत्र एक क्रांतिकारी सैनिक के माध्यम से प्राप्त हुआ। पत्र को पढ़ने के बाद राजा का रोम-रोम मातृभूमि के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए उद्वेलित हो उठा। उन्होंने अपनी सेना को तैयार किया और राज्य के युवाओं से आहवान किया कि वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उनके साथ आएं।

वेंकटप्पा ने ब्रिटिश सेना व उनका साथ दे रही निजाम की सेना के साथ भीषण युद्ध किया। चूंकि वेंकटप्पा की सैन्य शक्ति कम थी तो वे युद्ध हार गए और अपने साथियों के साथ भागकर हैदराबाद चले गए। वे हैदराबाद में गुप्त रूप से रहकर अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों में लगे रहे। एक दिन हैदराबाद में घूमते हुए उन्हें निजाम के सैनिकों ने पहचान लिया और वह पकड़े गए। राजा वेंकटप्पा को ब्रिटिश न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया गया, जहां उन्हें आजीवन कारावास या तो फांसी की सजा सुनाई गई। राजा वेंकटप्पा के एक अंग्रेज अधिकारी टेरर मडस टेलर के साथ मधुर संबंध थे। अंग्रेजों को यह देखकर आश्चर्य हो रहा था कि दक्षिण भारत के एक छोटे से राज्य का जनजाति राजा कैसे अंग्रेजों के साथ इतना भीषण युद्ध कर सकता है। कैसे उसने लोगों को प्रेरित कर अंग्रेजों के साथ इतना भीषण युद्ध लड़ा, जबकि उसके पास संसाधन भी उतने नहीं थे जितने अंग्रेजों के पास थे। ऐसी प्रेरणा उसे कैसे मिली, आगे की उनकी योजनाएं क्या थीं। यह जानने के लिए अंग्रेजों ने टेलर को राजा वेंकटप्पा से मिलने के लिए भेजा।

टेलर से राजा से कहा कि यदि वह क्रांतिकारी गतिविधियों की जानकारी उसे दे दे और ब्रिटिश हुकूमत से माफी मांग ले तो उसकी सजा कम भी हो सकती है यहां तक कि उसे माफ भी किया जा सकता है। इसके उत्तर में राजा वेंकटप्पा ने टेलर से कहा कि “मैं अंग्रेजों से अपने प्राणों की भीख नहीं मांग रहा हूं। मैं स्वप्न में भी अपनी मातृभूमि से धोखा नहीं कर सकता। इसी धरती पर मुझे सुंदर जीवन मिला है। मैं मृत्यु से घबराकर अपनी समझौता करने वाला कायर नहीं, बल्कि उसे सहर्ष स्वीकार करने वाला वीर योद्धा हूं। जब मुझे फांसी दी जाएगी तो आप देखेंगे कि देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी कितने शांत भाव से मृत्यु को गले लगाता है।”

चूंकि टेलर के राजा से मधुर संबंध थे तो उसने राजा को बचाने की भरपूर कोशिश कि अंतत:राजा को आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए कालापानी यानी अंडमान भेजने का आदेश दे दिया गया। राजा ने सोचा कि आजीवन जेल की यातना काटने से अच्छा है कि मैं अविलंब मृत्यु को स्वीकार करूं, यह सोचकर उन्होंने पास खड़े अंग्रेज अधिकारी की पिस्तौल छीन ली, स्वयं को गोली मारने से पहले उनके अंतिम शब्द थे कि कारावास के जीवन की अपेक्षा मैं तत्काल मरते हुए अधिक प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। यह बोलकर वीर देशभक्त राजा वेंकटप्पा ने अपने सिर में गोली मारकर मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

Topics: Battle of Raja Venkatappa and BritishRaja of SurapurTribe Raja Venkatappaराजा वेंकटप्पाराजा वेंकटप्पा का योगदानराजा वेंकटप्पा और अंग्रेजों का लड़ाईसुरपुर के राजाजनजाति राजा वेंकटप्पाRaja VenkatappaContribution of Raja Venkatappa
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त

Ahmedabad Plane Crash: उड़ान के चंद सेकंड बाद दोनों इंजन बंद, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पुलिस की गिरफ्त में अशराफुल

फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला अशराफुल गिरफ्तार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad plane crash : विमान के दोनों इंजन अचानक हो गए बंद, अहमदाबाद विमान हादसे पर AAIB ने जारी की प्रारंभिक रिपोर्ट

आरोपी

उत्तराखंड: 125 क्विंटल विस्फोटक बरामद, हिमाचल ले जाया जा रहा था, जांच शुरू

उत्तराखंड: रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies