विश्व जल दिवस: क्या आप जल तिजोरियों के बारे में जानते हैं? ये होती क्या हैं?
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

विश्व जल दिवस: क्या आप जल तिजोरियों के बारे में जानते हैं? ये होती क्या हैं?

विश्व जल दिवस 22 मार्च को है, आपको बताते हैं जल तिजोरियों के बारे में

by WEB DESK
Mar 20, 2023, 09:27 am IST
in भारत, राजस्थान
राजस्थान की चांद बावड़ी

राजस्थान की चांद बावड़ी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

जल को जीवन कहा गया है, जल को अमृत भी कहा गया है। जल को संरक्षित करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आम आदमी की है। एक छोटा प्रयास भी रंग ला सकता है। गर्मी आते ही कई राज्यों मे जल संकट सामने खड़ा हो जाता है, मानसून में वर्षा जल संरक्षण के प्रयास किए जाते हैं। जैसे धन को तिजोरियों में सुरक्षित रखा जाता है वैसे ही जल तिजोरियां भी हैं। आइये जानते हैं जल तिजोरियां आखिर हैं क्या…

बावड़ियां- चौकोर या गोलाई में बनी ये संरचनाएं सीढ़ीदार होती हैं ताकि पानी के स्तर का अन्दाज रहे। इनमें सहेजा गया पानी खारा नहीं होता। स्थापत्य और अभियांत्रिकी, दोनों ही मायनों में ये अनूठी हैं।

जोहड़- जिप्सम वाले इलाकों में बनी सीढ़ीनुमा गहराई वाली चौकोर और किनारों से ऊंची इन संरचनाओं के किनारों की ओर छतरियां भी बनी होती हैं। पशुओं के लिए अलग से गऊघाट होता है। पानी शुद्ध और मीठा रहता है।

बेरियां- तालाब और दूसरे जल स्रोतों के आसपास बनी और उनके रिसाव को सहेजने वाली बेरियां यानी छोटा कुआं या कुईं 12-15 मीटर गहरी होती हैं और गंभीर संकट में सहारा होती हैं।

खड़ीन- बांध के जैसे अस्थायी तालाब, जिनके बूते बंजर जमीन में साझी खेती करना सम्भव हो पाता है। जैसलमेर में खड़ीन आज भी कायम हैं और इनका समृद्ध इतिहास भी है।

झालरा- ऊंचाई पर बने तालाबों और झीलों से रिसकर आने वाले पानी को सहेजने वाली ये आयताकार संरचनाएं असल में चौड़े कुएं हैं, जो अलग-अलग बनावटों में मौजूद हैं।

तालाब- पानी के कुदरती बहाव के रास्ते में आने वाली ये संरचनाएं गांवों की सबसे बड़ी जल तिजोरियां हैं जिनके आसपास ओरण यानी देवी-देवताओं के नाम पर सहेजे गए वन भी हुआ करते थे।

झीलें- बरसाती पानी के कुदरती बहाव को सहेजने वाली इन बड़ी जल संरचनाओं के कई स्वरूप हैं, कहीं ये नमक पैदा करती हैं तो कहीं झीलों के बीच स्थापत्य की खूबसूरत इमारतें हैं।

नाड़ी- तालाब का छोटा रूप या पोखर जिसे ढलान वाले इलाकों में गहरा खड्डा करके बरसाती पानी को सहेजा जाता है। बहकर आने वाली मिट्टी की वजह से मिट्टी उपजाऊ होती है और खेती अच्छी होती है।

टोबा- बारिश के पानी को सहेजने के लिए नाड़ी से थोड़ी बड़ी और गहरेड यह संरचना बस्तियों का सहारा होती है।आम तौर पर 20-25 परिवारों के बीच एक टोबा बनाया जाता है। ऊपर से चौकोर और पक्का होता है।

टांके- ये कुंड या हौद खुले में या बन्द जगह कहीं भी बने दिख जाएंगे। पीने या साल भर की जरूरत के लिए बरसाती पानी को अलग-अलग तरह से सहेजा जाता है और इन्हें ढक कर रखा जाता है।

पांड – खेतों में बरसात का पानी सहेजने के लिए अलग-अलग तकनीक से तलाई या पांड बनाए जाते हैं ताकि खेतों के लिए साल भर नमी बनी रहे और पानी बेकार बहने की बजाय खेतों में रुका रहे।

डिग्गी – पश्चिमी राजस्थान में इंदिरा गांधी कैनाल का पानी आता है। नहरी पानी को एक जगह सहेजने के लिए चारों ओर से पक्की की गई करीब दस फुट गहरी ये संरचनाएं बनी हुई हैं।

Topics: जल संरक्षणWater Conservationworld water dayविश्व जल दिवसविश्व जल दिवस पर विशेषजल तिजोरियां
Share19TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Uttarakhand water crisis

Analysis : जल आपदा की त्रासदी और समाधान की राह

World Environment Day

विश्व पर्यावरण दिवस : भारतीय शास्त्रों में प्रकृति पूजन, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और पर्यावरण संरक्षण की परंपरा

अस्तित्व खो चुकी मटुका नदी पुनर्जीवित : भदोही से वाराणसी तक हटे अवैध कब्जे, अब किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

जलागम योजनाओं को धरातल में उतारे : सीएम धामी

जल पूजन करते कार्यकर्ता

जल संरक्षण के लिए जल पूजन

प्रतीकात्मक तस्वीर

विश्व जल दिवस विशेष: भारतीय मनीषा के सबसे प्राचीन स्रोत में ‘जल’ ब्रह्मांड का पालनकर्ता है

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies