गत सितंबर को नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी : एकात्म भारत के प्रणेता’ पुस्तक का विमोचन किया।
उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के लोग डॉ. मुखर्जी के बारे में कम जानते हैं। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। इसके लिए समय-समय पर गोष्ठी और कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत को जोड़ने के लिए स्वयं का बलिदान दे दिया। ऐसे महापुरुषों के बारे में हर व्यक्ति को जानकारी होनी चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि डॉ. मुखर्जी के कारण ही आज जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हट पाया है।
पुस्तक के लेखक आचार्य मायाराम ‘पतंग’ ने बताया कि 31 अक्तूबर, 1951 को नई दिल्ली के रग्घूमल आर्य कन्या विद्यालय में भारतीय जनसंघ का पहला अधिवेशन हुआ था। इसी में डॉ. मुखर्जी को जनसंघ का अध्यक्ष चुना गया था। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अनेक अनछुए प्रसंगों को प्रस्तुत किया गया है।
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