आप उत्तराखंड के रुद्रपुर में चल रहे दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में आ सकते हैं। यह छात्रावास अन्य छात्रावासों से बिल्कुल हट कर है। यहां कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की स्वस्थ बच्चियां रहती हैं। इनकी संख्या 150 है।
कहा जाता है कि शिक्षा से बड़ी और कोई सेवा नहीं होती। इसके प्रत्यक्ष दर्शन करने हों तो आप उत्तराखंड के रुद्रपुर में चल रहे दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में आ सकते हैं। यह छात्रावास अन्य छात्रावासों से बिल्कुल हट कर है। यहां कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की स्वस्थ बच्चियां रहती हैं। इनकी संख्या 150 है। ये बालिकाएं विद्या भारती द्वारा संचालित विभिन्न विद्यालयों में नि:शुल्क पढ़ती हैं। वनवासी कल्याण आश्रम से संबंधित ‘सेवा प्रकल्प संस्थान’ इस छात्रावास का संचालन करता है।
इन बालिकाओं को न सिर्फ यहां बेहतर शिक्षा दी जा रही है, बल्कि इनके व्यक्तिव का विकास भी किया जा रहा है। ये बालिकाएं इस समय छात्रावास परिसर में ही तुलसी अर्क, मशरूम, साग-सब्जी, फल आदि के उत्पादन का प्रशिक्षण ले रही हैं और कई जैविक वस्तुओं का उत्पादन भी कर रही हैं। -डालचंद, वनवासी कल्याण आश्रम में उत्तर क्षेत्र प्रभारी
विशेष बात यह है कि प्रत्येक छात्रा के लालन-पालन के लिए किसी न किसी सेवा परिवार ने दायित्व लिया हुआ है। भोजन, आवास, शिक्षा, संस्कार सब कुछ यहां बेहद विनम्रता और अनुशासन के साथ देने की व्यवस्था की गई है। ‘सेवा प्रकल्प संस्थान’ की संचालिका वर्षा ने बताया कि छात्रावास के लिए श्री दूधिया बाबा संन्यास आश्रम द्वारा भूमि उपलब्ध करवाई गई और इसे जन सहयोग से स्थापित किया गया। अब जन सहभागिता से इसमें बालिकाओं को शिक्षा-दीक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के उच्च संस्कार दिए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शुरू-शुरू में 10-12 बालिकाएं रहने आई थीं।
वनवासी कल्याण आश्रम में उत्तर क्षेत्र प्रभारी डालचंद जी बताते हैं कि इन बालिकाओं को न सिर्फ यहां बेहतर शिक्षा दी जा रही है, बल्कि इनके व्यक्तिव का विकास भी किया जा रहा है। ये बालिकाएं इस समय छात्रावास परिसर में ही तुलसी अर्क, मशरूम, साग-सब्जी, फल आदि के उत्पादन का प्रशिक्षण ले रही हैं और कई जैविक वस्तुओं का उत्पादन भी कर रही हैं।
इनकी बिक्री से जो आय होती है उससे नए संसाधन जुटाए जाते हैं, ताकि यहां आने वाली हर बालिका को और नई-नई तकनीकी जानकारियां मिल सकें। उन्होंने बताया कि जीबी पंत विश्विद्यालय के कृषि विशेषज्ञ भी यहां आते हैं। उनके द्वारा सुझाई गई कृषि तकनीक से यहां नित्य नए प्रयोग हो रहे हैं।
छात्रावास में एक गोशाला है। यहां के गोबर से रसोई गैस बनती है, साथ ही जैविक खाद का भी उत्पादन होता है। श्री दूधिया बाबा आश्रम के बाबा शिवानंद जी महाराज एक संरक्षक के रूप में सेवा कार्यों की देखरेख करते हैं। इस प्रकल्प को गतिमान बनाए रखने के लिए एक समिति बनाई गई है। समिति के प्रबंधक श्री भगवान सहाय बताते हैं कि पूरे उत्तराखंड में इस तरह का कोई और सेवा प्रकल्प नहीं है।
अंत में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस छात्रावास के कारण अनेक बच्चियां स्वयं को सशक्त और सामर्थ्यवान बना रही हैं।
टिप्पणियाँ