उत्तराखंड के औली (चमोली) में भारत और अमेरिका के बीच कड़ाके की ठंड में युद्धाभ्यास किया जा रहा है। औली के जंगल और हिमालय के बर्फीले ढलानों में दोनो देशों के सैनिक आपस में अपने अनुभवों को साझा कर रहे है।
भारतीय सैनिकों के पास जहां पहाड़ों और पर्वतों पर सैन्य कारवाई करने के अनुभव है वहीं अमेरिका सैनिकों के पास आधुनिक अस्त्र शस्त्र साजो सामान के साथ युद्ध लड़ने के अनुभव है। अमेरिका अपने सैनिकों के साथ अत्याधुनिक स्वाचलित हथियारों को लेकर यहां पहुंचे है। भारत अमेरिका के बीच ये युद्ध अभ्यास चीन सीमा के कुछ की किमी की दूरी पर हो रहा है और इस अभ्यास के कई कूटनीतिक मायने भी निकाले जा रहे है।
इससे पहले उत्तराखंड में भारत रूस, भारत अमेरिका के युद्ध अभ्यास, रानीखेत के पास चौबटिया में होते रहे है। चमोली जिले में जोशीमठ से आगे औली में दोनो देशों के बीच ये अभ्यास अपने तरीके का पहला अभ्यास माना जा रहा है।
आज इस अभ्यास में पंछी रूप लिए ड्रोन का भी प्रयोग पहली बार सार्वजनिक किया गया, इससे पहले ऐसा पंछी ड्रोन, उड़ी सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म में ही देखा गया था। दोनो देशों के बीच इस युद्धाभ्यास के बारे में मीडिया को पहले कोई जानकारी साझा नही की गई थी, आज पहली बार मीडिया को युद्ध अभ्यास के विषय में सीमित जानकारी दी गई।
जानिए क्या है चील कमांडो अर्जुन
सेना ने आज अर्जुन पंछी ड्रोन के विषय में जानकारी दी कि इसके शरीर की लंबाई 15 से 23 इंच के आसपास तथा उसके पंखों की लंबाई 30 से 45 इंच के आसपास नॉर्मली होती है। सबसे बात यह है कि यह चिड़िया इंसानों से ज्यादा तेज नजर वाली होती है। मतलब इंसानों से ज्यादा तेज देखने की क्षमता होती है। यह मांसाहारी पक्षी की श्रेणी में आता है। जिसका भोजन मुख्यता चिड़िया, कबूतर, खरगोश, मेंढक, मछली इत्यादि है। यह शानदार पक्षी करीब 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह उड़ भी सकता है। जिसके चलते यह आसानी से दुश्मन देशों के ड्रोन पर नजर और जरुरत पड़ने पर इन्हें नष्ट भी कर सकता है।
जानिए क्या है इसकी खूबियां
– सेना के प्रशिक्षित डॉग्स के साथ मिलकर ‘एंटी ड्रोन सिस्टम’ बन जाती है चील कमांडो
– दुश्मन का ड्रोन देखते ही डॉग्स ने भौंकना शुरू कर दिया और चील कमांडो अर्जुन ने ड्रोन को अपने पंजों से जकड़ लिया
– भारतीय सेना चीलों और कुत्तों को ऐसे मिशन के लिए मेरठ के रीमाउंट वेटरनरी कोर में प्रशिक्षित कर रही है
– पाकिस्तान या चीन के ड्रोन्स को मार गिराने के लिए अब एंटी ड्रोन गन्स की जरूरत नहीं पड़ेगी
– जल्द ही परीक्षण पूरा होने के बाद यह चील और डॉग्स सेना का हिस्सा होंगे
– चीलों की खासियत है कि यह ऊंचाई पर उड़ती हैं और निगाहें तेज होने की वजह से दूर तक देख सकती हैं
– ड्रोन पर मिसाइल के अंदाज में हमला करने से दुश्मन चाहकर भी अपने ड्रोन को चील के हमले से बचा नहीं पाएगा
– ड्रोन राडार की नजर में नहीं आते और कई बार इतने नीचे उड़ते हैं कि इन्हें राडार कैच नहीं कर पाता
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी सेना के साथ भारतीय सेना का ये युद्ध अभ्यास चीन से लगे जिले चमोली में हो रहा है, जहां दोनों देशों की सेना संयुक्त रूप से युद्ध अभ्यास कर रही हैं, वहां से चीन बॉर्डर करीब 100 किमी दूर है। इतने ऊंचे इलाके में भारतीय सेना पहली बार किसी मित्र देश की सेना के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज कर रही है। इस अभ्यास में सेना के एमआई 17 हेलीकॉप्टर्स का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ये अभ्यास अगले दो हफ्ते तक जारी रहेगा।
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