मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी
May 20, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम सोशल मीडिया

मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी

राजकुमार द्रुपद ने अपने मित्र द्रोण से कहा कि जब राजा बनूंगा तो आधा राज्य तुम्हें दे दूंगा। द्रोण ने इसे सच मान लिया। समय आने पर वे आधा राज्य मांगने द्रुपद के पास पहुंच गए, पर द्रुपद ने उनका अपमान किया। बाद में अर्जुन ने द्रुपद को युद्ध में पराजित कर उनका राज्य द्रोण को सौंप कर गुरु की इच्छा पूरी की

by अविनाश त्रिपाठी
Nov 29, 2022, 11:15 am IST
in सोशल मीडिया
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

द्रुपद को न तो अपने मित्र द्रोण की योग्यता की पहचान थी और न उसके लिए मन में सम्मान। वहीं, कर्ण-दुर्योधन की मित्रता का आधार स्वार्थ था। सब कुछ जानते हुए भी वह दुर्योधन का साथ देता रहा। दूसरी ओर कृष्ण हैं, जो सुदामा को दूसरे का हिस्सा खाने के पाप के दंड से बचाते हैं। गलती का अहसास दिलाते हैं व दूसरा मौका देकर सुदामा को हृदय से लगाते हैं 

एक बार बचपन में राजकुमार द्रुपद ने अपने मित्र द्रोण से कहा कि जब राजा बनूंगा तो आधा राज्य तुम्हें दे दूंगा। द्रोण ने इसे सच मान लिया। समय आने पर वे आधा राज्य मांगने द्रुपद के पास पहुंच गए, पर द्रुपद ने उनका अपमान किया। बाद में अर्जुन ने द्रुपद को युद्ध में पराजित कर उनका राज्य द्रोण को सौंप कर गुरु की इच्छा पूरी की। पर द्रोण ने आधा राज्य द्रुपद को लौटा दिया। द्रुपद द्रोण की योग्यता को नहीं पहचान सके। उन्होंने धन-वैभव को मित्रता और द्रोण की योग्यता से ऊपर रखा, जबकि द्रोण अकेले सारा देश जीत कर अपने मित्र को दे सकते थे।

दुर्योधन इस मामले में बेहतर था। उसे योग्यता की परख थी। इसलिए उसने पहली नजर में कर्ण की योग्यता और कमजोरी, दोनों पहचान ली और एक राज्य उपहार में देकर दानवीर को एक तरह से खरीद लिया। कर्ण आजीवन दुर्योधन के पास अर्जुन की काट की तरह रहे। कर्ण की शक्ति ने दुर्योधन को और तेजी से अधर्म के रास्ते पर बढ़ने का आत्मविश्वास दिया। उनकी मित्रता का आधार स्वार्थ था। लेकिन कर्ण अंत में दुर्योधन के उस काम नहीं आ सका, जिसके लिए वह सारा जीवन साथ रहे।

वहीं, कृष्ण-सुदामा की कहानी बिल्कुल अलग है। दोनों गुरुकुल में पढ़ते थे। एक दिन दोनों लकड़ी चुनने वन में गए। अचानक तेज बारिश शुरू हो गई तो बचने के लिए दोनों मित्र पेड़ पर चढ़ गए। सुदामा को आश्रम से चने मिले थे, जो दोनों के लिए थे। लेकिन सुदामा अकेले ही चने खाने लगे। जब कृष्ण ने चने मांगे तो उन्होंने कहा कि चने तो रास्ते में गिर गए। तुम जो आवाज सुन रहे हो, वह चने खाने की नहीं है।

द्रुपद -द्रोण की तरह कृष्ण अपनी मित्रता के बीच न तो राजा और भिक्षुक की हैसियत लाए और न ही कर्ण-दुर्योधन की तरह स्वार्थ। दरअसल, कृष्ण गलती का अहसास दिलाते हैं। दूसरा मौका देते हैं और प्रायश्चित होने पर फटेहाल सुदामा को हृदय से भी लगाते हैं, जैसे एक मित्र को करना चाहिए।

ठंड के कारण मेरे दांत बज रहे हैं। कृष्ण ने उनकी बात मान ली। फिर बोले- मेरे पास पिछली बार के कुछ चने बचे हुए हैं, तुम उसमें से खा लो। सुदामा को अपने स्वार्थी होने का अहसास हुआ तो रोने लगे, पर दोस्त का हिस्सा मारने के ऋण से वे मुक्त नहीं हुए। उनका सारा जीवन दरिद्रता में बीता।

सुदामा बाद में जब द्वारिकाधीश कृष्ण से मिले तो उन्होंने पहले जैसा स्वार्थ नहीं दिखाया। सुदामा घर से जो चावल लेकर आए थे, उसे प्रसन्नता से खाकर कृष्ण ने उन्हें पाप से मुक्त किया। जब सुदामा द्वारिका से लौटे तो उनकी दरिद्रता समाप्त हो चुकी थी।

द्रुपद -द्रोण की तरह कृष्ण अपनी मित्रता के बीच न तो राजा और भिक्षुक की हैसियत लाए और न ही कर्ण-दुर्योधन की तरह स्वार्थ। दरअसल, कृष्ण गलती का अहसास दिलाते हैं। दूसरा मौका देते हैं और प्रायश्चित होने पर फटेहाल सुदामा को हृदय से भी लगाते हैं, जैसे एक मित्र को करना चाहिए।

Topics: कृष्ण-सुदामाराजकुमार द्रुपददानवीरकर्ण की शक्ति
Share3TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री

दिल्ली में ‘ई-जीरो एफआईआर’ पहल लॉन्च, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- साइबर अपराधियों पर अब होगी तुरंत कार्रवाई 

मुंबई में कोरोना के 8 संदिग्ध मरीज, अभिनेत्री शिल्पा शिरोडकर भी संक्रमित

Dhruv Rathi

यूट्यूबर ध्रुव राठी पर एफआईआर की मांग, सिखों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का आरोप

पाकिस्तानी जासूस तारीफ

नूंह से पाकिस्तानी जासूस तारीफ गिरफ्तार, भेजी गोपनीय जानकारी, पाकिस्तान उच्चायोग के दो कर्मियों के खिलाफ भी केस दर्ज

दिग्विजय सिंह

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा माैत मामले में भाई ने दर्ज कराई शिकायत

साइबर संघर्ष में भी पिटा पाकिस्तान

Makhana Benefits

वजन कम करने में मखाना कैसे करता है मदद?

बैठक

देहरादून में 16वें वित्त आयोग की बैठक, राज्य की दीर्घकालिक योजनाओं पर अहम चर्चा

प्रतीकात्मक तस्वीर

आईएसआई को सैन्य जानकारी दे रहे थे दो भेदी काबू, मोबाइल जांच में पुष्टि

मनजिंदर सिंह सिरसा
उद्योग मंत्री, दिल्ली

आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चलेगा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies