आस्था ही आधार
May 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

आस्था ही आधार

‘भारत में आस्था एवं विज्ञान की लोक परंपरा’ सत्र में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने बताया कि श्रद्धा, समर्पण, विश्वास प्रणति, उपनति, संभावना आदि शब्द अभिप्राय की दृष्टि से एक ही कुल के प्रतीत होते हैं, तथापि ये एक ही नहीं हैं

by WEB DESK
Oct 6, 2022, 08:15 am IST
in भारत, विश्लेषण, मत अभिमत, संस्कृति
सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र

सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सत्र
भारत में आस्था एवं विज्ञान की लोक परंपरा

लोकमंथन में ‘भारत में आस्था एवं विज्ञान की लोक परंपरा’ सत्र में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने बताया कि श्रद्धा, समर्पण, विश्वास प्रणति, उपनति, संभावना आदि शब्द अभिप्राय की दृष्टि से एक ही कुल के प्रतीत होते हैं, तथापि ये एक ही नहीं हैं। सबका अपना पृथक आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक इतिहास है। संस्कृत चूंकि एक यौगिक भाषा है, जिसमें प्रत्येक शब्द किसी न किसी धातु और प्रत्यय के सहयोग से ही बनना संभव होता है। अत: उस शब्द का उपयुक्त विविध सौंदर्य भी उसी धातु और प्रत्यय से प्रकाशित हो जाता है।

जब हम किसी वस्तु, इच्छा अथवा प्रत्यय की पूर्ति के लिए अधीर हो जाएं, अशांत हो जाएं, अपना सुख-चैन खो दें तो वही शिष्ट भाषा में श्रद्धा है तथा लोक व्यवहार में आसक्ति है।

— प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र, पूर्व कुलपति,संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय

उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें प्रत्येक शब्द यौगिक है। अतएव सरलता से व्याख्या योग्य भी है। वस्तुत: श्रद्धा शब्द श्रत् एवं धा धातु (श्रत् + धा = श्रद्धा) के सहयोग से बना है। चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा ने अपने प्रख्यात कोषग्रंथ ‘संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ’ में इस शब्द की सुंदर व्याख्या की है। उसे उद्धृत करते श्री मिश्र ने कहा कि एक प्रकार की मनोवृत्ति जिसमें किसी बड़े या पूज्य व्यक्ति के प्रति भक्तिपूर्वक विश्वास के साथ उच्च और पूज्य भाव उत्पन्न होता है।

उन्होंने कहा कि श्रद्धा तथा विश्वास को गोस्वामी तुलसीदास ने परस्पर अभिन्न माना है- भवानी शंकरौ वंदे श्रद्धाविश्वास रूपिणौ। लोक में प्राय: हम श्रद्धा का प्रयोग तीव्र उत्कंठा, अदम्य निष्ठा अथवा दुर्निवार अभिमुखता के अर्थ में पाते हैं। जब हम किसी वस्तु, इच्छा अथवा प्रत्यय की पूर्ति के लिए अधीर हो जाएं, अशांत हो जाएं, अपना सुख-चैन खो दें तो वही शिष्ट भाषा में श्रद्धा है तथा लोक व्यवहार में आसक्ति है।

मनुस्मृति में स्पष्ट कहा गया है- श्रद्धावांल्लभते ज्ञानम् तत्पर: संयतेन्द्रिय। अर्थात् जो ज्ञान के प्रति श्रद्धालु हो, ज्ञान पाने के लिए अशांत हो, विकल हो, कातर हो, आतुर हो, व्यग्र हो- वही ज्ञान को प्राप्त करता है। ज्ञान की प्राप्ति का अर्थ है ईश्वर की प्राप्ति। उन्होंने कहा कि किसी प्रयोजन के कोई भी व्यक्ति, यहां तक कि मंदबुद्धि (मूर्ख) भी किसी कार्य में प्रवृत्त नहीं होता। यह प्रयोजन क्या है? प्रकर्ष के साथ जो भावना किसी को कार्य विशेष में योजित कर दे, लगा दे, वही प्रयोजन है। प्रयोजन शब्द की यह व्याख्या प्रकारान्तर से श्रद्धा की ही व्याख्या है।

एक किसान इस विश्वास के साथ ही खेत में बीजवपन करता है कि उससे बीज अंकुरित होंगे। यदि बीजा अंकुरण के प्रति उसकी श्रद्धा न हो तो वह कभी भी वपन नहीं करेगा। एक विद्यार्थी परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने के हद विश्वास से ही पढ़ता और परीक्षा देता है। एक दम्पति इस श्रद्धा से ही सन्तति उत्पन्न करते हैं कि वह संतान (पुत्र) ही वृद्धावस्था में उनका सहारा बनेगा, वही उन्हें पुत् नामक नरक में जाने से बचाएगा, वही लोकान्तर में भी उन्हें पिण्डोदक देगा। श्रद्धा एवं विश्वास की यह अटूट परम्परा पिण्डज, अण्डज, स्वेदज एवं उद्यिसन- सभी में समान रूप से व्याप्त है। जननी चाहे मानवी हो चाहे पशु, श्रद्धा की मूर्ति होती है।

उन्होंने कहा कि लोहा तो बस लोहा है। इससे चिमटा बना लो, रसोई में सहायक सिद्ध होगा और कटारी-भाला बनवा लो तो किसी की हत्या में सहायक होगा। ऐसे ही श्रद्धा व्यवहार में सत्प्रेरक भी हो सकती है, दुष्प्रेरक भी। उन्होंने बताया कि सृष्टि में कोई वस्तु, तत्व नहीं होगा जिसमें भाव-अभाव का रूप विद्यमान न हो।

रात का अभाव ही दिन है, दिन का अभाव ही रात्रि है। ह्रास का अभाव रोदन, रोदन का अभाव ह्रास है। गुण का अभाव गुणहीनता (दोष) तथा दोष का अभाव गुण है। इस प्रकार परमेश्वर ने सृष्टि में प्रत्येक वस्तु को भाव तथा अभाव दोनों के युग्म रूप में प्रकट किया है। और यही कटु सत्य उन प्रपंची, छद्म दार्शनिकों तथा दिखावटी आस्थावानों के मुंह पर बड़ा तमाचा भी है, जो परमेश्वर को सगुण या साकार (अवतारी) नहीं मानते। उनसे कोई पूछे कि यदि ईश्वर साकार नहीं (आचार्य यास्क के शब्दों में- पुरुषविध) है तो तुम्हें कैसे पता चला कि वह निराकार है!

Topics: लोकमंथन‘भारत में आस्था एवं विज्ञान की लोक परंपरा’श्रद्धा एवं विश्वासईश्वर साकार
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

जे नंदकुमार

‘‘लोकमंथन केवल आयोजन नहीं, एक आंदोलन है’’ -जे नंदकुमार

एलियाह, गेलवाना, और या वा दिजपतिता लोकमंथन में अग्नि अनुष्ठान करते हुए

अग्नि उपासक हैं लिथुआनियावासी

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

‘वनवासी—नगरवासी और ग्रामवासी सब एक हैं’

लोकमंथन में प्रस्तुति देते कलाकार

भारतीयता का संगम

Dr. Mohan Bhagwat

हमें आगे बढ़कर दुनिया का नेतृत्व करना है, भारत इस दिशा में आगे बढ़ निकला है : डॉ. मोहन भागवत

‘लोक परंपरा’ पर विचार व्यक्त करते हुए डॉ. कपिल तिवारी

प्रतिभा से गढ़ो प्रज्ञा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

वर्ग में उपस्थित प्रशिक्षणार्थी

कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय का शुभारंभ

west about terrorism

पश्चिमी दुनिया और महाशक्तियों के द्वारा आतंकवाद के बारे में भेदभावपूर्ण कार्य

मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से लाया गया भारत

मुंबई 26/11 आतंकी हमला: तहव्वुर राणा के खिलाफ सरकार ने बनाई दिग्गजों वकीलों की स्पेशल टीम, NIA की तरफ से लड़ेंगे केस

कॉलेज में परीक्षा लेने आए प्रोफेसर अब्दुल अंसारी ने छात्राओं के हाथों में लिख दिया मोबाइल नंबर, गिरफ्तार

Defence minister Rajnath Singh to visit Bhuj Airforce station

जम्मू कश्मीर के बाद आज भुज एयरफोर्स स्टेशन का दौरा करेंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर: ढेर हुआ कागजी शेर

पत्रकार उपेंद्र प्रसाद महला को सम्मानित करते अतिथि

नाहरलागुन में सुरक्षा पर गोष्ठी

Adani Airports holdings cancels partnership with Dragonpass

अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स ने चीनी कंपनी ड्रैगनपास के साथ साझेदारी समाप्त की

Tulbul Project

सिंधु जल समझौता रद्द होने से कश्मीर के किसान खुश, क्यों चर्चा में है तुलबुल परियोजना?

Nirav Modi Bail plea

PNB घोटाले में भगोड़े नीरव मोदी को झटका, लंदन हाई कोर्ट ने फिर खारिज की जमानत याचिका

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies