रूस—यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरा होने पर विस्तारवादी और पड़ोसी देशों को निगलने के लिए तैयार रहने वाले कम्युनिस्ट चीन के नए प्रस्ताव से विशेषज्ञ कोई बहुत प्रभावित नजर नहीं आ रहे हैं। चीन ने युद्ध के संदर्भ में एक प्रपत्र जारी करके कहा है कि ‘परमाणु और जैविक हथियारों का इस्तेमाल नहीं’ होना चाहिए। और कि ‘युद्ध की बजाय वार्ता से समाधान निकालने की कोशिश होनी चाहिए’। जानकार इसे ‘शांति’ का कम अपना असली चेहरा छुपाने की कवायद ज्यादा मान रहे हैं।
चीन ने यह ‘प्रस्ताव’ जारी करके रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों को यह सलाह भी दी है कि एकतरफा प्रतिबंधों का गलत प्रयोग रुकना चाहिए। चीन ने युद्ध को ‘खत्म’ करने का एक 12 सूत्र का मसौदा सामने रखा है। एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी के अनुसार, यह ‘प्रस्ताव’ पिछले हफ्ते ही जर्मनी में संपन्न हुए एक सम्मेलन में रखा गया था। यहां यह ध्यान रखना होगा कि चीन पहले से ही युद्ध में बीचबचाव कराने की ‘कोशिश’ में जुटा हुआ है।
पिछले हफ्ते जर्मनी के शहर म्यूनिख में एक सुरक्षा सम्मेलन आयोजित हुआ था। इसी में चीन का उक्त मसौद रखा गया था। इस प्रपत्र का शीर्षक था— ‘यूक्रेन संकट का राजनीतिक समाधान और चीन की स्थिति’। इसी मसौदे में जो 12 सूत्र बताए गए हैं उनमें युद्ध को रोकना, शांति की बात करना और रूस पर लगे प्रतिबंधों को हटाने जैसी बातें हैं।
चीन ने युद्ध के संदर्भ में एक प्रपत्र जारी करके कहा है कि ‘परमाणु और जैविक हथियारों का इस्तेमाल नहीं’ होना चाहिए। और कि ‘युद्ध की बजाय वार्ता से समाधान निकालने की कोशिश होनी चाहिए’। जानकार इसे ‘शांति’ का कम अपना असली चेहरा छुपाने की कवायद ज्यादा मान रहे हैं।
चीन ने इसमें कहा है कि जिन देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं उन्हें ये प्रतिबंध हटाकर रूस और यूक्रेन के बीच उपजे संकट को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। उसने कहा कि सभी देशों की संप्रभुता को बनाए रखना चाहिए। ध्यान दें, विस्तारवादी चीज हांगकांग, तिब्बत तथा मकाउ को निगल चुका है और ताइवान पर पंजे गढ़ाए बैठा है, वह ‘संप्रभुता के सम्मान’ की बात कर रहा है। खैर, मसौदे के अन्य सूत्र युद्धविराम, शांति के लिए बातचीत, युद्धबंदियों की सुरक्षा तथा नागरिकों पर हमले न करने जैसे बिन्दुओं के साथ ही परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा और खाद्यान्न निर्यात की सहूलियत जैसे विषयों का उल्लेख करते हैं।
हालांकि यूक्रेन ने चीन के इस कदम को सराहा है और इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। यूक्रेन की ओर से इसे एक सुखद संकेत बताते हुए कहा गया है कि, उम्मीद है चीन यूक्रेन के समर्थन में और सक्रिय होगा। साथ ही, यूक्रेन ने चीन से रूस से भी युद्ध को रोककर अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है।
रूस की तरफ से इस ‘प्रस्ताव’ पर मिली प्रतिक्रिया में कहा है कि चीन ने यूक्रेन संकट के मूल कारणों के साथ ही, इस समस्या के राजनीतिक समाधान पर अपना नजरिया बताया है। इसके अलावा किसी शांति योजना को लेकर इसमें कोई बात नहीं है।
इस परिप्रेक्ष्य में यह ध्यान रखना होगा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत पहले ही युद्ध रोककर शांति के लिए रूस और यूक्रेन को आपस में वार्ता करने की सलाह दी थी, जिसकी राष्ट्रपति पुतिन ने सराहना की थी। प्रधानमंत्री मोदी खुद अपनी ओर से पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात कर चुके हैं और कह चुके हैं कि युद्ध से किसी चीज का हल नहीं हो सकता।
लेकिन उम्मीद के अनुसार, अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों तथा जानकारों ने इस ‘प्रस्ताव’ पर स्वाभाविक शंका जताई है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने तो इस प्रकरण में चीन की स्थिति को लेकर शक जताया। उनका कहना है कि चीन ने रूस को जो गैर घातक सहायता दी है वह युद्ध की कोशिशों का समर्थन करना ही है। चीन ने ब्लिंकन के इस आरोप को निराधार बताया है।
अमेरिका के एनएसए जेक सुलिवन द्वारा तो ‘प्रस्ताव’ की ज्यादातर बातों को अस्वीकार ही कर दिया गया। उन्होंने भी चीन का नाम लिए बिना कहा कि युद्ध उस बिंदु पर रुक सकता है जब सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान किया जाए।
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