'हिन्दू शब्द भारतीय समाज के संगठित शक्ति का प्रतीक'
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तर प्रदेश

‘हिन्दू शब्द भारतीय समाज के संगठित शक्ति का प्रतीक’

श्रद्धेय अशोक सिंहल जी की सातवीं पुण्यतिथि के अवसर पर व्याख्यानमाला आयोजित

by WEB DESK
Nov 18, 2022, 10:46 am IST
in उत्तर प्रदेश
कार्यक्रम की तस्वीर

कार्यक्रम की तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

श्रद्धेय अशोक सिंहल जी की सातवीं पुण्यतिथि के अवसर पर 17 नवंबर 2022 को एक व्याख्यानमाला “हिंदू धर्म क्या है और हिंदू कौन है” विषय पर अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ, महावीर भवन, प्रयागराज में आयोजित की गई। इस व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर अरविन्द प्रभाकर जामखेडकर पूर्व कुलाधिपति डेक्कन कॉलेज (मानद विश्वविद्यालय) पुणे महाराष्ट्र एवं पूर्व अध्यक्ष भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ के निदेशक के डॉ. चन्द्र प्रकाश सिंह ने कहा कि जब कोई नाम शक्तिशाली होता है तब लोग उस शब्द की विभिन्न व्याख्या करने लगते हैं। हिन्दू शब्द भारतीय समाज के संगठित शक्ति का प्रतीक है, इसलिए उसे कमजोर करने के लिए भिन्न-भिन्न व्याख्याएं प्रारम्भ हुईं। यह मान लिया जाए कि अरब लोगों ने हिंदू शब्द का प्रथम प्रयोग किया था तो हिंदू उस समय बैद्ध, जैन एवं बनवासी सहित सभी मत, पंथ और संप्रदाय के लोगों के लिए कहा गया। उन्होंने हमारी परंपरा और समन्वित सांस्कृतिक चेतना से प्रभावित होकर हिंदू शब्द कहा था। हमारी संगठित शक्ति को कमजोर करने के लिए हिन्दू शब्द पर प्रहार होते रहे हैं और हो रहे हैं। कालांतर में हमारे महापुरुषों ने हिन्दू समाज को तोड़ने की कुचेष्टा को समझा, इसलिए स्वामी विवेकानंद ने इस पर बल देते हुए कहा “गर्व से कहो हम हिंदू हैं” एवं डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने कहा “भारत हिंदू राष्ट्र है”। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी इस भावना को कविता के माध्यम से व्यक्त करते हुए लिखा, “हिन्दू कहने में शर्माते दूध लजाते लाज न आती, घोर पतन है अपनी माँ को माँ कहने में फटती छाती।”

श्रद्धेय अशोक सिंहल ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से भाषा, संप्रदाय, वर्ग, जाति के सभी हिन्दुओं को एकजुट कर स्वामी विवेकानंद के विचारों को साकार रूप प्रदान करते हुए राम मंदिर आंदोलन के माध्यम से संपूर्ण समाज में हिन्दू होने का गौरव भरने का अभिनव कार्य किया। जिसके परिणामस्वरूप श्री राम मंदिर के भव्य मंदिर निर्माण हो रहा है, लेकिन इसकी पूर्णाहुति नहीं होने वाली है जब तक कि सारा हिंदू समाज हिंदू होने के गौरव से भर न जाए।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफ़ेसर अरविन्द प्रभाकर जामखेडकर ने इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विभिन्न लोग ने हिंदू शब्द की व्याख्या अलग-अलग करते रहे हैं। हखमनी साम्राराज्य के राजा इंडस के बाद इंडिया और फिर हिंदू कहने लगे। भारत में धर्म की संकल्पना बिल्कुल अलग रही है और ऐसा भी कहा जा सकता है कि उस समय इस्लाम से व्यतिरिक्त सभी लोग हिंदू रहे होंगे। अंबेडकर जी ने कहा था कि जब मैं जन्मा तो हिंदू था, लेकिन जब मरूंगा तो हिंदू नहीं रहूंगा, परन्तु ऐसा उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक परंपरा की वजह से कहा होगा। इस वजह से हिंदू शब्द को लेकर अनेक विचार प्रचलित हो गए। अलग-अलग यूरोपियन विद्वानों ने वेदों को और हिंदुओं को काल विशेष में बांधने का प्रयास किया जो कि सत्य नहीं है। वेदों से आ रही परंपरा को ही हम सनातन और हिंदू धर्म कहते हैं।

हिंदू इस अर्थ में यहूदी, ईसाई और इस्लाम से अलग है कि इन लोगों ने अपनी निरंतर परंपराओं को छोड़ दिया, लेकिन हिन्दू परम्परा में सातत्य रहा। हमारे हिंदू धर्म ने तीन ऋण देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण लेकर आते हैं, इसलिए हम यदि यज्ञ और वेदों का अध्ययन नहीं कहते हैं तो हम इन ऋणों से मुक्त नहीं हो सकते और हमको मोक्ष भी प्राप्त नहीं हो सकता। वहीं भगवत गीता में आगम धर्म की बात कहते हुए कहा गया कि कर्म करते हुए मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है और इसीलिए राजा को लोक धर्म करने के कारण राजर्षि बताया गया। राजा संन्यास नहीं ले सकता, परंतु वह अपना कर्म करते हुए मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। इस संबंध में बौद्ध पंथ में बोधिसत्व परंपरा आगम धर्म के ही समान है जो यह कहती है कि जब तक अंतिम दुखी व्यक्ति है तब तक मैं यहां आता रहूंगा। हिंदू धर्म यह परंपरा रही है कि गृहस्थ आश्रम में होते हुए भी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। शंकराचार्य ने बताया कि विभिन्न आगमों का पालन उनके सभी अनुयायी करते रहेंगे। ऐसा शंकराचार्य को इसलिए कहना पड़ा कि कालांतर में सूर्या आगम, गणपति आगम दक्षिण में कार्तिकेय(अयप्पा) जैसे विभिन्न आगम आए।

हमारे तीर्थ हिन्दू समाज की भावना और एकजुटता के आधार हैं। तीर्थों का आशय कहने का आशय यह है कि नदियों के जल से पावन होकर भगवान में श्रद्धा रखें और मोक्ष की प्राप्ति करें। तीर्थ दो प्रकार के होते हैं। जल तीर्थ और वे स्थान जहां पल महापुरुषों का अवतरण हुआ। ये सभी स्थान हमें सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से जोड़ते हैं। हमें हिन्दू होने पर गर्व होना चाहिए क्योंकि हिन्दू ही वह समाज है जो सभी को अंगीकार करता है।

Topics: स्मृति व्याख्यानअरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठश्रद्धेय अशोक सिंहल की पुण्यतिथिRev. Ashok SinghalMemorial LectureArundhati Vashishtha Research ChairDeath Anniversary of Rev. Ashok Singhalहिंदू धर्मHinduismश्रद्धेय अशोक सिंहल
Share17TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

‘हिंदुओं पर अश्लील टिप्पणी’ : हाई कोर्ट ने लगाई पूर्व मंत्री पोनमुडी की क्लास, कहा- कोई राजा है क्या

मुरुगा भक्त सम्मेलन में शामिल हुए भक्त

संगठित हिन्दू शक्ति का दर्शन

महाबोधि मंदिर

शांति की भूमि पर अशांति!

संघ शाखा यानी सत्य की साधना

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies