रोहतक। शहर में सिलसिलेवार दो बम धमाकों के मुख्य आरोपित अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को अतिरिक्त एवं जिला सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। रोहतक में वर्ष 1977 में हुए बम धमाकों में 26 साल बाद फैसला आया है।
दरअसल, इस मामले में कोर्ट ने सोमवार को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को आरोपित अब्दुल करीम उर्फ टुंडा वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पेश हुआ। पुलिस में अब्दुल करीम के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई, जिसके चलते शुक्रवार को कोर्ट ने टुंडा को बरी कर दिया। बम ब्लास्ट के मामले में अन्य आरोपियों को अदालत पहले ही बरी कर चुकी है।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता विनीत शर्मा ने बताया कि अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के खिलाफ रोहतक में दो बम बलास्ट करने के मामले पुलिस ने दर्ज किए थे। पुलिस ने 2013 में उसे गिरफ्तार किया था। कोर्ट में पुलिस टुंडा के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई, जिससे कि कोई आरोप साबित हो सके। अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने आरोप लगाया था टुंडा बम बनाता है और वह बम बनाना सिखाता है और अलग अलग लोगों को सप्लाई करता है, लेकिन पुलिस कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाई। अधिवक्ता ने बताया कि जब पुलिस ने अब्दुल करीम को गिरफ्तार किया उस वक्त उस पर 33 मामले दर्ज थे और अब तक 28 केसों में फैसला आ चुका है। टुंडा पर पांच मामले और चल रहे हैं, जिनमें चार गाजियाबाद में और एक मामला टांडा का है, जो अजमेर में चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि अब्दुल करीम को मोस्टवांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम का करीबी भी माना जाता है। करीम इस वक्त अजमेर की जेल में बंद है। सन 1977 में शहर में सिलसिलेवार दो बम धमाके हुए थे। एक पुरानी सब्जी में एक रेहडी पर हुआ और दूसरा बम धमाका किला रोड पर हुआ था। इन बम धमाकों में किसी की मौत तो नहीं हुई, लेकिन काफी लोग घायल हुए थे। बम ब्लास्ट के मामले में पुलिस ने अब्दुल करीब उर्फ टुंडा को 26 अक्टूबर 2013 को गिरफ्तार किया था और तभी से मामला कोर्ट में चल रहा था।
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